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Friday, February 4, 2022

निकला नया सवेरा है (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#onset of spring season

#springseason









परम स्नेही मित्रों,
शिशिर के अवसान और बसंतागमन की आहट पर प्राकृतिक दृश्यों को शब्दों में गुम्फित करते हुए लिखी गईं मेरी कविता  का शीर्षक है :


निकला नया सवेरा है।

निकला नया सवेरा है।
कोहरे की छाती चीर - चीर,
किरणों के चल रहे तीर।
तम की घाटी को बेध बेध
सूरज ने प्राची को घेरा है।
निकला नया सवेरा है।

तुहिनों ने हरियाली पर चांदी
की चादर को बिछा दिया ।
नव किसलय की  कोमल सी
गंधों की मसि से लिखा दिया।
जो अनुबंध उकेरा  है।
निकला नया सवेरा है।

धूप मुंडेर से उतर रही
आंगन में आकर ठिठकी।
बूढ़ी दादी के सर्द दर्द की
कौन सुने  आकर सिसकी।
गौ के अमृत - दुग्ध- पान का
हक सबका तेरा मेरा है।
निकला नया सवेरा है।

नभ को छूती फुनगियों पर
किरणें  आती टिक जाती हैं।
कोयल भी कुहू कुहू कहकर
नव जीवन राग सुनाती है।
बगुलों की  धवल पांत का
तड़ाग तटों  पर डेरा है।
निकला  नया सवेरा है।

शिशिर अब विदा ले रहा,
बसंत के आने की आहट।
मन्मथ के मृदुल राग ले
मदिर समीर की अकुलाहट।
हर्ष का सर्वत्र बसेरा है।
निकला नया सवेरा है।

@ब्रजेंद्रनाथ

मेरी इस कविता को मेरे यूट्यूब चैनल marmagya net के इस लिंक पर सुनें, चैनल को सब्सक्राइब करें, अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं! सादर!

Link : https://youtu.be/21-aEDf1Paw






24 comments:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

बूढ़ी दादी के सर्द दर्द की,कौन सुने आकर सिसकी।''
क्या बात है, बहुत बढ़िया

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय गगन शर्मा जी, नमस्ते! आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ। हॄदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (6-2-22) को "शारदे के द्वार से ज्ञान का प्रसाद लो"(चर्चा अंक 4333)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, नमस्ते👏! मेरी इस रचना को कल, रविवार, 6 फरवरी के चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ! सादर!--ब्रजेंद्रनाथ

कविता रावत said...

शिशिर अब विदा ले रहा,
बसंत के आने की आहट।
मन्मथ के मृदुल राग ले
मदिर समीर की अकुलाहट।
हर्ष का सर्वत्र बसेरा है।
निकला नया सवेरा है।
..बहुत सुन्दर सामयिक रचना

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कविता रावत जी, नमस्ते👏! आपके उत्साहजनक उदगार से ऊर्जस्वित हूँ। आपका हृदय तल से आभार!

Anita said...

बसंत के आगमन का मनोरम वर्णन

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया, आपके सराहना के शब्दों से सृजन के लिए प्रेरणा मिलती रहती है।सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

MANOJ KAYAL said...

सुन्दर चित्रण

Meena Bhardwaj said...

मनोरम प्राकृतिक दृश्य आपकी लेखनी के स्पर्श से सजीव हो उठे ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया मीना भारद्वाज जी, आपके सराहना के शब्द मेरे लिए पारितोषिक की तरह है। आपका हॄदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय मनोज जी, आपके सकारात्मक उदगार मुझे प्रेरित करते रहेंगे। -- ब्रजेंद्रनाथ

Rohitas Ghorela said...

बूढ़ी दादी का सर दर्द ... बहुत खूब।
बहुत सुंदर रचना।
समय साक्षी रहना तुम by रेणु बाला

Marmagya - know the inner self said...

आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Manisha Goswami said...

बहुत ही खूबसूरत व सराहनीय सृजन आदरणीय सर

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय मनीषा जी, आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ। हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

जिज्ञासा सिंह said...

शिशिर अब विदा ले रहा,
बसंत के आने की आहट।
मन्मथ के मृदुल राग ले
मदिर समीर की अकुलाहट।
हर्ष का सर्वत्र बसेरा है।
निकला नया सवेरा है।...
बसंत के आगमन पर सामयिक तथा सुंदर रचना ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया जिज्ञासा सिंह जी, मेरी रचना पर आपके उदगार से अभिभूत हूँ। हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

दिव्या अग्रवाल said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया दिव्या जी, नमस्ते!👏! मेरी इस रचना को "पांच लिंको के आनंद" के कल यानि ता 21 फरवरी के चर्चा अंक के लिए चयनित करने पर हृदय तल से आभार व्यक्त करता हूँ। सादर!--ब्रजेंद्रनाथ

रेणु said...

धूप मुंडेर से उतर रही
आंगन में आकर ठिठकी।
बूढ़ी दादी के सर्द दर्द की
कौन सुने आकर सिसकी।
गौ के अमृत - दुग्ध- पान का
हक सबका तेरा मेरा है।
निकला नया सवेरा है।

बसन्त की आहट के बीच मानवीय संवेदनाओं से भरी ये पंक्तियां मन को छू गई। भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक आभार और शुभकामनाएं आपको आदरणीय सर 🙏💐💐

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया रेणु जी, नमस्ते👏! एक अंतराल के बाद अपनी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया देखकर मन अभिभूत हो गया। आपने मेरी इस रचना के बारे में जैसी टिप्पणी दी है, कम ही सुधीजन दे पाते हैं। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Meena sharma said...

शिशिर से वसंत ऋतु में प्रवेश करते समय अपने आसपास के जनजीवन से, प्रकृति से लिए गए बिंब एवं दृश्य कविता को एक सामान्य पाठक के जीवन से जोड़ रहे हैं। शब्द एवं भाषा शैली बहुत सुंदर।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया मीना शर्मा जी, नमस्ते👏! आपने मेरी इस रचना के बारे में बहुत ही उत्साहवर्द्धक समीक्षा की है। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शन की तरह है। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

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