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Saturday, November 14, 2020

झारखंड की मिट्टी में रवानी है (कविता)

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#Jharkhandparkavita









15 नवंबर को,

झारखंड दिवस पर झारखंड राज्य के प्रति कुछ उदगार

झारखंड की मिट्टी में रवानी है

स्वर्णरेखा, खरकई, दामोदर,
बराकर, कोयल, संख ,ब्राह्मणि।
नदियों का नित्य प्रवाहित जल
दलमा पहाड़ सा मुकुट मणि।

वसुंधरा की इसपर मेहरबानी है।
झारखंड की मिट्टी में रवानी है।

देवघर में बाबा  बैजनाथ,
बुंडू में  रहती माता देउली।
रजरप्पा में छिन्नमस्तिका
पारसनाथ में जैन तपस्थली।

कण - कण में  माँ तेरी कहानी है।
झारखंड की मिट्टी में रवानी है।

बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हो,
नील-पीताम्बर, मांझी तिलका ।
वीर बाँकुरों  की धरती यह,
तलवार तीर उनका चमका।

फूलो -झानो का कोई नहीं  सानी है।
झारखंड की मिट्टी में रवानी है।।

कोयला, बॉक्साइट, ताम्र,
युरोनियम और लौह अयस्क।
अपार खनिज संपदा  यहाँ,
कुपोषित फिर भी  बच्चे - वयस्क।

समृद्धि है दूर, क्यों छायी वीरानी है?
झारखंड की मिट्टी में कहाँ रवानी है?

धोनी धुरंधर, कप्तान जयपाल,
इम्तियाज, महादेवन, अंजना।
कामिल बुल्के, सलिल सरीखे,
प्रबुद्धजनों से है यह  बना।

अल्बर्ट एक्का जैसा बलिदानी है।
झारखंड की मिट्टी में रवानी है।

आज मचा है भ्रष्टाचार,
नही प्रेम और सदाचार।
राजनेता  है स्वार्थ- लिप्त,
फैल रहा है मिथ्याचार।

हर राज्य की कमो बेस यही कहानी है।
यहां के  मिट्टी की सूख गयी रवानी है।

समृद्धि आएगी हर घर में,
फिर से होगा यहाँ विकास।
धरा गगन गूंजेगा जन गण
जनता का  यही विश्वास।

झारखंड हमारी अस्मिता की निशानी है।
यहाँ की मिट्टी में फिर आयी रवानी है।।
©ब्रजेन्द्रनाथ




7 comments:

दिव्या अग्रवाल said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

रेणु said...

आदरणीय सर, मातृभूमि की अभ्यर्थना में आपकी सुन्दर अभिव्यक्ति को नमन करती हूं। झारखंड का कभी अपना अस्तित्व नहीं था, आज इसकी विशेष पहचान और महत्व है। विराट सांस्कृतिक विरासत समेटे आज ये भूमि आततायी तत्वों से त्रस्त है। पर फिर भी इसका अपना महत्त्व है। झारखण्ड की पुण्य भूमि को प्रणाम। सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार 🙏🙏

रेणु said...

पांच लिंक मंच परआज आपको विशेष सम्मान मिल रहा, हार्दिक शुभकामनाएं और अभिनन्दन आपका 🙏🙏🎉🎉🎊🎊💐💐

Jyoti khare said...

समर्पित भाव की सुंदर रचना
बधाई

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया रेणु जी, आपने झारखंड राज्य की विरासत और वर्तमान महत्व को दर्शाती मेरी कविता पर इतना सकारात्मक विचार व्यक्त कर मुझे जो सम्मान दिया है, उससे अभिभूत हूँ। आपको आभार व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द कम पड़ गए हैं। सादर!

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया ज्योति खरे जी, नमस्ते👏!आपके उत्साहवर्धक विचारों से मुझे सृजन की प्रेरणा मिलती रहेगी। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Meena sharma said...

आदरणीय सर, आपने झारखंड राज्य का बहुत ही सटीक एवं सजीव चित्रण किया है। झारखंड प्राकृतिक व सांस्कृतिक संपदा से वैभव संपन्न होते हुए भी यहाँ लोग गरीब और कुपोषित क्यों ? संसाधनों का दोहन करके दूध मलाई मुट्ठी भर लोग जो खा जाते हैं। गरीब को पोषण मिले कैसे ? अनेक तीर्थस्थानों की यह भूमि सदैव समृद्ध संपन्न रहे, यही प्रार्थना !

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