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Friday, December 24, 2021

अटल जी और मालवीय जी पर कविता (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#atalji #malwiyaji











परम स्नेही मित्रों,

कल यानि 25 दिसंबर को दो भारतरत्नों  का *अवतरण दिवस है। महामना मदनमोहन मालवीय और अटल विहारी बाजपेयी जी* । दोनों ने भारतीयता और भारतीय राजनीति को दलनीति से ऊपर उठाकर नई दिशा दी। आप उनके बारे में व्यक्त मेरे उदगार मेरी लिखी कविता में सुनें, मेरे यूट्यूब चैनल "marmagya net" के इस लिंक पर:

https://youtu.be/_JBxeqzU3NU


कविता की कुछ पंक्तियाँ इसप्रकार हैं:

भारत रत्न मदन मोहन मालवीय पर चार पांक्तियाँ: 


याद करते आज तुझको श्रद्धावनत हो

तेरा निर्माण पथ पर अडिग अभियान रचना।

खड़ा कर एक अद्भुत शिक्षा का विशाल केन्द्र

सामान्य जन को दिया विद्या-दान, हे महामना। 


आपकी कीर्ति पताका आज भी लहरा रही है।

कर्मपथ के योगियों को आगे बढ़ो बतला रही है।

आपके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित हैं मेरे,

आग अन्दर में जलती रहे,  हमें यह समझा रही है। 


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अटल जी पर मेरी कविता 


मैं अटल हूँ, मैं अटल हूँ 


मैं अग्निशिखा की मशाल हूँ 

मैं सिन्धु के जल का उबाल हूँ 

मैं हूँ केसर की क्यारियों का रंग केसरिया

मैं धरा को तौलता एक भूचाल हूँ। 

बंद करो घुसपैठ की जंग तुम अगर

मैं सहज, सीधा सादा सरल हूँ। 

मैं अटल हूँ, मैं अटल हूँ। 


मैं तेज हूँ बजरंग बली का,

मैं तप हूँ सावरकर का,

मैं तीक्ष्णता हूँ भीष्म के वाणों का,

मैं दाह हूँ दिनकर का।

मैं दोस्तों के लिए दोस्त हूँ,

अरियों के लिए काल हूँ,

मैं प्रहरी सा प्रखर, प्रचंड,

मैं तोपो की दहानों सा विकराल हूँ।

मैं अखंड भारत के सपने लिए

गगन -  नक्षत्र - सा, स्थिर  अचल हूँ।

मैं अटल हूँ, में अटल हूँ। 


मैं भारत वासियों की भावनाओं पर

बेबस हो जाता हूँ।

कन्धार विमान अपहरण पर

आतंकियों को छोड़ने पर विवश हो जाता हूँ।

कारगिल  मे 

घुस आए दुश्मनों के लिए  हूँ

अग्नि -दाह - गोला हूँ।

मैं सर्जक हूँ, शब्द -अंगारों का

नव दधीचियों की खोज में

निकला अकेला हूँ।

मैं मृत्यु में जीवन को खोजता 

पल पल हूँ।

मैं अटल हूँ, मैं अटल हूँ। 


मैं खोज रहा अपना परिचय

रग - रग हिन्दू हूँ, क्या विस्मय?

मैं नाद - स्वर - घंटों में गुंजित

मेरे क्रोधानल में बसा प्रलय।

मैं उदधि - सा शांत, 

मैं जल की उत्ताल तरंग।

मैं नाचता काल- खंड पर,

मैं ही राष्ट्र - रागिनी की उमंग।

मैं जलती बाती की ज्योति

निष्कंप,  निश्चल हूँ।

में अटल हूँ, मैं अटल हूँ। 


मैं नेताओं जैसी लफ्फाजी में नहीं

राजनीति की जीती हुयी बाजी में भी नहीं।

मैं अक्षरों में, शब्दों में,

वाक्यों में, गीतों में।

मैं हार में, व्यवहार में,

अरियों में, मीतों में।

मैं सुधीजनों की सुधियों में

तैरता तरल हूँ।

मैं अटल हूँ, मैं अटल हूँ। 


मैं राजनीति के शिखर में नहीं,

मैं कूटनीति के स्वर मे नहीं।

मैं बन्चितों की चीख में,

मैं भिखुओं की भीख में हूँ।

मै कतार में खड़े हर उस

अन्तिम आदमी की भूख में हूँ।

मिटाने को दारिद्रय-दुख दोष

रहता सदा विह्वल हूँ।

मैं अटल हूँ, मैं अटल हूँ।

©ब्रजेंद्रनाथ

Friday, December 17, 2021

खुद की ही जलधार बनो तुम (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#motivational










खुद की ही जलधार बनों तुम

बून्द नहीं तुम बनो किसीकी
खुद की ही जलधार बनों तुम।

तुमने जीवन पथ में कितने
चट्टानों को पार किया  है।
तुमने कर्म तीरथ में कितने
तूफानों को पार किया है।

अब तो बन जा साथी अपना
मन - वीणा की झंकार बनो तुम।

लोग कहते है, जीवन क्रम में
सुख दुख की है एक कहानी।
जितनी बहती नदिया उतनी
साफ किनारा  बहता पानी।

तुमने कितनों को पार किया है
खुद की भी पतवार  बनो तुम।

बाहर का  शोर बढ़ रहा
ध्वनित तरंग गौण हो गया?
साधना के पथ पर चलकर
मुखरित मन मौन हो गया।

आत्मतत्व से मधुर मिलन कर
जीवन का संस्कार करो तुम।

अनहद को सुनने को आतुर
प्राण - प्राण जब विकल हो उठे।
अमृत आनंद का हो संचरण
हिय गह्वर में कमल खिल उठे।

अंतरतम जब डूब गया हो
अखंड ब्रह्मण्ड विस्तार बनो तुम।
बून्द नहीं तुम बनो किसीकी
खुद की ही जलधार बनों तुम।
©ब्रजेंद्रनाथ

Thursday, December 9, 2021

विपिन रावत सी डी एस की दुर्घटना में मृत्यु पर(कविता)

 #BnmRachnaWorld

#Bipin Rawat












परम स्नेही मित्रों,
नमस्कार!👏
सी डी एस विपिन रावत  जी के दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में आकस्मिक निधन से हम सब आहत हैं, स्तब्ध हैं। मैं अपने उदगार  इन पंक्तियों में व्यक्त करना चाहता हूँ।  आपके मन में भी कुछ ऐसे ही भाव उठ रहे होंगे। शायद मेरे इन शब्दों में आप भी अपने भावों की अभिव्यक्ति की अनुगूंज सुन सकें...

वह जहाँ निकल जाता था,
वहसी ब्याघ्र विवर्ण हो जाते थे।
वह जिधर था पाँव बढ़ाता,
गिद्धों के गर्व  चूर्ण हो जाते थे।

सिंह के कंधे सा सुपुष्ट 
वज्र- सा था कबंध  उसका।
भारत माता की रक्षा का
एक ही था अनुबंध उसका।

युद्ध में नेतृत्व जिधर किया
मारा अरि को कीट - पतंगे सा।
भूभागों की  रक्षा की उसने,
गगन रंगीन हो उठा तिरंगे - सा।

जबसे वह  तीनों सेनाओं
का  बना मुख्य सैन्य अधिकारी।
अंतर सैन्य सहयोग बढ़ा,
अजेय सेना बन गयी हमारी।

आदेश दिया,उसने दुश्मन के
खेमे में घुसकर वार करो।
आतंकियों के सारे ठिकाने को
ध्वस्त करो, संहार करो।

दुश्मन देशों के सैन्य बल
काँपते थे उसके उद्घोष से।
सेनाओं में खलबली मची ,
मारक राफेल - ब्रह्मोस् से।

हम उस सेनानी के निधन से
आहत है,  पर आंसू नहीं बहाएंगे।
शपथ  लेते हैं आज हम
उस जैसा हर सेनानी को बनाएंगे।
©ब्रजेंद्रनाथ √√

मेरे यूट्यूब चैनल marmagya net के इस लिंक पर ऊपर दी गयी कविता को अवश्य सुनें...सादर आभार!
https://youtu.be/LB5hxz1kOx0


माता हमको वर दे (कविता)

 #BnmRachnaWorld #Durgamakavita #दुर्गामाँकविता माता हमको वर दे   माता हमको वर दे । नयी ऊर्जा से भर दे ।   हम हैं बालक शरण तुम्हारे, हम अ...