##BnmRachnaWorld
#poemonrepublicday
#गणतंत्र दिवस
इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।
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भारत नही त्रिपिटक लेकर
अब शांति प्रस्ताव पढ़ता है।
देश सत्य के लिए जीत की
परिभाषा खुद गढ़ता है।
विश्व समझे भारत की दृष्टि विशाल।
इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।
जो रहे अब तक भ्रम में
गंगा- जमुनी तहजीब रटा करते थे।
जो रहे अब तक घात क्रम में,
देश को जर्जर किया करते थे।
उनकी पहचान हुई, सुलझे सब सवाल।
इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।
अब वीर देश की जीत का
मुकुट धारण करता है।
प्रलय के मेघों का मुख मोड़
चट्टानों में राह बनाया करता है।
देश दुश्मनों की ताड़ चुका हर चाल।
इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।
कुछ छद्म बुद्धिजीवी क्यों,
आस्थाओं पर करते हैं प्रहार?
उन्हें पता होना चाहिए,
नहीं देश को यह स्वीकार।
समझो हमारी भाषा वरना जाओगे पाताल।
इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।
अमर जवान ज्योति, समर
स्मृति में हो रही है विलीन,
वीर भूमि के अमर शहीदों,
आपकी यादों में हम हैं तल्लीन।
आपके शौर्य से होली में है रंग गुलाल।
इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।
आओ देश के लिए जगाओ अंगार को,
आओ देश के लिए स्वर दो हुंकार को।
आओ देश के लिए गुंजाओ दहाड़ को।
आओ देश के लिए झुकाओ पहाड़ को,
जवानियों में धधक रहा है लाल - लाल ज्वाल ।
इस गणतंत्र टूट रहे सारे भ्रम जाल।
इस कविता को मेरी आवाज में यूट्यूब के इस लिंक पर सुनें:
https://youtu.be/0lsUosOyLLo