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Sunday, March 28, 2021

अलसाया तन बौराया मन.(कविता)

 #BnmRachnaWorld

#poemonholi




फागुनी  (नव)गीत  

अलसाया तन, बौराया मन,
कल्पना का नहीं ओर छोर.
कोयल भी कूक रही मीठी - सी धुन,
बगिया में गदराया अमवां का बौर।


लाल रंग फ़ैल गया यहां - वहाँ,
लहक गया, दहक गया पलाश वन।
आँखें टिकी हुई चौखट पर,
पिऊ संग कब होगा मिलन।


फाग का राग बन आ गई होली भी,
अब तो घर आ जा मेरे सजन।
बयार भी चुभ रही काँटा बन,
मन हुआ बावरा, बिसर गया तन।


आँगन में सास मेरी खाट डाले हुए,
देहरी पर है ससुर जी का पहरा।
मन तो लांघ जाता सारी हदें, 
मर्यादाएं  
कैसे तोडूँ,  पांव ठिठक ठहरा।


आँखे थी टकटकी लगाए हुए,
पड़ती रही ढोलक पर थाप पर थाप।
चुनरी भींगो गयी कोई सहेली मेरी,
पर न मिट पाया मन का संताप।

©ब्रजेंद्रनाथ


Monday, March 22, 2021

कैसी हो देशभक्ति (लेख)

 #BnmRachnaWorld

#patriotic essay










(तस्वीर गूगल से साभार)

कैसी हो देशभक्ति?

सीमा पर लड़ना देशभक्ति है। परंतु सिर्फ सीमा पर लड़ना ही देशभक्ति नहीं है। देश में रहते हुए देश के लिए जीना भी देशभक्ति है। कैसे?

अगर आप सामान्य जीवन जीते हुए निर्धारित नियमों का पालन करते हैं, तो आप देशभक्त हैं। अगर आप अपनी जरूरत के मुताबिक जल का उपयोग करते हैं, अगर आप अनावश्यक बिजली नहीं जलाते हैं, (जिसमें अनावश्यक टीवी देखना भी है), अगर आप छोटे-छोटे काम के लिए थोड़ा चलकर पेट्रोल बचाते हैं, अगर आप सारे पेमेंट डिजिटली करते हैं, अगर आप सरकारी कामों के लिए अतिरिक्त सेवा शुल्क नहीं देते हैं, अगर होटलों में टिप नहीं देते हैं, अगर आप राजधानी या अन्य प्रीमियम ट्रेनों में सर्विस देने वाले को टिप नहीं देते हैं, अगर आप किसी भी दफ्तर में भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध पी एल आई दाख़िल कर संघर्ष करते हैं, अगर आप किसी भी पद पर रहते हुए ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, अगर आप नेता के रूप में देश की सेवा करते हुए सरकारी सुविधाओं का कम से कम उपयोग करते हैं, अगर आप शिक्षक के रूप में अपने आचरण द्वारा विद्यर्थियों में अच्छे आचरण के बीज डालते हैं, अगर आप किसी भी गलत कार्य के विरुद्ध संघर्ष के लिए उठ खड़े होते हैं, अगर उच्च पद पर आप अपने कार्यों के निष्पादन में पारदर्शिता अपनाते हैं, अगर आप अपने व्यवसाय के किसी भी क्षेत्र में ग्राहकों का ख्याल रखते हुए ईमानदारी बरतते हैं, अगर आप देश के अंदर स्थित जयचंदों को समूल नष्ट करने का कड़ा कदम उठाते हैं, अगर आप देश में कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति के लिए सबकुछ करने को तैयार रहते हैं, तो आप देशभक्ति को ओढ़ने, सोने , बिछाने और  हृदय में उतारने वाले सबसे बड़े देशभक्त हैं।

©ब्रजेन्द्रनाथ

Tuesday, March 9, 2021

विश्व महिला दिवस पर (लेख)

 #BnmRachnaWorld

#worldwomenday













यह लेख विश्व महिला दिवस को समर्पित है।

सबसे पहले विश्व महिला दिवस की अशेष शुभकामनाएँ!

मैंने एक कविता लिखी थी जब तीन मगिलायें पहली बार पायलट बनी थीं। उसे साझा करना चाहता हूँ:

चीर नापने नभ को

(भारतीय वायुसेना में तीन महिलाओं, अवनि चतुर्वेदी, मोहना सिंह जितवाल, भावना कंठ  को 2016 में पहली बार पायलट बनने पर।)

चल पड़ी वह लाँघ देहरी,
चीर नापने नभ को,
अग्नि-दाह से भस्म करने
अरि-समूह-शलभ को।

पहन वेश सेनानी का 
वह बनी देश की शान है।
धूल चटाने दुश्मन को
छिड़ा समर - अभियान है।

देखो वह नीले पथ पर,
गगन में भर रहा उडान।
घहरात पवि - सा विराट
स्वर ध्वनित गुंजायमान।

वह वायु-युद्ध की सेनानी,
बरसाएगी अग्निवाण। 
भयाक्रांत विवर्ण शत्रु का
मर्दन करेगी मिथ्या मान। 

अम्बर में गरजा विमान,
घिर गया गिद्धों का झुंड।
ध्वस्त हुए आतंक - शिविर
बिखर गये उनके नर मुंड ।

शत्रु की छाती का शोणित
रण चंडी बन पान करेगी।
भारत माँ की बिन्दी को
पुत्रियाँ प्रभावान करेगी।

©ब्रजेंद्रनाथ मिश्र

"यंत्र नार्यस्तु पूज्यन्ति रमन्ते तंत्र देवता"
यह शास्त्रों में सिर्फ लिखा नहीं है, इसे मैंने महसूस किया है। भारतीय समाज की उन्नति को स्त्रियों के सम्मान के स्तर पर ही आंका जाता है। स्त्रियों के शोषण पर आधारित मान्यताओं को हमारे सामाज ने ही ध्वस्त किया है। यहां देवताओं का अवतरण भी माँ के गर्भ से ही हुआ है। गार्गी, लीलावती जैसी विदुषी नारियों की जन्मस्थली भी यह देश रहा है।
साहित्य के क्षेत्र में भी नारियों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। मीरा, महादेवी वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान, ममता कालिया, कृष्णा सोबती, निर्मला सिन्हा, मालती जोशी आदि। नारियाँ "आँचल में दूध और आंखों में पानी" के युग से "चीर नापने नभ को" के युग में प्रवेश कर चुकी हैं। इस वास्तविकता से पुरूषों को शीघ्र ही अपनी समझ में सुधार, ( अगर जरूरत हो तो), करने की आवश्यकता है।
आपसी समझ से समरसता के विकास और पोषण के द्वारा ही हमारा समाज आगे बढ़ता रहा है। महिलाएँ, पुरुषों की सहभागिनी हैं, इसलिए उनके साथ संवेदना और सहानुभूति की नहीं, सहृदयता और सदाशयता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बढ़ने की जरूरत है।
नारियाँ जिस मंजिल को हासिल करने के लिए आगे बढ़ती हैं, उनकी उड़ान के लिए उन्हें सशक्त बनने की आश्यकता है, नए क्षितिज के नए आसमान स्वयं खुलते चले जायेंगें।

©ब्रजेंद्रनाथ


माता हमको वर दे (कविता)

 #BnmRachnaWorld #Durgamakavita #दुर्गामाँकविता माता हमको वर दे   माता हमको वर दे । नयी ऊर्जा से भर दे ।   हम हैं बालक शरण तुम्हारे, हम अ...