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Saturday, May 7, 2022

उत्सव मना ले (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#motivational poem









उत्सव मना ले

कौन बैठा है एकांत,
खंडहर के अवशेष में।
रोकता हुआ स्वयं की
छाया को इस परिवेश में।

लो उतरती बादलों के
बीच से पंखों वाली परी।
बाँट ले उससे तू अपनी
चिंताओं, अवसादों की घड़ी।

भूल जा वो क्षण जो
थे तुम्हें विच्छिन्न करते।
लासरहित, निरानंदित
श्रमित, थकित, व्यथित करते।

लेकर है आयी एक नव
उल्लास तुझमें जगाने।
तेरे मन से विषाद के
फैले हुए घेरे मिटाने।

जीवन में उमंगों के,
खुशियों के पल चुरा ले।
मिलेगी ना दुबारा जिंदगी
मस्ती भरा तू उत्सव मना ले।

©ब्रजेंद्रनाथ

Sunday, May 1, 2022

देश में नए आए हो.(कहानी) लघुकथा

 #BnmRachnaWorld

#laghukatha









देश में नए आए हो

मैं आयरलैंड  पहली बार गया था। कुछ दिन होटल में बिताने के बाद मुझे अपार्टमेंट में आवास मिल गया था। यहाँ की तुलना में वहां का मौसम बहुत प्रतिकूल और क्षण क्षण परिवर्तित होने वाला था। जनवरी के महीने में मौसम की उच्छृंखलता और भी बढ़ जाती थी। तेज ठंढी हवाएं, तापमान 9 डिग्री सेंटीग्रेड से -16 डिग्री सेंटीग्रेड तक परिवर्तित होता रहता था। बाहर में निकलने के पहले हाथों में ग्लोव्स पैर में पूरा कवर करता हुआ शूज और चार - पांच तह विशेष गर्म कपड़ों को पहनकर निकलना आवश्यक होता था।
ऐसे ही एक दिन मैं पूरे  कपड़ों से सुसज्जित होकर वहाँ से आधा  किलोमीटर दूर  मेट्रो पकड़कर  एक मॉल गया था। वहाँ भारतीय खाद्य सामग्रियाँ भी मिलती थी। समान लेकर  मैं मेट्रो के लिए  पैदल ही निकला था। मेट्रो स्टेशन के पास पहुंचने पर पता चला कि मेट्रो बंद है। कब चलेगा इसकी कोई निश्चित सूचना नहीं थी।
दूसरा विकल्प बस थी। सुनसान सड़क पर वाक करते हुए करीब 70 वर्ष से अधिक उम्र के  बुजुर्ग दंपति से मैंने पूछा था कि बस स्टैंड कितनी दूर है। उन्होंने कहा कि बस स्टैंड यहाँ से 2 किलोमीटर पर होगा। थोड़ी ही देर में शाम घिरने वाली थी। शाम होते ही तेज हवाएँ चलनी शुरू हो जाती थी।  हड्डियों को गला देने वाली ठंढ के बढ़ने के साथ मौसम की भयावहता बढ़ जाती थी। मुझे शीघ्र ही अपने आवास पहुंचना आवश्यक था।
मैं बस पकड़ने के लिए  एक दिशा में बढ़ गया था। वहाँ पर नेट भी नहीं था, जिससे गूगल मैप की मदद ली जा सके। मुझे लगा था कि उस सुनसान सड़क पर मेरे पीछे कोई आ रहा है। मैं ने डरते - डरते पीछे मुड़कर देखा तो वे बुजुर्ग दंपति लगभग दौड़ते हुए ही आ रहे थे। मैंने समझा उन्हें किसी तरह  की मदद की आवश्यकता होगी इसीलिये वे तेजी से हमारी तरफ आ रहे हैं। वे मेरे करीब आ गए, तब मैंने पूछा,  "क्या आपको कोई मदद चाहिए?"
उन्होंने कहा था, "लगता है आप इस देश में  नए आये हो। मदद हमें नहीं आपको चाहिए।"
मैंने कहा, "मैंने समझा नहीं।"
"आप जिस ओर जा रहे हो, बस स्टैंड उसकी विपरीत दिशा में है।"
मैं तो हतप्रभ था। वे मुझे सही दिशा निर्देश देने के लिये तेजी से मेरी ओर आ रहे थे।
उन्होंने कहा, "आप मेरे साथ आओ। मैं आपको  बस स्टैंड तक छोड़ देता हूँ।"
वे आगे - आगे चलते रहे। मैं उनके पीछे- पीछे चल रहा था। जब बस स्टैंड करीब आ गया, उन्होंने मुझे उस स्थान पर छोड़ दिया। मैंने समझा था कि उन्हें भी इसी ओर आना था, इसलिए वे मुझे साथ लिए हुए आ गए।
मैंने पूछा था, "आप को किस ओर जाना है?"
वे बोले थे, "जहां से मैं आपके साथ आ रहा हूँ, उसकी दूसरी ओर मुझे जाना है। आप चिंतित नहीं हो हमलोगों को इतना चलने की आदत है। हमलोग चले जायेंगे। आप मेरे देश में नए हो। आप अगर कहीं भटक गए, खो गए, तो मेरे देश के नागरिकों के  प्रति आपके मन में अमैत्री पूर्ण (अन्फ़्रेंडली) व्यवहार करने वाली  छवि बैठ जाएगी।"
इतना कहकर, हंसते हुए, 'फिर मिलेंगे' कहकर उन्होंने विदा लिया था। उनकी छवि आज भी मन में बसी हुई है।
ब्रजेंद्रनाथ

माता हमको वर दे (कविता)

 #BnmRachnaWorld #Durgamakavita #दुर्गामाँकविता माता हमको वर दे   माता हमको वर दे । नयी ऊर्जा से भर दे ।   हम हैं बालक शरण तुम्हारे, हम अ...