#poetry #romantic
#BnmRachnaWorld
अपने अहसास, धीमें धीमें सुनाना चाहता हूं।
तुम अगर कह दो, तो कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ।
तुम अगर कह दो, तो कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ।
सुर मेरे टूटे हुए हैं, लय भी रूठे हुए हैं।
फिर भी जिद है कि तराना बनाना चाहता हूँ।
फिर भी जिद है कि तराना बनाना चाहता हूँ।
नींद भी आई न थी कि सुबह दस्तक देने लगी,
तेरी जुल्फों के बादलों में भींग जाना चाहता हूं।
तेरी जुल्फों के बादलों में भींग जाना चाहता हूं।
तेरी आँखों में एक समन्दर का फैलाव है
उसी में डूबकर अपनी थाह पाना चाहता हूँ।
उसी में डूबकर अपनी थाह पाना चाहता हूँ।
वैसे तो जिंदगी में गमों की गिनती नहीं है,
उन्हीं में से हंसी के कुछ पल चुराना चाहता हूं।
उन्हीं में से हंसी के कुछ पल चुराना चाहता हूं।
तेरे हँसने से छा जाती है जर्रे जर्रे में खुशी
उन्हीं में से थोड़ी हर ओर लुटाना चाहता हूं।
उन्हीं में से थोड़ी हर ओर लुटाना चाहता हूं।
तेरे वज़ूद में कशिश की किश्ती सी तैरती है
उसी में इस पार से उस पार जाना चाहता हूं।
उसी में इस पार से उस पार जाना चाहता हूं।
मैने चाहा है, तुम भी चाहो ये जरूरी तो नहीं,
इस तरफ से उस तरफ तक पुल बनाना चाहता हूं।
इस तरफ से उस तरफ तक पुल बनाना चाहता हूं।
@ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र
ता: 10-10-2017
वैशाली, दिल्ली एन सी आर।
4 comments:
Bahut sundar gazal hai...lekhak ko sadhuwaad!
नमस्कार सर जी.आपकी रचनाये अत्यंत उत्कृष हैं और प्रेरणादायक हैं.सर मैं भी लेखन में रूचि रखता हूँ..कृपया सही
मार्गदर्शन करें, और किस तरह लेखन को प्रभावशाली बनाया जाये.आपके सुझाव के लिए आभारी रहूँगा..Prakash P,
E.mail-prakashp6692@gmail.com
तेरी आँखों में एक समन्दर का फैलाव है
उसी में डूबकर अपनी थाह पाना चाहता हूँ।
तेरे हँसने से छा जाती है जर्रे जर्रे में खुशी
उन्हीं में से थोड़ी हर ओर लुटाना चाहता हूं।
मैने चाहा है, तुम भी चाहो ये जरूरी तो नहीं,
इस तरफ से उस तरफ तक पुल बनाना चाहता हूं।--
आदरणीय सर बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना है | मुझे ये शेर खास लगे अन्यथा रचना सारी ही बहुत सुंदर है | सादर नमन |
आप कृपया गूगल प्लस पर रचनाएँ शेयर किया करिये | इतनी मेहनत से लिखी हैं कोई पढ़े भी तो |
Post a Comment