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Thursday, May 10, 2018

एक रैली और निकाली जाये (कविता)

#BnmRachnaWorld
#poem#patriotic

मैने कुछ दिनों पहले शायद 23/24 अप्रील को एक वीडियो देखा था, जिसमें कुछ भयानक किस्म के बुद्धिजीवी अन्ग्रेजी में शेम शेम के नारे लगा रहे थे। यह स्थान लगता है कि मुंबई का गेटवे औफ इंडिया वाला चौराहा रहा होगा।
उससमय आसिफा वाला काण्ड भी सुर्खियों में था। ये बिल्कुल मेरे अन्दर के स्वप्रेरित भाव हैं। मैं किसी भी वाद के विवाद से दूर रहता हुआ,  कुछ कहने की कोशिश की है।
अभी तक अप्रकाशित कविता है।





आइये एक रैली और निकाली जाये


कसाब, दाउद, हाफिज को
सर कहकर आदर भाव देने वालों!
आओ लाखो कश्मीरी हिन्दुओं के घर बार छोड़
शरणार्थी की बदहाल जिन्दगी जीने वालों
के लिये भी थोड़ी करुणा दिखाई जाये।
आइये उनके लिये भी एक रैली और निकाली जाये।

कल्बुर्गी, व्ल्मुल्ला, गौरी लंकेश, पर
कैन्डील जला-जला अश्रुधार बहाने वालों!
एक बार बस्तर, दान्तेवाड़ा, गढ़चिरौली में
शहीद हुये सुरक्षा बलों के नौजवानों
के लिये भी थोड़ी नेत्रों में नमी लायी जाये।
आइये उनके लिये भी एक रैली और निकाली जाये।

मक़बूल बट्ट, बानी, गुरु अफजल, अजादी गैंग को
नारे लगा - लगा महिमामंडित करने वालों!
एक बार शहीद फैयाज़ और युसुफ पण्डित
के घरों में कोहराम के बाद पसरे सन्नाटे के
लिये भी थोड़ी सान्त्वना दिखाई जाये।
आइये उनके लिये भी एक रैली और निकाली जाये।

भारत के विभाजन के सूत्रधार
मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगा उच्चासन देने वालों!
एक बार विभाजन के समय लाखों परिवारों
के घर बार उजड़ने पर रोते बिलखते, लाशें ढोते
लोगों के लिये भी दिल में संवेदना जगायी जाये।
आइये उनके लिये भी एक रैली और निकाली जाये।


उन्नीस सौ सैन्तलीस में कबायली के वेश में
पाकिस्तानी सेना द्वारा मारे गये हिन्दु मुसलमां के परिवार वालों!
इस बार उनके लिये मुट्ठियाँ बांधो, हाथों से हाथ मिलाकर
आओ जम्मु कश्मीर की मिट्टी की सौगन्ध ले,
पाक अधिकृत क्षेत्र को वापस लेने की कसम दुहराई जाये।
आइये इस कसम के नाम एक रैली और निकली जाये।

-ब्रजेन्द्रनाथ, तिथि 05/05/2018
दिल्ली एन सी आर, वैशाली।

1 comment:

Lalita Mishra said...

बहुत ही क्रांतिकारी समसामयिक कविता। आज के सच को बयां कटी सशक्त अभिब्यक्ति!

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