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Wednesday, January 13, 2021

स्वामी विवेकानंद (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#स्वामी विवेकानंद #swamivivekanand


स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन 12 जनवरी पर,

मेरे उदगार!







विवेकानंद

वेदांत का सूर्य था वह,
सनातन धर्म का तूर्य था वह।
उसके आनन पर था तेज मनस्वी ,
उसकी वाणी में था आवेग ओजस्वी।

उसने विश्व मंच पर
प्रकट किया भारत का तेज पुंज।
उसके उद्घोष से
सनातन धर्म की फैली थी गूंज।

सम्मोहक था रूप, आंखों में करुणा अपार,
विश्व धर्म संसद में फैला हृदय का विस्तार।

वह युवाओं का करते आह्वान,
भारत हमारा फिर से हो महान।
वह उद्दत थे काटने को
भारत माँ की जंजीरें।
वह ढाहने को सजग थे
गुलामी की खड़ी प्राचीरें।

वह योगी निर्लिप्त, निष्काम,
वह योगी समेटे करुणा तमाम।
वह सन्यास की अग्नि में
स्वयं को तपाया करते थे।
वह युवाओं में आगे बढ़ने को
विश्वास जगाया करते थे।

आएं उनके पद चिन्हों पर
अपना भी चरण बढ़े।
भारत का हो उत्कर्ष
फिर यह विश्व गुरु बने।
©ब्रजेंद्रनाथ √

यही कविता आप यूट्यूब पर मेरी आवाज़ में सुने :



13 comments:

Sweta sinha said...

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर प्रस्तुति।
मकर संक्रान्ति का हार्दिक शुभकामनाएँ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय, आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से प्रेरणा मिलती है। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया स्वेता सिन्हा जी, मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर सृजन

आलोक सिन्हा said...

बहुत बहुत सुन्दर

Jyoti khare said...

बहुत सुंदर सृजन
बधाई

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

अद्भुत व्यक्तित्व !

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय सुशील कुमार जी, नमस्ते! सकारात्मक प्रतिक्रिया के।लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय आलोक सिन्हा जी, आपके सकारात्मक उदगारों के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय ज्योति खरे जी, आपके सकारात्मक उदगार सृजन की प्रेरणा देते हैं। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय गगन शर्मा जी, आपने बिल्कुल सही कहा है, "अद्भुत व्यक्तित्व" उनके बारे में शब्दों के जितने भी अर्घ्य चढ़ाए जाँय, वह कम ही होगा।--ब्रजेंद्रनाथ

रेणु said...

युवाओं के सर्वोच्च आदर्श विवेकानंद जी पर इतनी प्रभावी रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा आदरणीय सर | आपका लेखन बहुत प्रभावशाली है | सादर

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