#poem#newyear
#BnmRachnaWorld
नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन!
प्रकृति भी कर रही नव श्रिंगार है,
दिशायें भी खोल रही नव पट द्वार हैं।
मधु बरस रहा, हेमन्त भी तरस रहा,
लताओं, पुष्पों से सजा बंदनवार है।
धुंध में घुल रहा सुगन्धित सा - मन ।
नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन!
सांसो को आशों में बंद करने दो,
अहसासों को विश्वासों के छन्द रचने दो।
बारुदें बहुत बो चुके हो तुम सालों से,
हमें नेह- तुलसी के बीजों को भरने दो।
एक नया सन्देशा ला रहा पवन।
नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन!
दिल पर दस्तक, यादों ने दिया,
तन की देहरी पर सांसो का दिया।
झुक गया सूरज लिये धूप सांझ की
पांती भी ना आई जलता रहा जिया।
नेह की बाती जलती रही प्रति क्षण
नव वर्ष का कैसे करे अभिनन्दन?
जो नित्य असि धार पर चल रहे हैं,
जो प्रतिदिन तूफानों में भी पल रहे हैं।
चीर कर रख देते अरि की छाती जो,
जो नरसिन्घावतार बन उबल रहे हैं।
उन राष्ट्र के मतवालों का करते नमन।
नव वर्ष का करते है अभिननदन।
मनाओं उत्सव, तो कर लो याद उनको भी
जो खन्दकों में जीते, बन्दूक का खिलौना है।
जिनकी सर्द रातें हैं, हवाएँ करती साँय -साँय,
जो ओढते हैं राष्ट्र प्रेम, बर्फ का बिछौना है।
राष्ट्र के उन वीरों से गुलजार है चमन।
उनके लिये भी नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन।
बीते साल में जो रह गया अधूरा
जो सपने ना हो सके साकार।
आएं इस वर्ष में फिर से जगायें
आगे बढ़कर दे उन्हें भी आकार।
योजनाओं को सतह पर उतारें
रुके नहीं कभी हमारे बढ़ते चरण!
नव वर्ष का करते हैं अभिननदन!
ब्रजेन्द्र नाथ
जमशेदपुर
#BnmRachnaWorld
नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन!
प्रकृति भी कर रही नव श्रिंगार है,
दिशायें भी खोल रही नव पट द्वार हैं।
मधु बरस रहा, हेमन्त भी तरस रहा,
लताओं, पुष्पों से सजा बंदनवार है।
धुंध में घुल रहा सुगन्धित सा - मन ।
नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन!
सांसो को आशों में बंद करने दो,
अहसासों को विश्वासों के छन्द रचने दो।
बारुदें बहुत बो चुके हो तुम सालों से,
हमें नेह- तुलसी के बीजों को भरने दो।
एक नया सन्देशा ला रहा पवन।
नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन!
दिल पर दस्तक, यादों ने दिया,
तन की देहरी पर सांसो का दिया।
झुक गया सूरज लिये धूप सांझ की
पांती भी ना आई जलता रहा जिया।
नेह की बाती जलती रही प्रति क्षण
नव वर्ष का कैसे करे अभिनन्दन?
जो नित्य असि धार पर चल रहे हैं,
जो प्रतिदिन तूफानों में भी पल रहे हैं।
चीर कर रख देते अरि की छाती जो,
जो नरसिन्घावतार बन उबल रहे हैं।
उन राष्ट्र के मतवालों का करते नमन।
नव वर्ष का करते है अभिननदन।
मनाओं उत्सव, तो कर लो याद उनको भी
जो खन्दकों में जीते, बन्दूक का खिलौना है।
जिनकी सर्द रातें हैं, हवाएँ करती साँय -साँय,
जो ओढते हैं राष्ट्र प्रेम, बर्फ का बिछौना है।
राष्ट्र के उन वीरों से गुलजार है चमन।
उनके लिये भी नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन।
बीते साल में जो रह गया अधूरा
जो सपने ना हो सके साकार।
आएं इस वर्ष में फिर से जगायें
आगे बढ़कर दे उन्हें भी आकार।
योजनाओं को सतह पर उतारें
रुके नहीं कभी हमारे बढ़ते चरण!
नव वर्ष का करते हैं अभिननदन!
ब्रजेन्द्र नाथ
जमशेदपुर
2 comments:
Nav warsh par ek bhawanapurn rachana!
Bahut achchhi kavita...Nav aata par sakaaraatmak soch badhaane waalee kavita
Lethal ko sadhuvaad!
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