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Monday, February 19, 2018

फागुन अब आ गईल (भोजपुरी कविता)

#poetry#bhojpuri
#BnmRachnaWorld

फागुन अब आ गईल
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अरगनी पर धूप अँटक गईल
पछुआ चलत-चलत बौरा गईल।
लग ताs कि फागुन अब आ गईल।

गेंदा पीअर पीअर फुला गईल,
पलाश के टेसू रन्ग छा गईल।
लग ताs कि फागुन अब आ गईल।

कोयल अमवां के बगिया में,
कुहू -कुहू के शोर मचा गईल।
लगताs कि फागुन अब आ गईल।

कंत जबसे गईले परदेस में,
मन के झरोखा में याद के हवा
झरझरा गईल।
लगताs कि फागुन अब आ गईल।

इनार पर पनिहारिन के बतिया में,
ननदी के ठिठोली भौजी के भा गईल।
लग ताs कि फागुन अब आ गईल।

कबूतर अब पंतियो पहुन्चावत नईखे,
एतने में कौआ मुंडेर पर आ गईल।
लग ताs कि फागुन अब आ गईल।

का का कहीं ई मौसम के बतियां,
मर्मज्ञ के कलम में इन्दृधनुश के रंग छा गईल।
लगताs की फागुन अब आ गईल।

--मर्मज्ञ

यही कविता मैंने 18 फरवरी 2018 को सिंहभूम भोजपुरी परिषद के वनभोज सह कवि सम्मेलन में स्वर्णरेखा नदी के तट पर स्थित गाँधीघाट पर सुनायी थी। इसका मेरा YouTube वीडियो लिंक इसप्रकार है। मेरे यूट्यूब चैनल marmagya net को सब्सक्राइब करें, लाइक करे और शेयर भी करें:
लिंक: https://youtu.be/9HrklUInTh0
ब्रजेंद्रनाथ





1 comment:

KARUNA KUMARI said...

होली के अवसर पर भोजपुरी में बहुत भावनात्मक कविता बा। सुन्दर रचना के लिए साधुवाद!

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