#BnmRacbnaWorld
#motivationalpoem
#jugnuugatehain
(एक ग़ज़लनुमा कविता)
जुगनू उगाते हैं
चलो हाथों में कुछ जुगनू उगाते है,
रेखाओं से परे, किस्मत जगाते हैं।
उन्हीं तस्वीरों पर रोया करते है लोग,
जीवन में जो दूसरों के काम आते है।
कोई तो सूरत होगी इस भीड़ में कहीं,
जिन आंखों से आप आंखें मिलाते हैं।
मैं भटकता हूँ नहीं, तिश्नगी में कहीं,
होगा कोई, जो प्यासे के पास जाते हैं।
कुछ लोग तो होंगे सफर में ऐसे भी,
जो दूसरों का बोझ अपने सर उठाते हैं।
चलो हाथों में कुछ जुगनू उगाते है,
रेखाओं से परे, किस्मत जगाते हैं।
©ब्रजेंद्रनाथ