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#सुमित्रानन्दन पंत #sumitranandan pant
20 मई को छायावाद के प्रमुख स्तम्भ कविवर सुमित्रानंदन का जन्मदिन है. प्रस्तुत है मेरी लिखी कविता :
कोमल प्रकृति के शब्द मुखर
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.
मृदु राग भरा, है काव्य धरा,
मन भावों की है वसुंधरा.
तूने दिए हर स्पंदन को स्वर.
ग्रामश्री का किया श्रृंगार सृजन
रजत मंजरियों से ढँका आम्र वन
गूंजन करता तेरा शब्द भ्रमर.
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.
मौन निमंत्रण में विम्ब विन्यास
भर देते उर में उर्मिल उच्छवास.
विहग - कुल - कोकिल - कंठ -स्वर
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.
बसंत राग में वर्णित मधुमास
सुरभि से अस्थिर मरुताकाश
प्रणय में रोमांचित हुआ उर्वर
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.
पतझड़ में बिछड़े जीर्ण पात
नव पल्लव का मधुमय प्रभात
जीवन दर्शन का है ज्ञान प्रखर.
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर
मृदु राग भरा, है काव्य धरा
मन भावों की है वसुंधरा
तूने दिए हर स्पंदन को स्वर.
हे कोमल प्रकृति के शब्द मुखर.
©ब्रजेन्द्र नाथ