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Monday, December 7, 2020

मित्रता (कविता) #friendship

 #BnmRachnaWorld

#friendship











मित्रता
मित्र बनाने के पहले विचारना
जरूरी है।
द्रोण और द्रुपद की गुरुकुल में मित्रता
कहाँ निभ पाई थी?
जब द्रोण गए थे,
माँगने सहायता राजा द्रुपद से।
द्रोण की गरीबी का
उड़ाया था मजाक।
इसी ने बो दी थी,
आपसी रंजिश के बीज।
महाभारत में वर्णित कुरुक्षेत्र के युद्ध में
निकली थी सारी खीज।
इसलिए दोस्त को पहचानना जरूरी है।
दोस्त बनाने के पहले विचारना जरूरी है।
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मित्रता के मिलेंगे वैसे भी उदाहरण
जिन्होंने निभाये दिए हुए वचन।

राम सुग्रीव की मित्रता दृढ़ हुई
सुग्रीव ने सीता की खोज में
सभी दिशाओं में वानर भेजवाये।
राम सुग्रीव की मित्रता में
दृढ़ता थी आयी।
सीता की खोज की थी
सुग्रीव के मंत्री हनुमान ने,
ध्वस्त किये दुर्ग और लंका जलायी।

कृष्ण सुदामा की मित्रता
की दी जाती है मिशाल।
गरीब, दीन-दुखी सुदामा से
द्वारिकाधीश कृष्ण ने मित्रता निभायी।
दे दिए सबकुछ दो मुठ्ठी
चिउड़े के बदले में भाई।

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मित्रता होती नही है कोई अनुबंध।

अर्जुन के साथ धनुर्विद्या के
कौशल दिखाने को ।
जुटे थे कौरव और पांडव कुमार।
उसमें कर्ण ने किया प्रवेश,
जिसे भीष्म ने किया था अस्वीकार।
कर्ण को देकर अंग देश का राज्य,
दुर्योधन ने कर्ण को अपनी ओर किया था।
यह मित्रता नहीं थी, था स्वार्थ-संबंध।
मित्रता होती नहीं है कोई अनुबंध।

इसलिए मित्र बनाने से पहले
मित्रता निभाने की सोचिए।
बार-बार त्याग और तप
की लौ पर तप्त कीजिये।
फिर मित्र बनाने पर विचारिये।
एक बार मित्र बन जाने पर,
मित्रता निभाने की सोचिए।
©ब्रजेन्द्रनाथ

11 comments:

Dr (Miss) Sharad Singh said...

मित्रता को परिभाषित करती सुंदर रचना 🌹🙏🌹

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कामिनी सिन्हा जी,नमस्ते👏! मेरी इस रचना को ता 08-12 के चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया डॉ (miss) शरद सिन्हा जी, नमस्ते👏! आपके उत्साहवर्धक उदगार से अभिभूत हूँ। हॄदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ

Anuradha chauhan said...

बेहतरीन रचना

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया डॉ (miss) शरद सिन्हा जी, नमस्ते👏! आपके उत्साहवर्धक उदगार से अभिभूत हूँ। हॄदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ

दिगम्बर नासवा said...

नित्रता के भाव अनादी काल से चले आ रहे हैं ... इतिहास भरा पड़ा है अनेक पात्रों से और ऐसे ही कुछ भाव ले कर बाखूबी रचा है शब्दों को ... सुन्दर रचना ...

आलोक सिन्हा said...

बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय

दिव्या अग्रवाल said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया दिव्या जी, नमस्ते👏! मेरी इस रचना को "पांच लिंको का आनंद" के 21 फरवरी के चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। सादर!--ब्रजेंद्रनाथ

रेणु said...

एक और अनमोल विचार साझा करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सर। मित्रता सचमुच कोईअनुबंध नहीं है। इस्का निस्वार्थ और निष्कलुष होना बहुत जरूरी है। आपने बहुत शानदार संदर्भ दिए मैत्री के। बहुत कुछ सिखा गई आपकी रचना। हार्दिक आभार और प्रणाम 🙏🙏💐💐

Meena sharma said...

मित्रता करने से पहले भली भाँति सोच लें, एक बार किसी को मित्र बनाएँ तो मित्रता निभाएँ। आपने मित्रता के बहुत अच्छे व सार्थक उदाहरण देते हुए बेहतरीन रचना लिखी है।

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