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Saturday, October 27, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 41 वाँ और 42 वाँ दिन (Day 41, 42)

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13-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 41 वाँ दिन (Day 41):
आज के दिन हमलोग Orange County Great (baloon) Park गए। वहाँ संतरों के बागीचे को नजदीक से देखने की इच्छा की तृप्ति हो गयी। मैने OC Great Park की चर्चा पहले भी की थी। यह पार्क काफी दूर तक फैला हुआ है। इसके दूसरे किनारे पर एक फ़ार्म है, जो सरकार द्वारा संचालित शोध संस्थान के लिये प्रयुक्त होता है। वहाँ गिरे हुए, बिखरे, फैले हुए संतरों को देखना नया अनुभव जैसा था।
आज सुबह हैदराबाद से अपने बेटे के पास आये N Bikhupati से मिलने का मौका मिला। पिछले सप्ताह उनके लड़के की कार को एक मोड़ पर किसी दूसरी कार ने पीछे से टक्कर मार दी थी। उनका कार तो क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन कोई खास चोट नहीं आयी थी। यहाँ के इन्स्योरेंस के नियमों के अनुसार क्षतिग्रस्त कार, इन्स्योरेंस वाले ले गए। उसके बदले तबतक के लिये उन्हें दूसरी कार दे दी गई थी, जबतक उनकी अपनी कार रेपेयर कर मिल नहीं जाती है। इन्स्योरेंस कम्पनी ही सारा खर्च वहन करती है। जिस कार ने उन्हें ठोका था, उसे कोई गोरी लड़की चला रही थी। वह मोबाइल पर कुछ मैसेज पढ़ रही थी, इतने में शायद अचानक सिग्नल पर गाड़ियाँ खड़ी दिखी थी और उसने पीछे से ठोक दिया। वह लड़की दुर्घटना के समय में काफी घबरायी हुयी थी। यह सब उनके लड़के से उनके घर पर जाकर मिलने से और बात करने से पता चला।
श्री भिखुपति जी काफी मिलनसार हैं। उन्होने यहाँ के सारे भारतीय मूल के वरिष्ट नागरिकों को, जो अपने बच्चों के पास आये हुए हैं, उन्हें एक साथ जोड़ने और मिलाने का कार्य किया है। उनके लड़के एक अच्छे फोटोग्राफर भी हैं। आज उनके घर पर हमलोग 1:00 बजे तक थे। उनके लड़के ने हमारी तस्वीरें भी उतारी। इसतरह आज के दिन को भी खास बनाने में हम सफल रहे। क्रमशः !

14-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 42 वाँ दिन (Day 42):
आज के दिन को खास बनाने के लिये मैने कुछ खास नहीं किया। कैसे खास बनाया जाय, इसपर सोच विचार कर ही रहा था कि दोपहर बीत गयी।
सोचते -सोचते मेरा ध्यान अमेरिका के इमिग्रेशन नियमों को कड़ा करने पर और उसके इम्पैक्ट पर गया। भारत की आई टी सर्विस देने वाली जो कंपनियाँ यहाँ पर काम कर रही हैं, उनपर अमेरिकन को बहाल करने का दबाव है। अगर वे अमेरिकन नागरिक को बहाल करते हैं, तो उन्हें उन पदों और जिम्मेवारियों के लिये एक भारतीय टेकनिशियन की अपेक्षा दूगना देना पड़ता है। साथ ही वे यहाँ के नियमों के अनुसार एक सप्ताह की अग्रिम सूचना पर दूसरी कम्पनी में जा सकते हैं। इसतरह उनका कम्पनी में स्थायित्व पर प्रश्न चिन्ह हमेशा लगा रहता है। अगर वे किसी भारतीय टेकनोलोजिस्ट को बहाल करते हैं, तो उन्हें वेतन कम देना पड़ता है। लेकिन उनके वर्किंग वीसा के समय को बढ़ाये जाने पर हमेशा संशय बना होता है। इसतरह भारतीय आई टी कम्पनियों को यहाँ उन्मुक्त होकर, कुशलतापूर्वक काम करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।
यही सब विचार करते हुए दोपहर का समय बीत गया। शाम को पार्क की ओर घूमने निकले। पार्क में एक इण्डियन जैसे ब्यक्ति दिखे। उनको नमस्ते कहा। उनसे मैने ही पूछा, "आप कहाँ से आये हैं?" उन्होने कहा, "कोलकता से।" मैने तपाक से पूछा, "मैं भी जमशेदपुर से आया हूँ।" फिर उनसे बातों का सिलसिला चल पड़ा। वे अपनी बेटी के यहाँ आये हुए हैं। उनके दामाद एक शोधार्थी हैं। पिछले काई वर्षों से वे यहाँ रह रहे हैं। मेरी पत्नी भी उनकी पत्नी से काफी देर बातें करती रहीं। इसतरह आज का दिन भी कुछ विशेष बन ही गया।
क्रमशः 

Tuesday, October 23, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 39 वाँ और 40 वाँ दिन (Day 39, 40)

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11-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 39 वाँ दिन (Day 39):
हमलोग सुबह पास के बड़े पार्क की ओर गए। वहाँ लडकियों का फुटबॉल मैच चल रहा था। लौटते हुए हमलोग एक अच्छी सोसायटी के अंदर की सड़क से होते हुए आये। ये सारे घर बन्गलानुमा थे जिसमें दो कारों के लिये गैरेज बना हुआ था।
आज नाश्ते के बाद तैयार होकर साढ़े बारह बजे हमलोग लॉस एंजेल्स के लिये प्रस्थान किए। लॉस एंजेल्स यहाँ से 55 मील (88 कि मी) है। पहले विचार था कि Griffith Observatory चला जाय और वहाँ से पहाड़ पर Hollywood साइन वाला नजारा देखा जाय। लेकिन इसके बाद विचार किया गया कि क्यों नहीं Hollywood hills और Hollywood Lake साइट पर ही चला जाय, ताकि Hollywood वाला साइन नजदीक से साफ़-साफ़ सुस्पष्ट रूप में देखा जाय।
चौड़ी-चौड़ी, साफ़ सुथरी सड़कों से होते हुए हमलोग करीब 3 बजे Hollywood Hills पर पहुँच गए। कार को उतना ऊपर तक ले गए जहाँ पर जाकर कार पार्क की जगह मिली। उपर में कार पार्किग की विशेष ब्यवस्था का अभाव दिखा। कार पार्किंग के लिये सड़क के समानांतर ही पार्किंग करनी पड़ी। पैदल ही सड़क से होते हुए थोड़ी और ऊपर तक चढ़ाई करनी पड़ी, जहाँ से HOLLYWOOD का चिन्ह साफ़-साफ़ दिखता था। वहाँ रास्ते में Maxico Cactus भी दिखे, जिसकी तस्वीर मैने उतारी । इस Cactus का जिक्र मैने लॉस एंजेल्स और Hollywood के इतिहास का वर्णन करते हुए किया था।
HOLLYWOOD साइन का भी एक इतिहास है। यह एक तरह से अभी के अमेरिका का एक मार्क बन गया है। यह LA में स्थित एक साँस्कृतिक और मनोरंजन से जुड़े उद्योग का प्रतीक बन गया है। यह प्रतीक चिन्ह लॉस एंजेल्स के Santa Monica Mountain Range में स्थित Hollywood Hills क्षेत्र के Mount Lee पर बना हुआ है।
यह चिन्ह 44 फीट(13.4 m), लम्बे आकार के सफेद इंग्लिश के Capital Letters में 352 फीट(103.3m), लम्बे स्थान में लिखा हुआ है। यह चिन्ह मूलरूप मेन 1923 ई में बना था, जिसे स्थानीय real estate के विकास के विज्ञापन के लिए बनाया गया था। लेकिन इसके बढ़ते खर्च के कारण इसे छोड़ दिया गया था। यह चिन्ह कई बार तोड़-फोड़ और उधम मचाने वालों द्वारा खंडित किए जाने हेतु इसे निशाना बनाया गया। परंतु इसे पुन: स्थापित किया गया। इन्हीं सब कारणों से इसके लिए एक सुरक्षा उपाय का भी निर्माण किया गया। अभी यह चिन्ह Hollywood Sign Trust द्वारा संरक्षित और सुरक्षित किया जाता है। यह स्थल, जहाँ पर यह साइन बना है, वहां पर की और अन्य चारो तरफ की जमीन भी Griffith पार्क के अधिकार क्षेत्र में आता है।
नीचे से देखने पर पहाड़ी के उतार-चढ़ाव पर स्थापित अक्षर तरंगनुमा नजर आते है। अगर उन्हें उसी उँचाई से देखें तो सभी अक्षर एक ही सीध में खड़े लगेंगे। Establishing shots (जिसका वर्णन हम Irvine Spectrum केज वर्णन के सिलसिले में कर चुके हैं) में अक्सर इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
हमलोग वहाँ जितना नज़दीक जा सकते थे, उतना नजदीक पहुँचकर तस्वीरें लीं। वहाँ पर शैलानियों के लिए सुविधा की कमी दिखी जो अमेरिका की संस्कृति से मेल नहीं खाती है। वहाँ नजदीक में रेस्ट रुम की सुविधा का अभाव दिखा। शायद अमेरिकी सरकार नहीं चाहती हो कि इस स्थान पर भीड़भाड़ बढ़े।
क्रमश:
12-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 40 वाँ दिन (Day 40):
मित्रो, आज के दिन को कैसे खास बनाया जाय? इस पर मैने विचार किया तो एक विचार मन में आया कि क्यों नहीं पिछले दिनों की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए "HOLLYWOOD" के चिन्ह के इतिहास पर पुन: दृष्टि डाली जाय।
हमने देखा कि 1923 ई में मूलत: इसे "HOLLYWOODLAND" के नाम से विकसित और प्रचारित किया गया था। इसका मूल उद्देश्य लॉस एंजेल्स के Hollywood District (तालुका) की पहाड़ियों पर गृह निर्माण और विकास की योजना का विज्ञापन करना था। 'हालीवुड के पिता के रूप में जाने गए H J Whitley ने एक चिन्ह का उपयोग अपने रियल इस्टेट के ब्यवसाय 'Whitley Height', जो Highland Avenue और Vine Street के बीच स्थित था, के लिये किया था। इसलिए उसने अपने दोस्त Hary Chandler, जो Los Angles Times अखबार के मालिक भी थे, को एक ऐसे ही चिन्ह का निर्माण अपनी जमीन और उसके विकास के ब्यवसाय के विज्ञापन के लिये करने का सुझाव दिया। रियल इस्टेट के ब्यवसाय में लगे Woodruff और Shoults ने अपने डेवलपर के इस ब्यवसाय को "HOLLYWOODLAND" कहा और इसे "बहुत अच्छे वातावरण में बिना अधिक के Hollywood Hill में उपलब्ध जमीन और मकान" के रूप में विज्ञापित किया।
उन्होंने Crescent Sign Company को इस 13 अक्षर वाले शब्द को पहाड़ी पर स्थापित करने के लिए अनुबंधित किया। इस चिन्ह बनाने वाली कम्पनी के मालिक Thomas Fisk Goff (1890-1984) ने इस चिन्ह का डिज़ाइन तैयार किया। हर अक्षर 30 फीट(9 .1m) चौड़ा और 50 फीट (15.2m) उँचा था। पूर प्रतीक चिन्ह 4000 छोटे बल्बों से भरा गया था। इसतरह इन शब्दों के अक्षरों को "HOLLY", "WOOD" और "LAND" के समूहों में अलग-अलग प्रकाशित होता था। Hollywoodland Sign के ठीक नीचे एक सर्च लाईट था, जो लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिये प्रकाशित होता था। इस चिन्ह को आधार स्तम्भ देने के लिए खम्भों को उस स्थान पर खच्चरों द्वारा पहुँचाया गया था। इस पूरी योजना पर उससमय 2100 डॉलर खर्च आया था। यह अभी के समय में $3300,000 के बराबर है।
इस प्रतीक चिन्ह को अधिकारिक तौर पर 1923 ई में भेंट किया गाया था। यह मूलत: डेढ़ साल तक ही चलने के लिये बनाया गया था। लेकिन लॉस एंजेल्स में अमेरिकन सिनेमा के उत्कर्ष के बाद, अमेरिकन सिनेमा के स्वर्ण युग में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यह चिन्ह अमेरिकन सिनेमा की पहचान बन गया। क्रमशः

Thursday, October 18, 2018

उजाला दे दूंगी (लघु कथा)

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आज विजयादशमी है। बुराई पर अच्छाई के विजय का उत्सव आज मनाते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि बुराईयों के
महिषासुर को सर उठाने के पहले ही खत्म कर देंगें। इसमें हम अपनी मानवीय संवेदनाओं को अक्षुण्ण रखेंगें।
मेरी लिखी एक लघु कथा, जो विशेष इसी अवसर के लिये लिखी गयी है, आप पढ़ें और बतायें कैसी लगी?

"माँ, आज साहब के बंगले में इतनी भीड क्यों है?" रोहित बाबु के बंगले के आउट हाउस में अपनी माँ के साथ रहने वाली छोटी बच्ची रानी ने अपनी माँ अहिल्या से पूछा था।
अहिल्या जानती थी कि साहब के यहां नवरात्र में दुर्गा जी की पूजा होती है। आज उसी की पूर्णाहुति पर कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। उसके बाद दक्षिणा के रूप में उपहार भी दिया जता है।
"वहां माँ दुर्गा जी की पूजा हो रही है।"
"उससे क्या होता है?"
"उससे दुर्गा जी सद्बुद्धि देती हैं। और सद्बुद्धि से जीवन में उजाला आ जाता है। उसके प्रकाश में जीवन जीने से कोई भय नहीं होता है।"
"माँ, हम भी दुर्गा जी की पूजा क्यों नहीं करते?"
"करती हूं न। जहां दुर्गा जी की पूजा होती है, वहां की सफाई तो मैं ही रोज करती हूं। हमारी यही पूजा है।"
"तो फिर कन्या को बुलाकर खिला भी देंगे और दक्षिणा भी देंगें।"
"मैं तो रोज खिलाती हुँ कन्या को।"
"मैने तो किसी को आते हुये नहीं देखा।"
"तुम जो मेरी कन्या हो।"
"तुम दक्षिणा क्या दोगी?"
"मैं दुर्गा जी के पूजा स्थल की सफाई करते हुये पूजा करती रहती हुँ, वहां से ... "
"हां, तो वहां से दक्षिणा लायेगी क्या?
"हां, वहीं से सद्बुद्धि का उजाला लेकर तुम्हें उसमें से थोड़ा सा उजाला दे दूंगी।"
"तुम्हारी यही बात मेरी समझ में नही आती।"
अहिल्या अपनी रानी को गले लगा लेती है।

Wednesday, October 17, 2018

अमेरिका डायरी यू एस ए में 37 वाँ, और 38 वाँ दिन ( Day 37, 38)

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09-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 37 वाँ दिन (Day 37):
मित्रों, दो दिनों के बाद हमलोग लॉस एंजेल्स (LA), में Hollywood Hills, जहाँ Hollywood का मशहूर चिन्ह स्थित है, देखने जाना है। आज कुछ विशेष कहने के लिये नहीं है, इसलिए मैने सोचा है कि उसी की चर्चा की जाय।
Hollywood का नाम कैसे पड़ा, उसके बारे में मैने 12-07-2018 की अपनी अमेरिका डायरी के पन्ने में लिखा था। उसे मैं पुन: उदधृत करना चाहता हूँ। 1886 ई में H J Whitley, जो हालिवुड के पिता कहलाते हैं, की डायरी में एक वाकया इस तरह लिखा हुआ था, "1886 ई में जब मैं इस पहाड़ी पर अपना हनीमून मनाने आया हूँ तो मैने एक चाइनीज़ मूल के ब्यक्ति को वैगन में लकड़ी ले जाते देखा। उससे मैने पूछा, 'क्या कर रहे हो?' उसने अपनी टूटी-फूटी अंग्रेजी में कहा, 'I holly-wood " मतलब था, मैं wood यानि लकड़ी को haul यानि ले जा रहा हूँ। यहीं से मैने इस पहाड़ और शहर का नाम Hollywood रख दिया, जो बाद में रजिस्टर्ड हो गया।" उसी हालिवुड की चर्चा आगे बढ़ाते हुए कुछ और बातों पर बात करेंगें।
Hollywood, US Film Induatry के केन्द्रीय स्थल के रूप में विकसित हुआ। यह क्षेत्र Cahuenga Valley का हिस्सा है, जो Santa Ana Mountains के उत्तर में स्थित है। 1912 ई तक बड़ी मोशन पिक्चर कम्पनियों ने लॉस एंजेल्स शहर में या उसके समीप में अपना प्रोडक्सन केंद्र स्थापित कर लिया था। 1900 ई के आसपास चलचित्रों के पेटेंट Thomas Edison के न्यू जर्सी स्थित Motion Picture Parent Comoany के अधीन थे। फिल्म निर्माण करने वाले इस कम्पनी के अनुबंध के तहत अक्सर निर्माण रोकने पर, इस कम्पनी के साथ न्यायिक प्रक्रिया में उलझा करते थे। उससे निजात पाने के लिए फिल्म निर्माणकर्ता, पश्चिम अमेरिका की तरफ रुख करना शुरु कर दिए, क्योंकि यहाँ एडिसन के पेटेंट नियम लागू नहीं होते थे। साथ ही इस क्षेत्र में मौसम खुशगवार था, जिससे फिल्म निर्माण के सेटों का निर्माण करना , स्थापित करना और उसे लम्बे समय तक कायम रखना आसान हो जाता था।
डायरेक्टर D W Griffith शायद हालिवुड में चलचित्र बनाने वाले पहले निर्माणकर्ता थे। उन्होने Biograph Comoany के लिये 17 मिनट की एक लघु फिल्म तैयार की थी, जिसका नाम था, "In Old California " (1910 ई)। Biograph Comoany शायद यू एस की पहली कम्पनी थी, जो हालिवुड में फिल्म निर्माण और प्रदर्शन कार्य दो दशक तक (1916 तक) करती रही। इस कम्पनी के मशहूर निर्देशक D W Griffith, और अभिनेताओं Mary Pickford, Lillian Gish, Linel Barrymore को जन्म दिया और मशहूर बनाया।
क्रमशः

10-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 38 वाँ दिन (Day 38):
हलाँकि Hollywood में मूवी थियेटर (चलचित्र प्रदर्शन स्थल) पर उस वर्ष 1910 ई में प्रतिबंध लगा दिया गया था, परंतु जब लॉस एंजेल्स ने उसका अधिग्रहण कर लिया, तब Nestor Motion Pictures Company द्वार Hollywood में किसी स्टुडियो द्वारा Oct 26, 1911 में शूट की गयी पहली फिल्म का निर्माण किया गया। Hollywood के पिता के रूप में मशहूर H J Whitley के घर को सेट के रूप में प्रयोग किया गया। Whitley Avenue और Hollywood Boulevard के मध्य में इस अनाम फिल्म का निर्माण किया गया था।
अक्टूबर 1911 में New Jersey की Centaur Co ने redhouse (यात्रियों की सुविधा के लिये बनाया गया घर) के पास Sunset Boulevard से लगे हुए पहली Hollywood स्टुडियो का निर्माण किया। इसके बाद 1920 ई तक Paramount, Warner Bros, RKO और Columbia Pictures ने अपने-अपने स्टुडियो सेट अप कर लिए थे। उससमय तक Hollywood देश का पाँचवाँ सबसे बड़ा उद्योग बन गया था।
1930 ई तक Hollywood में स्टुडियो पूरी तरह एकीकृत निर्माण, प्रदर्शन और वितरण को नियन्त्रित करने वाली कम्पनियों का मुख्य स्थान बन गया था। वहाँ 600 से अधिक फिल्मों का निर्माण प्रति वर्ष होने लगा था। इसतरह यहाँ की चमक -दमक के कारण Hollywood का नाम Tinseltown या "ड्रीम फैक्ट्री" के रूप में विख्यात हो गया था। Hollywood यू एस ए का सबसे बड़ा फिल्म निर्माण का केंद्र बन गया।
क्रमशः 

Friday, October 12, 2018

अमेरिका डायरी, यू एस ए में 35 वाँ और 36 वाँ दिन (Day 35, 36)

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07-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 35 वाँ दिन (Day 35):
आज का दिन खास होने वाला था, यह पहले से ही तय था। मेरी पत्नी जी की यहाँ हिन्दुस्तान के विभिन्न हिस्से से आयी मम्मियों के साथ अच्छी-खासी दोस्ती हो गयी है। उसी के तहत उन सबों का विभिन्न घरों में बारी-बारी से जाकर महिला-मिलन-सह-सहभोज का कार्यक्रम चल रहा है।
तीन चार दिन पहले वे सभी अपनी एक हैदराबाद से आयी मित्र के यहाँ गयी थी। वहाँ उन्होंने परम्परागत इदली, बड़ा, दोसा, सांभर, चटनी का लुत्फ उठाया था। आज उसी कार्यक्रम के तहत सारी महिला मंडली मेरे यहाँ, जिस निवास स्थान में मैं ठहरा हूँ, वहाँ आ रही थी। तो आज का दिन खास होना ही था। यह महिला मित्रों की मण्डली थी, इसलिए मैं उसमें शामिल नहीं था।
इस मण्डली की महिलाएँ हिन्दुस्तान के विभिन्न जगहों जैसे देहरादून, पंजाब, आन्ध्र प्रदेश , तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड आदि स्थानों से आयी हुई थीं। इसमें झारखंड बिहार से मेरी पत्नी जी थी। वे सभी 6:30 बजे शाम तक घर पर आ गई। आते ही उन्हें स्टार्ट अप के रूप में पेश किया गाया। मेरी पूत्र वधु ने सबों के लिए छोले, पूड़ी और सेवई मेन कोर्स के रूप में बनायी थी। मैं शाम को घूमने जा ही रहा था कि पत्नी जी ने मुझे सबों की तस्वीर खींचने का आग्रह किया। उन्होने कहा कि ठीक है 20 मिनट में घूमकर आ जाईये। मैं ठीक इतने ही समय में घूमकर वापस आ गया। अच्छी तस्वीरें निकाली गयीं। मैने भी बातचीत में थोडा हिस्सा लिया। मेरी पत्नी जी ने मेरा परिचय एक लेखक के रूप में करवाया। मैने उनसे कहा कि मेरी डो पुस्तकें प्रकाशित हौ चुकी हैं। मैने अपना विज़िटिंग कार्ड भी उन्हें दिया। एक हैदराबाद से आई महिला विजय्लक्ष्मी जी ने अपने पति से मिलवाने का वादा किया। वे भी लेखन कार्य में रुचि रखते हैं।
तो इसतरह आज का दिन भी खास हो गया न!!!

08-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 36 वाँ दिन (Day 36):
आज पास में ही रहने वाले एन भिक्षुपति, जो हैदराबाद के हैं, अपनी पत्नी विजय्लक्ष्मी के साथ मेरे घर पर आये। उनकी पत्नी श्रीमति जी द्वारा आयोजित कल की पार्टी में आयी थी। उन्हें मैने अपना विज़िटिंग कार्ड दिया था। उनसे काफी देर तक बातें हुईं।
उनके तीन लडके हैं। चार लडके थे। एक लड़का, जो थोड़ा कमजोर और अविकसित फेफड़े के कारण बचपन से ही रोगग्रस्त था, उसकी यादों को बयाँ करते हुए वे भावुक हो उठे। 28 वर्ष का होकर पिछले वर्ष वह चल बसा था। उसका जाना दुखद था, लेकिन एक तरह से ठीक भी था, क्योंकि वह पूरी तरह अपने माता-पिता पर निर्भर था, आश्रित था। इसीलिए वे पिछले वर्ष तक कहीं आ - जा नहीं सकते थे। पिछले वर्ष जब उसके देहावसान के बाद, उस उत्तरदायित्व से मुक्त हुए, तब 7 साल से यहाँ रह रहे अपने बेटे के पास पहली बार आये थे। उनसे और भी काफी बातें होती रही। वे हिन्दी में इसलिए बातें कर पा रहे थे, क्योंकि उनका काफी समय मुंबई के एक प्राईवेट सूती मिल में काम करने के दरम्यान हिन्दी बोलने वाले लोगों के बीच रहना हुआ था। वहाँ मिल बन्द हौ जाने के बाद वे परिवार सहित हैदराबाद आ गए। वहाँ उन्होने किराना दूकान चलाया, एल आई सी की एजेन्सी की और अपने लड़कों को उँची शिक्षा दिलाई, हैदराबाद में अपनी जमीन पर अपना मकान बनवाया। अभी संघर्ष का वह समय थोड़ा सहज हुआ है, तब वह सब हमलोगों से साझा कर पा रहे हैं। वे काफी मिलनसार लगे। उन्हीं के प्रयास से भारत से अपने बच्चों के पास आये कई बुजुर्गों को एक साथ मिलवाया। यहाँ मेरे घर के सामने ही वे सभी मिलकर ताश खेलते थे। अब यहाँ के लीसिन्ग ऑफ़िस ने क्लब का एक वातानुकूलित कमरा उपलब्ध करवा दिया है, इसलिए अब वे सब वहाँ ताश खेलते हैं। कुछ लोग जो नहीं भी खेलते हैं, वे गपशप करते हैं।
आज शाम में उसी पार्क में जाना हुआ, जहाँ बच्चों को गोलबंद कर उन्हें हिन्दू संस्कारों में संस्कारित होने की शिक्षा दी जा रही है। मैं भी उसमें शामिल हुआ। एक छोटी लड़की बाँसुरी पर "जन, गण, मन....." की धुन बजा रही त्गी। मुझे भी खूब आनन्द आया। मैं इलाहाबाद से आये सर्वेश कुमार जी से मिला। वे बचपन में 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' की शाखाओं में भाग लेते रहे थे। उसमें से कुछ खास चीजें बच्चों को सिखलाना चाह रहे थे। उनका प्रयास बहुत उत्तम और सराहनीय लगा। उनसे बात करते हुए पता चला कि यहाँ पल और बढ़ रहे हिन्दुस्तानी बच्चों को अपनी जड़ों के बारे में जानना, हिन्दुत्व और हिन्दू जीवन के बारे में बतलाना कितना जरूरी है।
बच्चे बड़े होते हुए जब थोड़ा समझने लायक हो जाते हैं, वे हिन्दु जीवन और हिन्दुत्व के बारे में कनफ्युज्ड से हो जाते हैं। साथ ही अपने दोस्तों और यहाँ के माहौल में लगता है कि ईसाइयत को सीधा, सहज और सरल ढंग से समझा और निभाया जा सकता है। इसलिए वे बड़े होकर ईसाई धर्म में धर्मांतरित होकर ईसाइयत जीवन शैली को अपना लेते हैं। इससे कैसे बचा जा सके या बचाया जा सके, यही उनकी सबसे बड़ी चिन्ता लगी। इसी से इस तरह के समूहों में बच्चों को हिन्दू जीवन में संस्कारित करने की पहल कई जगह चल रही है।

Monday, October 8, 2018

चूल्हे जलते नहीं यहाँ किसी भी घर में (कविता)

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चूल्हे जलते नहीं यहाँ किसी भी घर में

चूल्हे जलते नहीं यहाँ किसी भी घर में,
फिर भी बस्ती से उठता हुआ धुआं तो देख.

महलों के कंगूरे गगन को चूमते हैं, मगर
मिलता नहीं यहाँ किसी को आशियाँ तो देख.

ये हरियाली जो दीखती है दूर तलक,
नजरें उठा, दूसरे तरफ का फैलता रेगिस्तां तो देख.

फूटपाथ पर सोये हैं जो लोग सट - सट कर,
उनके ऊपर का खुला आशमां तो देख.

जला चुके थे तुम जिन्हें चुन - चुन कर,
उस राख से उठती हुई चिंगारियाँ तो देख.

अब लाशें भी उठकर खड़ी हो गयी हैं,
हवा में उनकी तनी हुयी मुठियाँ तो देख.

ढूह में बदल जायेंगें महल दर - बदर,
खँडहर कहेंगे इन सबों की दास्ताँ तो देख.

वे जो सोते हैं भूख से बिलबिलाकर,
तवारीख के पंख पर लिखेंगे क्रांतियां तो देख.
by Brajendra Nath Mishra

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 33 वाँ और 34 वाँ दिन (Day 33,34)

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05-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 33 वाँ दिन (Day 33):
आज का दिन इसलिए खास रहा, क्योंकि आज पास ही स्थित Heritage Park Regional Library, जो सरकारी क्षेत्र द्वारा स्थापित और संचालित पुस्तकालयों की श्रिंखला (chain) का हिस्सा है, वहाँ जाना हुआ। यह Heritage Park में स्थित पुस्तकालय, यहाँ Orange County के साहित्य और कला के विकास का केंद्र विन्दु भी है। यहाँ इस पुस्तकालय के स्वचालित पारदर्शी शीशे के दरवाजे हैं। पुस्तकालय के नजदीक पहुँचते ही दरवाजे स्वयं खुल जाते हैं।
अंदर घुसते ही बहुत बड़ा हाल दिखता है। दाहिनी ओर पुस्तको का Issuing Desk है। सामने हाल में प्रकाशित पत्रिकाओं को सजाकर रखा गया है। डेस्क पर कम्प्यूटर लगे हैं, जिसपर आप पुस्तकों को उसके टाईटिल यानि नाम या लेखक के नाम टाइप कर ढूढ़ सकते हैं। मैने चेतन भगत की अंग्रेजी पुस्तकों को सर्च किया। वह कहीं नहीं मिली। शायद वे लाइब्रेरी मटेरियल या पुस्तकालयों की सामग्री नहीं हैं। मैने ढूढ़ने के लिए ही Harry Bernstein की लिखी पुस्तक The Invisible Wall, A love Story खोजनी चाही। मैने यह पुस्तक क्यों लेनी चाही?
क्योंकि लेखक ने यह पुस्तक अपनी उम्र के 95 वें बसंत पार कर जाने के बाद लिखी। यह एक यहूदी लड़की की एक ईसाई लडके के साथ उस समय की प्रेम कहानी है, जिससमय यहूदी जर्मनी से निकाले जाने के कारण कैम्पों में रह रहे थे। लेखक को इस पुस्तक के लिये पुलित्ज़र पुरस्कार भी मिला था। सबसे बड़ी बात यह है कि उम्र के उस पड़ाव पर भी सृजनात्मकता!
यह पुस्तक मिली, लेकिन पुस्तकालयों की इस शृंखला के अन्तर्गत किसी दूसरे पुस्तकालय में मिली।
खैर, हमलोग बाईं ओर बढ़े, तो एक बड़े से हाल में, रेक, जिनकी उँचाई 6 फीट के आसपास होगी, पर किताबें सजी थी। वहाँ बीच में टेबल और कुर्सियाँ भी लगी थी, जहाँ बच्चे किताबें पढ़ रहे थे। जब मैने किताबों में झाँकना शुरु किया, टो देखा कि सारी किताबें बच्चों से सम्बंधित थे। शायद इसीलिए रेक की उँचाई 6 फीट के आसपास ही रखी गयी है, ताकि पुस्तके ढूढ़ने में उन्हें दिक्कत नहीं हो। दस क्लास तक के बच्चों के लिये चित्रकथा से लेकर इतिहास और सामान्य ज्ञान की इतनी सारी किताबें थी कि मैं तो देखकर दंग रह गया।
मेरे लड़के चिन्मय ने ऋषभ के लिये तस्वीरों वाली 8 पुस्तकें, स्वयं के लिये कम्प्यूटर पर एक पुस्तक और मैने अपने लिए एक किताब History of California ली। इसी बीच मैं पूरी पुस्तकालय की यात्रा पर निकल पड़ा। लोग इस जमाने में, जब टी भी, इंटरनेट, टैबलेट, मोबाइल पर सीरियल, वॉट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि में ब्यस्त रहते हैं, किताबों को छूकर महसूस करने और पढ़ने के लिये भी इतने लोग आये हुए हैं, इसे देखकर हमें इस धुँध भरे वातावरण में कहीं से एक तेज रोशनी की छोर, इस ओर आती लगी।
यहाँ हिन्दी सेक्शन भी है, लेकिन उसमें सिर्फ पुरानी हिन्दी फिल्मों के सी डी थे। हिन्दी की किताबें नहीं थी। चाइनीज़ सेक्शन में चाइनीज़ भाषा में किताबें दिखीं। पता चला कि यहाँ की सदस्यता निशुल्क है। 50 किताबें तक ले जा सकते हैं। इसके लिए अधिकतम तीन सप्ताह का समय रहता है। इसके बाद लौटाने पर जुर्माने का प्रावधान है। आप पुस्तकों को स्वयं online reissue कर सकते हैं। किताबों को लौटाने के लिये पुस्तकालय के बाहर से ही दीवाल में एक चौकोर लेटर बॉक्स जैसी छोटी खिड़की बनी हुयी है। उसमें पुस्तकों को बारी-बारी से डाल दीजिये। लौटाने के लिये पंक्तिबद्ध होनें की जरूरत नहीं है। यह सब कुछ नया-नया-सा लगा। हमारे यहाँ, जब स्थापित पुस्तकालय मृत प्राय हो चुके हैं, उन्हें इस तरह पुनर्स्थापित कर उन्हें कला और संस्कृति के केंद्र के रूप में पुन: विकसित नहीं किया जा सकता? इसका उत्तर खोजना होगा।

  06-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 34 वाँ दिन (Day 34):
यहाँ डायरी लिखते हुए मुझे ऐसा लग रहा है कि हर दिन को खास बनाया जा सकता है। यह आप पर निर्भर है कि अपनी सोच को कौन-सी दिशा देते हैं। आज के दिन को खास बनाने के लिए मैने इरवाइन के इतिहास के बारे में जो सूचनाएँ एकत्र की, उन्हें फेसबुक पर पोस्ट किया।
शाम को Costaco स्टोर जाना हुआ। वहाँ से ज्यादा खपत होने वाली घरेलू सामग्रियाँ जैसे दूध, दही, आम और सेव के रस खरीदने के बाद उसी कैम्पस में स्थित वॉलमार्ट स्टोर गये। अमेरिका में वॉलमार्ट स्टोर की शृंखला है, जो सामग्रियों को सबसे कम कीमत पर उपलब्ध करवाने का दावा करते हैं। साथ ही यहाँ या अन्य किसी स्टोर से खरीदी हुयी वस्तु, जैसे फैन, मिक्सी आदि की कार्यक्षमता से अगर आप संतुष्ट नहीं हैं, तो उसे तीन महीने के अंदर लौटा कर, पूरा क्रय मूल्य वापस पा सकते हैं। इस नीति को सुनकर चौकने की बारी मेरी थी। यह नीति भारत में तो कभी नहीं चल सकती। इसके ग्राहक द्वारा दुरुपयोग होने की सम्भावना ज्यादा है, भले ही ब्यवसायी इसके लागू करने के लिए राजी हो जाय।
हमलोगों ने 9 बजे रात तक का समय वहाँ बिताया। वहाँ से लौटते हुए उसी कैम्पस में फास्ट फूड के आउट लेट Dell Taco गये। कार पर बैठे-बैठे ही, रेस्टोरेंट के पीछे से माइक पर से 4 Barito का ऑर्डर किया और आगे आकर उसे प्राप्त कर लिया गया। Barito चपाती-जैसी बड़ी रोटी में सलाद, अलग-अलग तरह की चटनी और चावल को अंदर में डालकर रॉल् जैसा बना दिया जाता है। इसे सौस के साथ खाया जाता है। यह एक तरह का मैक्सिकन फूड है। घर आकर चटनी के साथ इसके स्वाद का आनन्द लिया गया। इसतरह आज के दिन को भी खास अंदाज में खास बना दिये।
 

Wednesday, October 3, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 33वाँ दिन (Day 33):

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04-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 32वाँ दिन (Day 32)
Irvine Regional Park Visit:
आज सुबह के नास्ते के बाद Irvine Regional Park जाना हुआ। दिन का भोजन पार्क में ही करने का कार्यक्रम बना। इसलिए सुबह ही वेज बिरियानी बना ली गयी। इसे कार में रखने के साथ पानी की बोतलें और आम का रस भी रख लिया गया। सुबह का नाश्ता लेकर ये सारी तैयारियाँ करते हुए विलम्ब तो हो ही गया था। हमलोग घर से निकलकर, Jaffery से होते हुए, Irvine Central Dr वाली सडक से आगे बढकर, Bee Canyon में, Eastwood विलेज की ओर मुड़ गए। वहाँ से Orchard Hill Village, सेंटिआगो Cyn रोड को पार करते हुए, इरवाइन रीजनल पार्क के प्रवेश द्वार पर $3 प्रवेश शुल्क जमा कर पार्क में प्रवेश कर गए।
आज मौसम खुशगवार है, धूप भी खिली हुई, और सप्ताहांत भी है, इसलिए पार्टी के लिये उत्तम समय है। पार्क में अच्छी खासी भीड़ है। कहीं-कहीं लोग बड़े-बड़े समूहों में पार्टियाँ कर रहे हैं। अतएव जू साइड और छोटे तालाब की ओर के पार्किग क्षेत्र भरे हुए थे। ऋषभ (मेरा ग्रैंड सन), मेरी पत्नी और बहू तथा खाने के सारे सामान के साथ पूल साइड में छोड़कर, मैं और चिन्मय पार्किंग स्थान खोजने के लिए निकले। कई चक्कर लगाने के बाद पूल से दूर कार पार्क करने की जगह मिली। वहाँ कार खड़ी कर हमलोग पूल साइड की ओर पैदल ही आये, जहाँ उनलोगों को छोड़ आये थे। वे लोग लंच ले चुके थे। दिन के तीन बज चुके थे। हमलोगों के पेट में चूहे कूद रहे थे। उन्हें शान्त करना जरूरी था। भूख लगने पर चूहे ही क्यों कूदते हैं? शायद पेट का स्थान चूहों के लिए ही उत्तम है, जिसे आसान है, शान्त करना।
इरवाइन रीजनल पार्क करीब 471 एकड़ में विस्तार लिए हुए, Santa Ana Mountain के ढलान क्षेत्र के तलहटी में स्थित है। यह पार्क या उद्यान James Irvine 2 के द्वारा भेंट स्वरूप दी गयी 477 एकड़ जमीन पर 1897 ई में बना, कैलिफ़ोर्निया का सबसे पुराना क्षेत्रीय पार्क है। ओक के वृक्षों की छाँव में खुला मैदान रचनात्मक प्रवृत्ति वाले सुधी जनों को कला क्षेत्र के आकाश में विचरण के लिए अच्छी और उर्वर पृष्टभूमि प्रदान करते हैं।
Santiago Creek (छोटी नदी), पार्क को बीच से विभाजित करती है। एक प्राकृतिक झील जिसमें चट्टानों से होती हुई झरनों के बहाव पथ और छोटे प्रपात है, पार्क के वातावरण को और भी सुरम्य बना देते हैं। इस झील में बत्तखों को पंक्तियों में तैरते हुए देखा जा सकता है। इस पार्क में पुरातत्व द्वारा Spanish American War Memorial को दर्शाता एक धातु का पट्ट, जो USA marine द्वारा प्राप्त हुआ था, लगाया हुआ है।
मछली मारने, पिकनिक का क्षेत्र, पार्क में ट्रेन राइड, जू, बाईसाइकिल राइड के लिये साईकिल की उपलब्धता और पोनी राइड के लिये पोनी, इन सभी संसाधनों के साथ इस पार्क में हर एक के लिए कुछ-न-कुछ है, जिसका हर कोइ लुत्फ उठा सकता है।
कहा जाता है कि पेट में चूहों के कूदने से भोजन का आनन्द दुगना हो जाता है। शायद देर होने के कारण कुछ तो भोजन का स्वाद खुद ही अच्छा लगने लगता है, और कुछ पेट के चूहों को खिलाकर संतुष्ट करने से उनका स्वाद भी खुद महसूस करते हैं, इसलिए स्वाद में बेतहाशा इजाफा हौ जाता है। हा,,,हा,,हा,,,।
बिरियानी और साथ में आम-रस का रसास्वादन करने के बाद पार्क के प्राकृतिक सौंदर्य का अवलोकन शुरु हुआ। पास के झील में झांकने का कोई फीस तो लगता नहीं है। यहाँ के जल में बत्तखों का जल-विहार बहुत ही मनोहारी लग रहा है। ऋषभ ने भी खूब आनन्द लिया। बच्चे प्रकृति के अधिक नजदीक होते हैं। इसलिए उनका महसूस होना हम सिर्फ देख ही सकते हैं। अपने आनन्द को तो वे लिपिबद्ध कर नहीं सकते, उनके हाव-भाव की अभिब्यक्ति ही देखी जा सकती है। तस्वीरें भी खींची गयीं।
इसके बाद हमलोग ट्रेन राइड के लिये टिकट लिये। छोटी-सी टॉय ट्रेन जैसी है। इसमें पारम्परिक ट्रेन की सारी फीच्बर्स को समाहित करने का प्रयास किया गया है। हमलोग ट्रेन में सवार हौ गए। ट्रेन में ऊपर छत थी, और दोनों ओर खुला था, जिससे परिदृश्यों को आंखों में बन्द किया जा सके। ट्रेन ने सीटी दी, वैसे ही जैसे पहले के स्टीम इंजिन वाली ट्रेन सीटी दिया करते थे। (साठ-सत्तर के दशक में मैनें देखा था)। लो चल पड़ी ट्रेन। झील के किनारे से गुजरती, ठक-ठक, ठक-ठक पहाड़ की तलहटी में जा पहुँची। पीछे की सीट पर बैठा एक बुजुर्गनुमा अंग्रेजी में इस उद्यान और उससे सम्बंधित सारे इतिहास को माइक पर घोषित करता हुआ साथ चल रहा था। ट्रेन जब रोड क्रॉस कर रही थी, टो सीटी बजी। रोड के साइड में अवरोध गिरा दिये गए, ताकि कोई अन्य वाहन रोड पार नहीं करे। इसके बाद ट्रेन एक सुरंग से होकर गुजरी। हमने एक वीडियो भी बनाया। दस मिनट के राइड के बाद हमलोग ट्रेन से उतरे।
पास ही पोनी राइड स्टेशन था, जहाँ घोड़े बन्धे थे। ऋषभ उस ओर भागा। वहाँ की टिकट खिड़की पर जैसे ही ऋषभ के लिये घोड़े की सवारी के लिये टिकट लेने गए, तो देखे कि खिड़की बन्द हौ चुकी थी। चार बजे पोनी राइड के लिये काऊन्टर बन्द कर दिया जाता है। इसका हमें पता ही नहीं था, वरना ऋषभ को ट्रेन राइड नहीं करवाकर पोनी राइड ही करवा देते। निराश होकर उसने जो रोना शुरु किया, उसे चुप कराना मुश्किल हो गया।
किसी तरह वहाँ से उसे लेकर हमलोग कार पार्क की ओर आ गए। वहाँ हरी घास पर दौड़ लगाकर ऋषभ खेलता रहा। हमलोग कभी बेंच पर बैठे हुए, कभी पेड़ों की छाँव में घूमते हुए पार्क का आनन्द लेते रहे। पास की रेस्ट रुम सुविधा का भी लाभ उठाया गया। इस सारे मंजर का आनन्द उठाते हुए, करीब सैट बजे तक हमलोग वापस आ गए। क्रमश:

माता हमको वर दे (कविता)

 #BnmRachnaWorld #Durgamakavita #दुर्गामाँकविता माता हमको वर दे   माता हमको वर दे । नयी ऊर्जा से भर दे ।   हम हैं बालक शरण तुम्हारे, हम अ...