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Friday, November 9, 2018

अमेरिका डायरी यू एस ए में 45 वाँ और 46 वाँ दिन (Day 45, 46)

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17-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 45वाँ दिन (Day 45):
पिछले पन्ने में हमलोग जान पाये कि 1889 तक यह शहर Board of Trustees के द्वारा संचालित होता रहा।
आज उन्हीं पन्नो को आगे पलटते हैं। इसके बाद एक City Charter का मसौदा पुन: तैयार हुआ आज charter जिस रूप में है वह 1931 में मान्य हुआ और लागू हुआ।
San Diego का पुराना शहर Presidio Hill की तलहटी में बसा था। वहाँ अभी Old Town San Diego Historuc Park बना है। यह जगह La Playa के navigable water, यानि नावों के चलाने लायक गहरे पानी से दूर रहने के कारण यह क्षेत्र एक शहर के रूप में विकसित होने लायक नहीं था।
William Heath Davis ने पुराने निवास से कई मील दूर दक्षिण में खाड़ी के तट के पास New San Diego का निर्माण किया। कई दशकों तक यहाँ मात्र एक Pier और कुछ घर, तथा Fort Yuma के संरक्षण के लिये एक Army Depot बना था।
San Diego, San Antonio - San Diego Mail Line का पश्चिमी टर्मिनस था। स्टीम इंजन और रेल खण्ड के आविष्कार के पहले Stagecoaches यानि बग्घी द्वारा, जहाँ निर्धारित दूरी पर घोड़ों को बदल दिया जाता था, से Eastern USA से डाक लाने ले जाने का काम किया जाता था। 1860 में Alonzo Herton ने खाड़ी तट के क्षेत्र में बसने के लिये घर बनाने के लिए प्रश्रय देना शुरु किया। अभी वही हिस्सा शहर का downtown क्षेत्र है। Bay side में जहाजों के आने जाने की सुविधा के कारण नया शहर शीघ्र विजसित होने लगा। लेकिन 1878 के पहले तक यह backwater क्षेत्र की तरह ही रहा। आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती रहीं। 1878 ई में रेल सम्पर्क स्थापित होने पर इसमें काफी विकास हुआ। 1950 ई मन एक बड़ी प्रदर्शिनी का आयोजन हुआ जिसमें इस क्षेत्र के स्पैनिश और मैक्सिकन अतीत को विशेषकर दर्शाया गया था।
Point Loma द्वीप मिलिट्री के इस्तेमाल के लिये 1852 ई में ही अलग कर दिया गया था। US Army के द्वारा वहाँ Coastal Batteries की स्थापना हुयी और इसे Fort Rosecrans नाम दिया गया। 1901 ई से यहाँ नेवी की भी गतिविधियाँ बढ़ा दी गयीं। World war 2 के समय तक Air Force की भी उपस्थिति बढ़ती गयी। ऐसी आशंका थी कि Operation Cherry Blossom at Night के तहत जापान, USA के जिन शहरों को जैविक युद्ध ( Biological War) के लिए निशाना बनाया जाना था, उनमें San Diego शहर भी शामिल था। लेकिन जापान के आत्मसमर्पण कर देने के कारण, यह युद्ध नीति लागू नहीं हुयी और यह शहर बच गया।
क्रमशः

18-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 46 वाँ दिन (Day 46):
आज सुबह से ही San Diego Sea World देखने जाने की तैयारियाँ शुरु हो गयी थी। मैं काफी सवेरे उठ गया था और 9 बजे तक सुन्दर कांड पाठ सहित अपनी पूजा समाप्त कर चुका था। सभी लोग तैयार होने लगे। अन्त में मेरे पोते ऋषभ को तैयार किया गया। पुत्र वधु ने रास्ते में और वहाँ लंच में भी खाने के लिए लिट्टी (सत्तू भरा हुआ) बना ली थी। इसतरह 10:30 बजे ही यहाँ से प्रस्थान कर सके।
San Diego यहाँ से दक्षिण की ओर 120 किलो मीटर की दूरी पर है, जिस ओर निर्धारित गति सीमा के अंदर कार चलाने पर (70 मील प्रति घन्टे), एक घन्टा 10 मिनट में तय किया जा सकता है। हमलोग यहाँ से दक्षिण की ओर ड्राइव करते हुए फ़्री वे नम्बर 5 के साथ बढ़ते रहे। बीच में सप्ताहांत की भीड़ भाड़ के कारण गति कम बेशी होती रही, जिससे हमलोग 2 बजे ही पहुँच सके। वहाँ पहुँचते ही पार्किंग भरे होने के कारण खाली स्थान खोजने में भी समय लगा। कार को यथा स्थान पार्क कर, कुछ लिट्टी खाकर पानी पी लिए। कुछ जल की बोतलें भी रख ली गयीं।
इस पार्क में प्रवेश के लिये दो तरह की टिकटें लगती हैं। एक तत्काल प्रवेश के लिए और दूसरा वार्षिक शुल्क, यानि वर्ष में कई आगमनों के लिए। मेरे लड़के चिन्मय ने वार्षिक प्रवेश के लिए टिकट लिया हुआ था। इसलिए मेरी और पत्नी जी के दो टिकटें ऑनलाइन ली गयीं। हमलोगों ने पहचान पत्र के रूप में अपने-अपने पासपोर्ट ले लिए थे। शुरु की औपचारिकतायें पूरी कर हमलोग सी वर्ल्ड के अंदर प्रवेश किए। यह पूरा पार्क मुख्यत: समुद्री जीव जन्तुओं को थीम के रूप में लेकर बनाया गया है। यहाँ बच्चों और बड़ों के लिये जॉय राइड भी है।
हमलोग सबसे पहले डॉल्फिन शो में गए। वहाँ सामने स्टेज पर ट्रेनर लड़कियाँ थी और डॉल्फिन जल में तैर रहे थे। शो शुरु होने के पहले घोषणा हुयी कि अमेरिकी सेना या अमेरिका की अलाइड देशों की सेना से आये लोग या उनके परिवार के लोग खड़े हो जाँय। सारी उपस्थित जनता से उनको सम्मानित करने के लिए तालियाँ बजाकर उनका स्वागत करने का अनुरोध किया गया। तालियाँ बजती रहीं। यह एक नई परम्परा जैसी लगी, जिसका अनुकरण हमारे यहाँ भी होना चाहिए। तालियाँ बजती रही और गूंजती रही। यह सैनिकों और उनके परिवार के लिये लोगों के लिये आम नागरिक के जज्बे का सशक्त इजहार था।
डॉल्फिन के द्वारा दिखाये जाने वाले करतब का शो शुरु हुआ। डॉल्फिन जल में तैरता हुआ आता, स्टेज पर की लडकियों द्वारा उनकी ओर फेंका गया भोजन मुंह में ही हवा में छलांग लगाते हुए दबोचता और तैरते हुए ही दूसरी ओर निकल जाता। इसी तरह जल में तैरता हुआ कभी नाचता, कभी उछलता, कभी जल दर्शकों के तरफ फेंकता। कभी दो-तीन डॉल्फिन एक साथ संगीत की धुन पर समूह नृत्य करते हुए नजर आते। अदभुत दृश्य था। यह शो करीब 45 मिनट तक चला। इस खुले थियेटर के सारे लोग, इस सुन्दर और अकल्पनीय परिदृश्य में आनन्द विभोर होकर बाहर निकल रहे थे।
इसके बाद हमलोग सी लायन (Sea Lion) शो में गए। वहां समुद्री सिन्घों की संख्या तीन थी। उन्होने बॉल को अपने मुँह की नोक पर संतुलित कर कई करतब दिखाये। यह भी अदभुत नजारा था। यह शो भी करीब 35 मिनट चला। मेरे ग्रैंड सन ने इसमें काफी आनन्द लिया। उसके घूमने के लिये हमलोगों ने घर से ही स्टॉलर कार में रख लिया था। उसमें वह बैठता और उसे एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाते। हर स्थान पर स्टॉलर लगाने की जगह बनायी हुई थी। स्टॉलर की पार्किंग निशुल्क थी।
इसके बाद हमलोगों ने एक स्थान पर लंच लिया। जल पिया। लेकिन यहाँ पर लगा कि जल की बड़ी बोतल सथ रख लेनी चाहिए थी। यहाँ गर्मी थी। धूप भी तेज थी। पर पसीने वाली गर्मी नहीं थी। जल की 1 लीटर की बोतल भी 10 डालर यानि 710 रु में मिल रही थी। लंच कर लेने के पश्चात हमलोग whale के शो में गए। बड़ी-सी whale जल में तैरते हुए अपनी पूँछ से इतना जल उछालती थी कि आगे की दीर्घा की दस पंक्तियों में लोग नहा जाते थे। यहाँ इस खुली गैलरी में भी दर्शाया हुआ था कि कहाँ तक wet zone है। यानि whale द्वारा जल राशि के उछाले जाने पर कहाँ तक भींग जाने की सम्भावना है। अभी तो गर्मी है, इसलिए भीन्गने का आनन्द उठाया जा सकता है। लेकिन शायद सर्दियों के मौसम में लोगों को इसका खयाल रखना जरूरी हो जाता हो। मेरे पोते के भींगने पर उसका वस्त्र परिवर्तन जरूरी हो जाता है, इसीलिए हमलोगों ने वेट जोन के बाहर ही बैठकर इस शो का आनंद लेना उचित समझा।
इसके पश्चात हमलोग एक ऐसे शो के लिये लम्बी लाईन में लगने के बाद पहुँचे, जिसमें जिश्म को सीट बेल्ट से बांधकर बैठना पड़ा। जैसे ही शो शुरु हुआ, कि जिस सतह के आधार पर हमारी सीट स्थिर थी, वही फ्लोर हिलने लगा। समाने बड़े से पर्दे पर बर्फ के पहाड़ का दृश्य दौड़ रहा था। ऐसा महसूस हो रहा था कि हमलोग हेलिकोप्टर पर बैठे हैं और वही हेलिकोप्टर बर्फीली घाटियों और पहाड़ों बचते-बचाते गुजर रहा है। यह अनुभव काफी रोमांचक रहा। वहाँ से निकालने के बाद पानी के अंदर सफेद शार्क को घूमते हुए देखे। एक ऐसे शीशे के बड़े से आगार में भरे जल में सफेद शार्क तैर रहा है। शीशे के अंदर की जल की सतह हमारी उँचाई से अधिक थी। इसतरह लगता था कि हमलोग पानी के अंदर शार्क को देख रहे है और छू भी रहे है। बस हमारे और शार्क के बीच में एक पारदर्शी शीशे का आवरण था। अद्भूत नजारा था, रोमांच से भरा हुआ।
यह सब देखते हुए, रात घिर आयी। रात को जब निकल रहे थे, तो एक जगह म्यूज़िक और डान्स का शो हौ रहा था। वहाँ घुसकर ऋषभ ने भी नाचना और कूदना शुरु कर दिया। वह नचाता ही जा रहा था, कि वक्त का पता ही नही चला और आधे घन्टे से अधिक बीत गए। वह नाचता रहा, कूदता रहा और अन्य बच्चों के साथ उधम मचाता रहा। बाहर निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। बड़ी मुश्किल से किसी तरह उसे बाहर निकाला गया, तब कहीं हमलोग वापसी की यात्रा रात्रि 8:30 बजे शुरु कर पाये। यहाँ घर तक इरवाइन पहुँचते हुए 10:30 बजे रात हौ गयी। क्रमश:!

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