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#motivational
खुद की ही जलधार बनों तुम
बून्द नहीं तुम बनो किसीकी
खुद की ही जलधार बनों तुम।
तुमने जीवन पथ में कितने
चट्टानों को पार किया है।
तुमने कर्म तीरथ में कितने
तूफानों को पार किया है।
अब तो बन जा साथी अपना
मन - वीणा की झंकार बनो तुम।
लोग कहते है, जीवन क्रम में
सुख दुख की है एक कहानी।
जितनी बहती नदिया उतनी
साफ किनारा बहता पानी।
तुमने कितनों को पार किया है
खुद की भी पतवार बनो तुम।
बाहर का शोर बढ़ रहा
ध्वनित तरंग गौण हो गया?
साधना के पथ पर चलकर
मुखरित मन मौन हो गया।
आत्मतत्व से मधुर मिलन कर
जीवन का संस्कार करो तुम।
अनहद को सुनने को आतुर
प्राण - प्राण जब विकल हो उठे।
अमृत आनंद का हो संचरण
हिय गह्वर में कमल खिल उठे।
अंतरतम जब डूब गया हो
अखंड ब्रह्मण्ड विस्तार बनो तुम।
बून्द नहीं तुम बनो किसीकी
खुद की ही जलधार बनों तुम।
©ब्रजेंद्रनाथ
18 comments:
अध्यात्म की अनुपम छटा बिखरेती सुंदर रचना
आदरणीया अनिता जी नमस्ते👏!
आपकी सराहना से अभिभूत हूँ। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(19-12-21) को "खुद की ही जलधार बनो तुम" (चर्चा अंक4283)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
अब तो बन जा साथी अपना
मन - वीणा की झंकार बनो तुम।
बहुत ही उम्दा और उर्जावान सृजन...
एक एक पंक्ति हौसला बढ़ा रही है! बहुत ही शानदार...
सुंदर प्रेरणादायक पंक्तियाँ।
आदरणीया मनीषा जी, उत्साहवर्धन के लिए हृदय की गहराइयों से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीय नीतीश तिवारी जी, आपकी सराहना के शब्द सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
बहुत ही सुन्दर रचना
आदरणीया भारती दास जी, नमस्ते👏! मेरे ब्लॉग को विजिट करने के लिए और मेरी इस रचना पर सार्थक और उत्साहवर्धक टिप्पणी देने के लिए हृदय तल से आभार! आप मेरे इस ब्लॉग पर अन्य रचनाएँ भी पढ़ें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं। पुनः आभार१--ब्रजेंद्रनाथ
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आदरणीया दिव्या जी,नमस्ते👏!मेरी इस रचना को "पांच लिंको के आनंद" के 21 फरवरी के अंक के लिए चतानित करने पर हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। सादर!--ब्रजेंद्रनाथ
बाहर का शोर बढ़ रहा
ध्वनित तरंग गौण हो गया?
साधना के पथ पर चलकर
मुखरित मन मौन हो गया।
आत्मतत्व से मधुर मिलन कर
बहुत सुंदर आह्वान आदरणीय सर 👌👌
जीवन में खुद का अस्तित्व बहुत मायने रखता है, इसे बनाए रखने का प्रयास करते रहना चाहिए। सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार और शुभकामनाएं🙏🙏
पांच लिंक मंच परआज आपको विशेष सम्मान मिल रहा, हार्दिक शुभकामनाएं और अभिनन्दन आपका 🙏🙏🎉🎉🎊🎊💐💐
आध्यात्म और दर्शन की सुंदर रचना
बधाई
आदरणीया रेणु जी,आपने मेरी रचना पर अपने प्रेरक विचारों को प्रेषित कर मुझे नव सृजन करने के लिए ऊर्जस्वित किया है। सादर स्नेह और आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीया ज्योति खरे जी, आपने मेरी रचना पर उत्साहवर्द्धक विचारों को व्यक्त कर मुझे नव सृजन के लिये प्रेरित किया है। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
अनहद को सुनने को आतुर
प्राण - प्राण जब विकल हो उठे।
अमृत आनंद का हो संचरण
हिय गह्वर में कमल खिल उठे।
बहुत ही प्रेरणादायक रचना, अंतर्मुखी होकर अपने बारे में सोचने को बाध्य करती हुई। मुखड़ा तो बहुत ही सुंदर है।
आदरणीया मीना शर्मा जी, नमस्ते👏! आपके सराहना के शब्दों से अभिभूत हूँ। आपके जैसी साहित्यान्वेषी की उत्साहजनक टिप्पणी मुझे नवीन सृजन के लिए ऊर्जस्वित करती रहेगी। हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
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