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25 अक्टूबर, विजयादशमी के दिन आ अवधेश कुमार सिंह जी, वैशाली, दिल्ली एन सी आर, द्वारा संचालित "पेड़ों की छाँव तले रचना पाठ" के अंतर्गत आयोजित 68 वीं गोष्ठी में वेबिनार के माध्यम से भाग लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ। उसी समय ली गयी तस्वीरों के साथ सभी सहभागियों की रचनाओं का अंश सुनते हुए अंत में मेरी रचना का ऑडियो आप सुनेंगें। तो आइये तस्वीरों के माध्यम से उस दिन के गूगल मीट की साहित्यिक यात्रा पर चलते हैं , मेरे यूट्यूब चैनल "marmagya net " के साथ : इस चैनल को अवश्य सब्सक्राइब करें, यह बिलकुल फ्री है। सादर !
यूट्यूब लिंक: https://youtu.be/UA_npwoGaG0
विजयादशमी पर राम का आह्वान
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जब -जब रावण की शक्ति बढ़ेगी,
राम को आना होगा।
आकाश के नक्षत्रों को मिलकर
विषम - काल सुलझाना होगा।
जब पाप और अनाचार का
राक्षस निर्बाध यूँ धूमेगा।
जब - जब ताकत के मद
में पागल हाथी - सा झूमेगा।
गांडीव उठा, कर संधान
जग को त्राण दिलाना होगा।
राम को आना होगा--2
जब - जब नारी सन्देहों
में घिर शापित होती रहेगी।
जब - जब मूक शिला बनकर
निरानंदित जीती रहेगी।
अपने चरणों के रजकण से
उनका उद्धार कराना होगा।
राम को आना होगा-2
जब - जब संस्कृति के पोषक
का अस्थि - समूह बन जायेगा।
जब - जब सभ्यता कराहेगी,
मानव असहाय बन जायेगा।
तब भुजा उठा प्रण कर
अरि- व्यूहों को ढहाना होगा।
राम को आना होगा, --2
राम इस धरा पर कभी
मानव का रूप नहीं लेंगें।
राम अब दसरथ नंदन बन,
कभी भी लीला नहीं करेंगें।
अब राम - भक्तों को जुटकर,
अंदर का राम जगाना होगा
हृदय में बस जाना होगा। 2
रावण तभी जलेगा , जब
हमारा अहंकार मिट जाएगा।
रावण तभी मिटेगा जब,
लोभ और मोह नहीं सताएगा।
राम भक्त बनने के लिए
मन शुद्ध बुद्ध बनाना होगा।
अंतर का राम जगाना होगा
राम को आना होगा--2
©ब्रजेन्द्रनाथ