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Thursday, June 23, 2022

पावस की प्रथम बूंदें बन (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#rainyseasonpoem

#पावस# प्रथमबूंदें








पावस की प्रथम बूंदें बन

मेरे सूने तप्त धरा - तन
पावस की प्रथम बूंदें बन.
शीतल, सलिल छुवन सी
स्नेह - सिक्त होकर सहलाना ...
तेरा आना...ऐसा आना

ऊँगली की कोमल पोरों,
पर बूँदों की आतुर अधरों,
का अविरल, अविकल, सहम
- सहम, सिंचित कर जाना ...
तेरा आना...ऐसा आना

पावस के पावन प्रवाह सम,
झड़ती झड़ी झम झमाझम.
हवा हिंडौले का हौले हौले
लहर लहर लहराते जाना...
तेरा आना... ऐसा आना...

मेरे आँगन में जल - प्लावन
सद्य:स्नाता सम मम चितवन
बरस बरस बरसो वर्षों तक
मन प्राण प्लावित कर जाना...
तेरा आना... ऐसा आना...

पाहुन बनकर मत आना,
उर को उर्वर कर बस जाना.
तुझे निहारूं क्षण क्षण, पल पल,
ऐसा सुसंयोग बनाना...
तेरा आना...ऐसा आना...
ब्रजेन्द्र नाथ

दृश्यों  के समिश्रण से इस कविता पर आधारित बने वीडियो को मेरी आवाज में सुने : यूट्यूब लिंक :

https://youtu.be/RZxr7IbHOIU







9 comments:

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय रवीद्र जी, नमस्ते 🙏!मेरी इस रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार!

अनीता सैनी said...

नमस्कार सर।

आपका सृजन सराहनीय होता।

पाहुन बनकर मत आना,
उर को उर्वर कर बस जाना.
तुझे निहारूं क्षण क्षण, पल पल,
ऐसा सुसंयोग बनाना...
तेरा आना...ऐसा आना...वाह!गज़ब 👌
सादर

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया अनीता जी, नमस्ते 🙏! आपकी सराहना से अभिभूत हूँ.
दृश्यों को मिश्रित कर और पृष्ठभूमि में मेरी कविता की पंक्तियाँ मेरी आवाज़ में यूट्यूब चैनल की इस लिंक ओर अवश्य सुने और कमेंट बॉक्स में आओने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं. सादर आभार!
यू ट्यूब लिंक :
https://youtu.be/RZxr7IbHOIU

Jyoti khare said...

बहुत सुंदर पावस गीत
कमाल का शब्द संयोजन

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया ज्योति जी, नमस्ते 🙏!
आपके सराहना की शब्द मुझे सृजन की लिए ऊर्जस्वित करते रहेंगे. हार्दिक आभार!
कृपया दृश्यों के संमिश्रण और पृष्ठभूमि में मेरी आवाज में कविता पाठ के साथ निर्मित इस वीडियो को यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर देखें और कमेँट बॉक्स में अपने विचारों को देकर मेरा मार्गदर्शन करें. हार्दिक आभार! ब्रजेन्द्र नाथ
यू ट्यूब लिंक :
https://youtu.be/RZxr7IbHOIU

रेणु said...

पाहुन बनकर मत आना,
उर को उर्वर कर बस जाना.
तुझे निहारूं क्षण क्षण, पल पल,
ऐसा सुसंयोग बनाना...
तेरा आना...ऐसा आना...!!
बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति आदरनीय सर।यदि कोई जीवन में आये और उर को सदा के लिए अपना बसेरा बना ले तो इसी में जीवन की सार्थकता है।अत्यंत सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार और बधाई।🙏🙏🌺🌺

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया, रेणु जी, नमस्ते!🙏❗️ आपके उत्साहवर्धक उदगारों से अभिभूत हूँ. कोई सुधी पाठक अपने ह्रदय की गहाराइयों से अपने विचारों को अभिव्यक्त करता या करती हैं, एक रचनाकार के लिए वही सबसे बड़ा पुरस्कार होता है. सादर आभार!

विश्वमोहन said...

पावस के पावन प्रवाह सम,
झड़ती झड़ी झम झमाझम.
हवा हिंडौले का हौले हौले
लहर लहर लहराते जाना...
तेरा आना... ऐसा आना..
वाह!!! मनभावन प्रांजल व्यंजना!!.

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय विश्वमोहन जी, नमस्ते 🙏❗️
आपके सराहना के शब्द मुझे सृजन के. लिए प्रेरित करते रहेंगे. सादर आभार!

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