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Monday, January 25, 2021

पराक्रम दिवस और 72 वाँ गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#patriotic poem
















पराक्रम दिवस और गणतंत्र दिवस पर कविता:

अब देश जाग्रत हो रहा,
नेताजी को जल्द बुलाओ।
सो रहा जो युवा आज,
उसे उठाओ, उसे जगाओ।

नई क्रांति की चलो बालो मशाल
इस गणतंत्र नहीं हैं कोई भी सवाल।

पराक्रम दिवस पर नेताजी के
तप को आत्मसात करो।
उस स्वतंत्रता के मतवाले का
युद्ध घोष ले साथ चलो।

जाग रहा है देश  
नाच रहा है अरि पर काल।
इस गणतंत्र नहीं है कोई भी सवाल।

🇪🇬🇪🇬🇪🇬🇪🇬🇪🇬🇪🇬🇪🇬🇪🇬🇪🇬🇪🇬

भारत नही त्रिपिटक लेकर
अब शांति प्रस्ताव पढ़ता है।
देश सत्य के लिए जीत की
परिभाषा खुद गढ़ता है।

विश्व समझे भारत की दृष्टि विशाल।
इस गणतंत्र नहीं है कोई भी सवाल।

जो रहे अब तक भ्रम में
गंगा- जमुनी तहजीब रटा करते थे।
जो रहे अब तक घात क्रम में,
देश को जर्जर किया करते थे।

उनकी पहचान हुई, टूटा भ्रमजाल।
इस गणतंत्र नहीं है कोई भी सवाल।

अब वीर देश की जीत का
मुकुट धारण करता है।
प्रलय के मेघों का मुख मोड़
चट्टानों में राह बनाया करता है।

देश दुश्मनों की ताड़ चुका हर चाल।
इस गणतंत्र नही है कोई भी सवाल।

कुछ छद्म बुद्धिजीवी क्यों,
आस्थाओं पर करते हैं प्रहार?
उन्हें पता होना चाहिए,
नहीं देश को यह स्वीकार।

समझो हमारी भाषा वरना जाओगे पाताल।
इस गणतंत्र नहीं है कोई भी सवाल।

आओ देश के लिए जगाओ अंगार को,
आओ देश के लिए स्वर दो हुंकार को।
आओ देश के लिए गुंजाओ दहाड़ को।
आओ देश के लिए झुकाओ पहाड़ को,

जवानियों में धधक रहा है लाल - लाल ज्वाल ।
इस गणतंत्र नहीं है कोई भी सवाल ।

©ब्रजेंद्रनाथ

9 comments:

आलोक सिन्हा said...

सुन्दर रचना

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-1-21) को "यह गणतंत्र दिवस हमारे कर्तव्यों के नाम"(चर्चा अंक-3958) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर।
72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय रूपचंद्र शास्त्री मयंक सर, आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से मैं उर्जित हो जाता हूँ। 72 वें गणतंत्र की असीम शुभकामनाएँ!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय आलोक सिन्हा जी, आपके सकारात्मक और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ। हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

जिज्ञासा सिंह said...

देशप्रेम से ओतप्रोत सारगर्भित रचना..

Meena Bhardwaj said...

देश प्रेम के भावों से सजी अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।

जयकृष्ण राय तुषार said...

बहुत ही प्रेरणादायी कवितायें

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