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Friday, September 22, 2017

दुर्गा स्तुति-स्नेह सुधा का वर्षण कर (कविता)

#poem#devotional
#BnmRachnaWorld

कल्याणमयी, हे विश्व्विमोहिनि,
हे रूपमयी, हे त्रासहारिणि।
हे चामुन्डे, हे कात्यायिनी,
हे जगतकारिणी, हे कष्टनिवारिणी।

तू अमृत तत्व का सिन्चन कर।
तू हम मानव का अभिवर्धन कर।

माँ, कार्य भी तुम और कारण भी तुम,
माँ, कष्ट भी तुम, निवारण भी तुम।
जीवन भी तुम से है माँ,
मृत्यु और संहारण भी तुम।

स्नेह सुधा का वर्षण कर।
अमृत तत्व का सिन्चन कर।
हम मानव का अभिवर्धन कर।

तेरी चौखट पर हम करबद्ध खड़े,
श्रद्धा के फूल समर्पित हैं।
माँ मेरी विनती भी सुन ले,
तन-मन-धन सब अर्पित हैं।

तू मेरे तापों का शीघ्र हरण कर।
तू अमृत तत्व का सिन्चन कर।
तू हम मानव का अभिवर्धन कर।

हम स्वार्थी भक्त हैं तेरे,
पर तेरा ही संबल है माँ।
हम बालक हैं तेरे मैय्या,
नादानी में अब्बल हैं माँ।

तू मेरे सत्पथ का निर्देशन कर।
तू अमृत तत्व का सिन्चन कर।
तू हम मानव का अभिवर्धन कर।

(c)ब्रजेंद्र नाथ मिश्र
  तिथि: 21-09-2017
  वैशाली, सैक्टर 4, दिल्ली एन सी आर



इसका यू टयूब का लिंक इस प्रकार है:
https://youtu.be/cdEyJlreS0o


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