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Monday, October 26, 2020

विजयादशमी राम को आना होगा (कविता)

 #BnmRachnaWrld

#vijayadashamipoem

25 अक्टूबर, विजयादशमी के दिन आ अवधेश कुमार सिंह जी, वैशाली, दिल्ली एन सी आर, द्वारा संचालित "पेड़ों की छाँव तले रचना पाठ" के अंतर्गत आयोजित 68 वीं गोष्ठी में वेबिनार के माध्यम से भाग लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ। उसी समय ली गयी तस्वीरों के साथ सभी सहभागियों की रचनाओं का अंश सुनते हुए अंत में मेरी रचना का ऑडियो आप सुनेंगें। तो आइये तस्वीरों के माध्यम से उस दिन के गूगल मीट की साहित्यिक यात्रा पर चलते हैं , मेरे यूट्यूब चैनल "marmagya net " के साथ : इस चैनल को अवश्य सब्सक्राइब करें, यह बिलकुल फ्री है। सादर !

यूट्यूब लिंक: https://youtu.be/UA_npwoGaG0












विजयादशमी पर राम का आह्वान
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
जब -जब रावण की शक्ति बढ़ेगी,
राम को आना होगा।
आकाश के नक्षत्रों को मिलकर
विषम - काल सुलझाना होगा।

जब पाप और अनाचार का
राक्षस निर्बाध यूँ धूमेगा।
जब - जब ताकत के मद
में पागल हाथी - सा झूमेगा।

गांडीव उठा, कर संधान
जग को त्राण दिलाना होगा।
राम को आना होगा--2

जब - जब नारी सन्देहों
में घिर शापित होती रहेगी।
जब - जब मूक शिला बनकर
निरानंदित जीती रहेगी।

अपने चरणों के रजकण से
उनका उद्धार कराना होगा।
राम को आना होगा-2

जब - जब संस्कृति के पोषक
का अस्थि - समूह बन जायेगा।
जब - जब सभ्यता कराहेगी,
मानव असहाय बन जायेगा।

तब भुजा उठा प्रण कर
अरि- व्यूहों को ढहाना होगा।
राम को आना होगा, --2

राम इस धरा पर कभी
मानव का रूप नहीं लेंगें।
राम अब दसरथ नंदन बन,
कभी भी लीला नहीं करेंगें।

अब राम - भक्तों को जुटकर,
अंदर का राम जगाना होगा
हृदय में बस जाना होगा। 2

रावण तभी जलेगा , जब
हमारा अहंकार मिट जाएगा।
रावण तभी मिटेगा जब,
लोभ और मोह नहीं सताएगा।

राम भक्त बनने के लिए
मन शुद्ध बुद्ध बनाना होगा।
अंतर का राम जगाना होगा
राम को आना होगा--2

©ब्रजेन्द्रनाथ



8 comments:

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय रूपचंद्र शास्त्री मयंक सर,नमस्ते 🙏! मेरी इस रचना को कल के चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ

Ananta Sinha said...

आदरणीय सर ,
सादर प्रणाम। सब से पहले तो आपका हृदय से आभार की आपने न केवल मेरे ब्लॉग पर आ कर अपनी टिप्पणी से मेरा उत्साह बढ़ाया पर मेरे ब्लॉग को अपनी रीडिंग लिस्ट में भी सम्मिलित किया। आपको हृदय से अत्यंत अत्यंत आभार पर एक अनुरोध है, मुझे औपचारीक संबोधन ककरke संकोच में न डालें, केवल अनंता कह कर ही पुकारिये। मैं एक कॉलेज छात्रा हूँ और आपसे आयु और ज्ञान , दोनों में बहुत छोटी हूँ , बिलकुल आपकी नातिन या पोती के समान।
आपकी रचना बहुत ही सुंदर है और बहुत अधिक प्रेरणादायक है की कैसे हर एक व्यक्ति के हृदय में प्रभु बसते हैं और वः अपने भीतर की दिव्यता जागृत कर सकता है। मैं आपकी रचना यूट्यूब पर सुनने भी ज़र्रोर आउंगी और आपके ब्लॉग को रीडिंग लिस्ट में डाल लिया है।
आपसे अनुरोध है की मेरे ब्लॉग पर आते रहा करें, प जैसे वरिष्ठ जन का आना तो मेरे लिए और मेरे ब्लॉग के लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है, ,कृपया अपना आशीष बनाये रखियेगा


Ananta Sinha said...



मेरा अनुरोध है आप मेरे ब्लॉग पर अन्य रचनाएँ भी पढ़ें। "अहिल्या" और "स्वतंत्र-गाथा " विशेष कर। "स्वतंत्रगाथा" पर मेरे द्वारा कविता का ऑडियो भी है और "अहिल्या" पर मेरी भारतीआंटी द्वारा। आशा है आपको अच्छी लगेगी।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया अनन्ता जी, मैं जब भी किसी के प्रति सम्मान प्रकट करता हूँ, तो मुझे आभास होता है कि मैं आपके अंदर स्थित ईश्वर तत्व और मातृ शक्ति को सम्मान दे रहा हूँ। इसलिए मुझे इस भाव को अभिव्यक्ति देने से वंचित न करें। आपने मेरी रचना को सराहा, इसके लिए आपका हृदय तल से आभार! मैं आपका ब्लॉग अवश्य विजिट करता रहूँगा। आपके स्नेहमय उदगारों के लिए हृदय से पुनः आभार!--ब्रजेन्द्रनाथल

Jyoti Dehliwal said...

रावण तभी जलेगा , जब
हमारा अहंकार मिट जाएगा।
रावण तभी मिटेगा जब,
लोभ और मोह नहीं सताएगा
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया ज्योति जी, नमस्ते👏! आपकी सराहना के शब्द मेरे लिए पारितोषिक की तरह है। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ

शिवम कुमार पाण्डेय said...

शानदार।
जय श्रीराम।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय शिवम जी, नमस्ते👏! आपके सकारात्मक उदगारों के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ

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