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Monday, March 13, 2017

फाल्गुनी दोहे (कविता)

 #poems#love
#BnmRachnaWorld

फागुनी दोहे


कंचन जैसी देह तुम्हारी, होंठ तेरे रतनार।
नैन तुम्हारे तीर सरीखे, जैसे चुभे कटार।।

अंजुरी भरी यह प्रीत तुम, रख लो अपने पास।
गर ना आये पाती तो, मत होना उदास।।

होली में आऊंगा मैं, लेकर फाल्गुनी रंग।
सराबोर  मैं कर दूंगा, सारे अंग - अंग।।

लाल चुनरी भींगेगी, जब कसमस करते अंग।
मैं भर दूंगा उष्णता गर्म सांस के संग।।

फूल जैसी देह लचके ज्यों बिरवा के पात।
अमराई में चहकेगा जैसे नया प्रभात।।

रास रंग से तृप्त सुंदरी, यौवन भार अपार।
रात उतरती देह नाव पर, जाती है उस पार।

--©ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र
     तिथि: 13-03-2017
     चैत्र प्रतिपदा, होली का दिन!

1 comment:

Lalita Mishra said...

Very beautiful poem written on the occasion of Holi... must read for poetry lovers...

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