Followers

Friday, October 20, 2023

माता हमको वर दे (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#Durgamakavita

#दुर्गामाँकविता










माता हमको वर दे 

माता हमको वर दे
नयी ऊर्जा से भर दे ।  

हम हैं बालक शरण तुम्हारे,
हम अबोध हैं, प्यारे - प्यारे
आत्मशुद्धि पर हो ध्यान हमारा,
बुद्धि मेरी प्रक्षालित कर दे । 
माता हमको वर दे

शक्ति दो कि हम हों बलवान,
भक्ति दो कि हम हैं नादान
अंतरतम के गह्वर में
साधना - बल प्रखर दे
माता हमको वर दे ।

माँ, तुझमें ब्रह्माण्ड लय है,
तेरे भ्रूभंग में विकट प्रलय है
जीवन में सतत प्रगति का,
भाव सदा तू भर दे
माता हमको वर दे ।

मेरी त्रुटियों को दूर करो,
मेरी कमियों को दूर करो
मैं अपने देश का मस्तक,
उन्नत करूँ, बल भर दे
माता हमको वर दे ।


राष्ट्रप्रेम की उत्कट इच्छा,
अग्नि पथ पर प्रबल परीक्षा
कोई विपदा आ जाये तो
रण नाद का वारिद स्वर दे
माता हमको वर दे

©ब्रजेन्द्र नाथ 

Thursday, August 31, 2023

हम भारत वाले हैं (कविता) #चंद्रयान 3

 #BnmRachnaWorld

#Chandrayan3 #pragyan rover








हम भारत वाले हैं 

चंद्र धरा पर हमने अपने प्रतीक डाले है.
हम भारत वाले हैं, हम भारत वाले हैं.


मेघ कहाँ रोक पाया, हमारी उड़ान की गति को.
अंतरिक्ष में बढ़कर हमने अंकित किया प्रगति को.

चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर हमने विक्रम उतारा है.
अज्ञात क्षेत्र में सफल अकेला प्रयास हमारा है.

प्रज्ञान रोवर खोज रहा वहाँ जीवन की सम्भावना,
फलित हुआ हमारा संकल्प, शोध और साधना.

आकाश गंगा के तारे हमारी जद में आने वाले है.
हम भारत...

आज चंद्र यान, कल मंगल यान,  परसो  सूर्ययान.
आंतरिक्ष के ग्रह तारों का भ्रमण करेगा हमारा यान.

चाँद पर बनायेंगें हम अपना अंतरिक्ष पड़ाव स्थल.
वहाँ से आगे अभियान शुरू शुक्र, शनि और मंगल.

हमारे भी चाँद पर होंगे शहर, कस्बे और बस्तियाँ पर्यटन के लिए जाया करेंगे खूब करेंगे मस्तियाँ.

चंदा मामा महल सजालो आनेवाले हैं.
हम भारत वाले हैं, हम भारत वाले हैं.

जहाँ चंद्रयान 2 का लैंडर उतरा  नाम तिरंगा रखा है.
चन्दयान 3 का लैंडर उतरा नाम शिव शक्ति रखा है.

चाँद के दक्षिणी भाग पर हमारे रखे  नाम है.
चाँद के ये क्षेत्र हमारी खोज  के परिणाम हैं.

जल, खनिज औ जीवन की खोज जारी है.
यह सदी भारत की है, यह सदी हमारी है.

दुनिया वालो रस्क मत करो हम सबके रखवाले हैं
हम भारत वाले हैं, हम भारत वाले हैं.

23 अगस्त को हम अंतरिक्ष दिवस मनाएंगे.
लैंडर विक्रम उतरा जहाँ वहाँ तिरंगा फहराएँगे.

सूरज के अंदर की खोज में आदित्य यान भेजेंगे.
प्रतिक्रियाओं के महत्वपूर्ण ज्ञान क्रिया का लेंगे.

मंगल पर हम सतत गुलजार बस्तियाँ बसाएंगे.
फिर कृष्ण विवर (ब्लैक होल) की खोज में जायेंगे.

विश्व को अंतरिक्ष में नेतृत्व देने वाले हैं.
हम भारत वाले हैं, हम भारत वाले हैं.

प्रज्ञान रोवर तेरा विक्रम लैंडर से संवाद रत होना
अनुशासन पालन कर विक्रम से आदेश प्राप्त करना

धीरे से, मंद गति से संयम से बाहर तेरा आना,
चंदा मामा की सतह पर पद चिह्न उकेरा जाना.

सूरज की रोशनी में शैर को निकलना
विक्रम से हमेशा संवाद रत रहना
गड्ढे को देखते ही दिशा बदल लेना.
मेधावी पूत हो तुम तेरा ठुमक - ठुमक चलना

विलक्षण शोध भी तुमसे संभव होने वाले हैं.
हम भारत वाले हैं, हम भारत वाले हैं.

©ब्रजेन्द्र नाथ




Tuesday, August 22, 2023

जीते हमने कई आकाश (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#chandrayan3poem

#चंद्रयान 3 कविता






 मैं जो कविता लिखी है, वह हमारे वैज्ञानिकों की कामयाबी पर आधारित है। चंद्रयान - ३ अपने पथ पर गतिशील है। आप विभिन्न फ्रेमों से ली गई तस्वीरों के साथ मेरी कविता मेरी आवाज में  यूट्यूब के नीचे दिए गए लिंक पर भी सुनें । यही कविता मैंने सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मलेन तुलसी भवन द्वारा पिछले १९ अगस्त को आयोजित मैथिलीशरण गुप्त साहित्यकार सम्मान के उपलक्ष्य में भी सुनाई थी। आइये वैज्ञानिकों के द्वारा देश के लिए अर्जित उन गौरव के पलों को शब्द देने का प्रयास करता हूँ :


 जीते हमने कई आकाश

ज्ञान और विज्ञान ज्योति का

निरंतर व्याप्त हो रहा प्रकाश

कोविड वैक्सीन से यान अभियान

से जीते हमने कई आकाश.


विज्ञान के जटिल समीकरण

हमने प्रतिभा से किए है हल.

भारत सरकार, इसरो विभाग

का प्रयास हो रहा सतत सफल.



नमन उन ज्ञान वीरों को

जिनकी मेधा का है प्रमाण.

यह प्रक्षेपित हुआ, वह उड़ा,

बादलों के पार हमारा यान.


गगन भेद, रचने इतिहास

चंद्र कक्षा में घूम रहा है चंद्र यान

बस कुछ पलों की है देर

होगा रोवर चंद्र सतह पर गतिमान.


चंद्रयान घूम रहा सतह से मिनिमम दूरी की कक्षा

यही पर हमारे वैज्ञानिकों की है कठिन परीक्षा.


23 अगस्त का इन्तजार जब होंगे हम कामयाब

विश्व का पहला देश बनेगा, पूरे होंगे हमारे ख्वाब.


जय जय किसान, जय जय जवान ❗

जय जय विज्ञान, जय भारत महान ❗


हमने ली है आज शपथ

चलेगा सतत यह अभियान.

आज चंद्रयान, कल मंगल यान

परसो प्रक्षेपित होगा सूर्य यान.

©ब्रजेन्द्रनाथ




वीडियो लिंक :

https://youtu.be/QgeWWJdGGQw 

Friday, June 2, 2023

"तुम्हारे झूठ से प्यार है" कहानी संग्रह का लोकार्पण

 #BnmRachnaWorld

#Tumhare jhuth se pyar hai

#तुम्हारे #झूठ से #प्यार है









परम स्नेही सुधीजनों,

मेरी लिखी और कई स्थलों पर प्रकाशित चौदह कहानियों का संग्रह "तुम्हारे झूठ से प्यार है" का लोकार्पण साहित्य, भाषा और संस्कृति के उन्नयन के लिए समर्पित केंद्र सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन/ तुलसी भवन, जमशेदपुर (झारखण्ड) के प्रयाग कक्ष में 3 जून 23 को हो गया है. इस पुस्तक में मेरे पूर्व प्रकाशित धारावाहिकों और उपन्यासों पर प्रतिलिपि के पाठकों द्वारा व्यक्त टिप्पणियो और समीक्षाओं को भी स्थान दिया गया है. आप सबों की शुभेच्छाओं का आकांक्षी हूँ.

इस पुस्तक पर कुछ विद्वतजनों द्वारा व्यक्त विचारों को प्रस्तुत करते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है.

प्रसिद्ध साहित्यविद डॉ हरेराम त्रिपाठी "चेतन" जी द्वारा व्यक्त विचार देखें और इस पर आधारित रील का वीडियो फेसबुक पर अवश्य देखें :

बेचैन वर्तमान की भिन्न - भिन्न रंगों में रंगी महत्वाकांक्षाओं, नए अंकुरित मूल्यों, सम्बंधों की सीमारेखाओं को तोड़ती आकांक्षाओं तथा स्वयं से निर्मित परिभाषाओं के भीतर अपनी खोज करती इकहरी मानसिकताओं वाली कहानियाँ इस संग्रह में हैं. आधुनिक परिवेश के अंदर के उद्वेलनों, पहचान की बेचैनी और पसीने की गंध एवं संवेदनशीलता की नई नई धुनें थिरकती नजर आती हैं. कहानीकार ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र ने इन कहानियों के माध्यम से पीढ़ियों के अंतराल की मनोवैज्ञानिक सपनों के भार, टूटन का शोर को रेखांकित किया है.

कहानीकार मिश्र ने इन कहानियों के माध्यम से जीवन जीने और जीवन काटने का अर्थ भी समझा दिया है. इस संग्रह की कहानियों के समशीतोष्ण शब्दों ने नारी चेतना के नए स्वरों को नई भंगिमाएं दी हैं तथा कथा - तंतुओं की खिड़कियों से झाँकती आँखों में नई चमक उत्पन्न की है.

यह कहानी संग्रह "तुम्हारे झूठ से प्यार है " नए युग की जीजीविषा को उभारती है और पीढ़ियों के बीच चटके दरारों को रेखांकित करती है.

मैं ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र की कहानी चेतना की मंगल कामना करता हूँ और उनकी कलम से और अधिक उपजाऊ कहानी की फसल की उम्मीद करता हूँ.

डॉ हरेराम त्रिपाठी 'चेतन'

वरिष्ठ साहित्यकार, हिंदी एवं भोजपुरी.

बदलते शहरी समाज और रुमानियत की झलक

दिव्येन्दु त्रिपाठी

श्री ब्रजेन्द्र नाथ  मिश्र द्वारा रचित कुल चौदह कहानियों का संग्रह है यह पुस्तक - "तुम्हारे झूठ से प्यार है". श्री मिश्र कथा - साहित्य में अपनी गहरी पैठ रखते हैं तथा अपनी विशिष्ट शैली, कथानक के अनूठे स्वरुप तथा प्रसंगों को रोचक ढंग से समेटने की कला में माहिर हैं. आप अपनी कहानियों में अक्सर वैसे परिवेश और परिघटनाओं को लेकर आते हैं जो वर्त्तमान दौर को रूपायित करते हुए बदलते मानव - समाज को रेखांकित करती हैं. आप मुख्यतः शहरी परिवेश को चित्रित करने वाले कथाकार हैं. साथ ही रुमानियत को भी निराले अंदाज में रखने में सिद्धहस्त हैं. शहर तथा रुमानियत आपकी कहानियों के केंद्रस्थ भाव में रहते हैं. यदि किसी कहानी में गाँव उपस्थित हो गया तो उसमें भी किसी - न - किसी प्रकार से शहरी हस्तक्षेप नजर आ ही जाता है.

भूमण्डलीकरण के बाद और विशेषकर पिछले एक - दो दशकों में दूर संचार क्रांति के पुरजोर ने वैश्विक मानवीय संवेदनाओं के तानेबाने को नया स्वरुप प्रदान किया है.  भारत भी इससे अछूता नहीं बल्कि विश्व के कई अन्य देशों के मुकाबले यह नव्य परिवर्तनों को अधिक साक्षात्कृत कर रहा है. देशों तथा राष्ट्रो के बीच की दूरियां कम हो रही हैं. प्रव्रजन की सुविधाओं तथा वीजा - नियमों के लचीलेपन ने विश्व विरादरी को एक नया रूप प्रदान किया है. भारत के युवा विश्व के हर प्रमुख शहर में विद्यार्जन के क्रम में अथवा नौकरी या व्यापार में अपनी महनीय उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं. भारत हर जगह दिखाई पड़ रहा है. इस संग्रह की पहली कहानी "तुम्हारे झूठ से प्यार है " में बाला सुब्रमण्यम ऐसे ही युवाओं का प्रतिनिधि पात्र है.

नए दौर में 'प्रेम तथा परिणय' ने अपना तानाबाना बदला है. विभिन्न समुदायों, राज्यों के लोगों तथा विदेशी मित्र से प्रेम तथा विवाह अब कोई चौँकानेवाली बात नहीं रही. 'गेट वे ऑफ़ इंडिया' ऐसे ही दो परिवारों ( गुजराती तथा विहारी ) के बीच होने वाले वैवाहिक सम्बन्ध पर आधारित है.

"तुम्हारे झूठ से प्यार है" में भारतीय युवक और अमेरिकन युवती के बीच प्रणय को पनपते हुए दिखलाया गया है. छठवीं शताब्दी की पृष्ठभूमि पर लिखी ऐतिहासिक कहानी "प्रतिशोध का पुरस्कार" में तिब्बती भिक्षुक इत्सिंग तथा मगध की युवती के मध्य परिणय को दिखलाया गया है. हालांकि यह कथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य की नहीं है लेकिन इस विशेष परिप्रेक्ष्य (प्रणय - परिणय ) में आधुनिक समाज से स्पर्श करती हुई प्रतीत होती है.

इस संग्रह की कहानियों में देश तथा विश्व के कई प्रमुख नगरों की उजस्थिति दिखलाई गईं है - हैदराबाद, बैंगलोर, मुंबई, पुणे, दिल्ली, इरवाइन (कैलीफोरनिया, यू एस ए ) आदि जहाँ आज का युवा वर्ग अपनी धाक जमाते नजर आता है. मिश्र जी अपनी कथाओं पर काफी काम करते हैं. प्रेमियों के अंतरंग वार्त्तालापों को बारीकी से लिखते हैं. आधुनिक परिधान में सजी - धजी युवती के 'नख शिख वर्णन' में संस्कृतनिष्ठ शब्दों की झड़ी लगा देते हैं. इनकी कहानियों की नायिकायें इक्कीसवीं सदी की होकर भी छायावादी युग का मृदुल ह्रदय धारण करती है. उनमें छल - कपट नहीं, व्यक्तित्व में उलझाव नहीं. लेखक इनमें "कामायनी" की 'श्रद्धा' के कुछ अंश इन नायिकाओं में डालते हैं. आप नायिकाओं को आजकल के किन्हीं यथार्थ पात्रों को कल्पना शक्ति से विकसित कर उसमें 'श्रद्धा' के तत्व मिला डालते हैं. ये नायिकायें स्वभाव से लचीली होती हैं. शीघ्र कन्विंस / सहमत हो जाती हैं. उन्हें मित्र या प्रेयसी बनाने में अधिक फ़िल्मी दाव - पेंच आजमाना नहीं पड़ता है. वें शीघ्र ही प्रणय की परिधि में चली आती हैं. 'आलिंगन' की स्थिति के लिए सहज ही प्रस्तुत हो जाती हैं. वे पहल करती हैं, प्रपोज तक कर देती हैं.

   आजकल के अधिक संवेदनशील लेखक बदलते परिवेश को लेकर निराश दिखाते हैं. बहुराष्ट्रीयता तथा पूंजीवाद क्व प्रति गहन असंतोष प्रदर्शित करते हैं. भावी पीढ़ी की सफलताओं की दीवारों के नींव में पुरानी पीढ़ी की पीड़ा, मूल्यहीनता से उत्पन्न सिसकन, उपेक्षा, अंतराल आदि का दर्द आदि अधिक बेधनेवाला लगता है. इन बातों से इंकार नहीं किया जा सकता कि आधुनिक विकास नव कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है. लेकिन मिश्र जी की कहानियों के वरिष्ठ - नागरिक पात्र भी 'अपडेट ' हैं. वे नई पीढ़ी के बदलावों को सहर्ष स्वीकारते हैं. वे वर्जनाओं से ऊपर उठकर बच्चों के साथ - साथ नई हवा में झूमने का प्रयास करते हैं. समाज में बुजुर्ग होते लोगों की भी कई कोटियाँ हैं जो कि वैक्तिक अर्थव्यवस्था, नैतिक मानदंडों, परंपराओं के प्रति झुकाव की मात्रा आदि से प्रभावित रहती हैं. कथाकर ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र आशावादी लेखक हैं. वे आगे बढ़ते समाज, सफल होती युवापीढ़ी, वैश्विक समीप्य का सहर्ष स्वागत करते हैं.

लेकिन समाज की तल्ख़ सच्चाईयों तथा मूल्यों को आप बखूबी समझते हैं. केवल गुलाबी - गुलाबी ही नहीं बल्कि कंटाकाकीर्ण परिवेशबसे भी पाठकों को दो - चार कराते हैं. "विश्वास के दर्प" में एक बालक की ईमानदारी के प्रति निष्ठा को दर्शाया है. "वह गोली" में फ़ौजी जीवन के मार्मिक प्रसंगों को उठाया गया है. "रमजीता पीपर" कहानी में पर्यावरण के प्रति लोगों की अनिष्ठा, स्वार्थपरता तथा परंपरागत मूल्यों के क्षरण की बात उठाई गईं है. "मुस्कान को घिरने दो" में एक मेडिकल के विद्यार्थी की मानवीय संवेदना प्रकट हुई है.

उस संकलन में आई कहानी "प्रतिशोध का पुरस्कार" सबसे अलग हटकर है. उत्तरगुप्तकालीन  भारत की राजनैतिक धार्मिक वतावारण को उपवृंहित करती यह कहानी, श्वेत हूणों के अत्याचारों, उनकी नृशंस अवधारणाओं, नालंदा विश्वविद्यालय के आदर्शो, उत्तरकालीन गुप्त राजाओं की सत्तागत स्थिति को इस कहानी में अभिचित्रित किया गया है. संभवतः ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखी गईं यह लेखक की पहली कहानी है.

अंत में तीन हास्य व्यंग्य रचनायें इस संग्रह को अधिक रोचक बना रही हैं. गुदगुदी उत्पन्न करने वाली  ये रचनाएँ समस्याओं को व्यंजित करती हैं. "क्या मैं बैल हूँ" की व्यंजनात्मकता बेजोड़ है.

इस कृति से पूर्व भी लेखक के कई उपन्यास और कथा संग्रह प्रकाशित हैं. वे पुस्तकाकार रुप में अमेज़न पर और ई बुक के रूप अमेज़ॉन किंडल पर उयलब्ध हैं. यह संग्रह लेखक की लेखनी की प्रवाहशीलता का प्रमाण दे रहा है. यह पाठकों, विद्वानों तथा समीक्षकों द्वारा स्वीकृत और प्रशंसित होगा, ऐसा मेरा दृढ विश्वास है. "तुम्हरे झूठ से प्यार है" यथार्थ की बूंदों को मस्तिष्क और मानस के पत्तों पर अपनी चमक तथा मुस्कुराहट बिखेरे, ऐसी मेरी शुभकामना है.

दिव्येन्दु त्रिपाठी

रामनवमी

संवत - 2080

28 मार्च 2023.

(श्री दिव्येन्दु त्रिपाठी वास्तु, पुरातत्व और डी एन ए से सम्बंधित कई शोध - ग्रंधों के रचयिता हैं )



Friday, May 19, 2023

कोमल प्रकृति के शब्द मुखर (कविता) #सुमित्रानन्दन पंत

 #BnmRachnaWorld

#सुमित्रानन्दन पंत #sumitranandan pant











20 मई को छायावाद के प्रमुख स्तम्भ कविवर सुमित्रानंदन का जन्मदिन है. प्रस्तुत है मेरी लिखी कविता :

कोमल प्रकृति के शब्द मुखर 

हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.
मृदु राग भरा, है काव्य धरा,
मन भावों की है वसुंधरा.
तूने दिए हर स्पंदन को स्वर.

ग्रामश्री  का किया श्रृंगार सृजन
रजत मंजरियों से ढँका आम्र वन
गूंजन करता तेरा शब्द भ्रमर.
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.

मौन निमंत्रण में विम्ब विन्यास
भर देते उर में  उर्मिल उच्छवास.
विहग - कुल - कोकिल - कंठ -स्वर
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.

बसंत राग में वर्णित मधुमास
सुरभि से अस्थिर मरुताकाश
प्रणय में रोमांचित हुआ उर्वर
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.

पतझड़ में बिछड़े जीर्ण पात
नव पल्लव का मधुमय प्रभात
जीवन दर्शन का है ज्ञान प्रखर.
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर

मृदु राग भरा, है काव्य धरा
मन भावों की है वसुंधरा
तूने दिए हर स्पंदन को स्वर.
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.

©ब्रजेन्द्र नाथ 


Thursday, February 2, 2023

चंदा रे शीतल रहना (कविता) #गीत

 #BnmRachnaWorld

#moon #chandaresheetalrahana










चंदा रे शीतल रहना 

जगत भर को तपन से त्राण देने के लिए
करोड़ों को सुधा का दान देने के लिए.
चंदा रे  शीतल रहना - 2

सूरज की तपन लेकर के
तू करता है अवशोषण.
छिटकाई जो तूने किरण,
करती चित्त का है शमन.
तू उज्जवलता  का जग को दे रहा है दान रे
तू मानवता का हरदम रख रहा है मान रे.
चंदा रे तू अविचल  रहना.
चंदा रे  शीतल   करना - 2

तुझे शिव ने किया धारण
तेरा विस्तार ज्यों वामन.
हुआ समुद्र का मंथन
तेरा जनम, एक रतन.
अम्बर के सितारों में तू गोलाकार है
ह्रदय में, नयन में, तू ही बस साकार है.
चंदा रे अचंचल  रहना.
चंदा रे शीतल  रहना - 2

विश्व में विष का शमन
बुद्धि में प्रभु का मनन.
कराता ईश का वंदन
हमारे रुके नहीं चरण.
तेरी उपमा है दी जाती, तू मामा है बच्चों का,
तेरी महिमा सुहाती है, तू प्रेमा के मुखड़े सा

चंदा रे, अविरल रहना.
चंदा रे,  शीतल रहना - 2

©ब्रजेन्द्रनाथ

इस कविता को संगीत बद्ध  किया गया है. इसके यूट्यूब लिंक के लिए नीचे की तस्वीर पर क्लीक करें...




Wednesday, January 25, 2023

इस गणतंत्र उठ रहे कुछ सवाल (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#gantantra #diwas #gantantradiwaspoem




परम स्नेही आदरणीय मित्रों,
कृपया यह संदेश अवश्य पढ़ें :
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हमें कुछ विषयों पर सोचना चाहिए. वैसे देश ने कोरोना संक्रमण के काल को पार कर विकास की राह पकड़ ली है, यह संतोष की बात है.
लेकिन अभी भी कुछ सवाल हैं, जो हमारी गति के त्वरण को प्रतिगामी बना रहे हैं.
हमें अग्रगामी बनने के लिए, 5 ट्रिलियन आर्थिक शक्ति बनने के लिए, आम जन को व्यथित करते इन कतिपय प्रश्नों या इनके जैसे अन्य प्रश्नों का हल ढूढना पड़ेगा... इन्हीं भावों को गुम्फित करती मेरी यह रचना मेरी आवाज़ में यूट्यूब लिंक पर भी सुनें ...

इस गणतंत्र उठ रहे कुछ सवाल

स्वतंत्र देश में हो आमूल परिवर्तन
इंग्लिश कानूनों को बदलना होगा.
देश की परिस्थितियों के अनुसार
अपने शासन तंत्र को चलना होगा.
कोई भी,  क़ानून से नहीं है विशाल.
इस गणतंत्र फिर कोई नहीं सवाल.

जनसंख्या वृद्धि में क्यों होना आगे?
क़ानून हो सख्त, लागू हो नियंत्रण.
श्रोतों पर दबाव  कम करने होंगे
जनता का इसमें है पूर्ण समर्थन.
इससे किसी को क्यों हो मलाल?
इस गणतंत्र फिर कोई नहीं सवाल.

कन्हैया और कोले के कातिल
इसी तरह जुर्म को देंगे अंजाम?
क़ानून के रक्षक कर्तव्य निभाएंगे
जब हो जायेंगे सारे काम तमाम?
भ्रष्ट तंत्र का कब टूटेगा मकड़ जाल?
इस गणतंत्र उठ रहे कुछ सवाल.

आफ़ताबों की हिम्मत ऐसी बढ़ेगी कि
दिग्भ्रमित श्रद्धा के टुकड़े किए जायेंगे?
न्याय प्रक्रिया इतनी पंगु हो जाएगी
जुल्म साबित करने में वर्षों लग जायेंगे?
विलंबित न्याय का कब सुधरेगा चाल?
इस गणतंत्र उठ रहे कुछ सवाल.

धर्म परिवर्तन पर लागू हो क़ानून
किसी को न लालच, न हो दबाव
कोई भी झूठे झांसे में न लाये जाएँ.
किसी से कभी ना हो दुराव छिपाव.
कोई भी कमल कामत ना बने कमाल.
इस गणतंत्र उठ रहे कुछ सवाल.

सरकारी जमीन और संपत्तियों पर
अनाधिकार कब्जे का हो अधिग्रहण.
सड़कों, गलियों पर दबंगों के कब्जे से
मुक्त हो गलियाँ, खत्म हो अतिक्रमण.
दिलों में बस जाएँ लोकसेवक, टूटे भ्रम जाल.
इस गणतंत्र फिर कोई नहीं सवाल.

विकास की गति में भी हो विचार
पहाड़ों के अस्तित्व का हो संरक्षण,
नदियाँ ना बदल जाएँ गंदे नालों में,
स्वच्छ जल और हवा से ही है पर्यावरण
संतुलित विकास को पुनः करें बहाल.
इस गणतंत्र फिर कोई नहीं सवाल.

इस बार कोई भी सेनानियों के
शौर्य का नहीं मांगे कोई प्रमाण.
इस बार कोई भी उठाये न ऊँगली
दे सके तो दें उन्हें प्रेम और सम्मान.
वीरत्व और पराक्रम के साक्षात् मिशाल.
फिर किसी गणतंत्र ना कोई उठे सवाल.
फिर कोई क्यों करे  सवाल...?
इस गणतंत्र फिर कोई नहीं सवाल.
©ब्रजेन्द्र नाथ
यूट्यूब लिंक :

https://youtu.be/0TNmAfOjwqg







माता हमको वर दे (कविता)

 #BnmRachnaWorld #Durgamakavita #दुर्गामाँकविता माता हमको वर दे   माता हमको वर दे । नयी ऊर्जा से भर दे ।   हम हैं बालक शरण तुम्हारे, हम अ...