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Sunday, January 6, 2019

तुलसी भवन में कथा मंजरी 06-01-2019, बिजली आती जाती रहने के फायदे


#BnmRachnaWorld
# Satire


कल ता 06-12-2019 को स्थानीय तुलसी भवन के प्रयाग कक्ष में सिंहभूम हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में "कथा मंजरी" कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डा नरमदेश्वर पाण्डेय जी ने की और संचालन आदरणीय श्रीराम पाण्डेय भार्गव जी ने किया। इसमें कई लघु और मध्यम कथाओं का पाठ और उनकी समीक्षा प्रस्तुत की गयी। मैने भी अपनी हास्य-ब्यंग्य पर आधारित रचना "बिजली आती जाती रहने के फायदे" पढ़कर सुनायी। इस रचना में विद्युत के अनियमित संचार से कटाक्ष का सृजन किया गया है। विद्युत की अनियमित उपलब्धता को कायम रखते हुए बिजली विभाग कैसे सृजनात्मकता के लिये लोगों को प्रेरित कर रहा है, ब्यंग्य का यह मुख्य बिन्दु था। मेरी रचना की समीक्षा आदरणीय अशोक पाठक स्नेही जी ने की। शायद काव्य पाठ के इतर, गद्य साहित्य पर निरंतर आयोजित किया जाने वाला यह सबसे अलग और सर्वोत्तम कार्यक्रम है। 


बिजली आती जाती रहने के फायदे


इसके पहले कि मैं बिजली 'आती जाती रहने' के फायदे गिनाऊँ, बिजली 'आती जाती रहने' का मतलब समझना जरूरी है।
यह उस क्षेत्र की शोभा है, जहां बिजली उसके तारों में एक बार दौड़ तो गई, लेकिन एक बार दौड़ लगाने के बाद इतनी थक गई है कि अब वह आती है, तो कब जाएगी, इसका इंतजार उपभोक्ताओं को ज्यादा देर नहीं करना पड़ता।
बिजली आती जाती रहने का सबसे अधिक फायदा बच्चों की पढ़ाई को लेकर होता है। बिजली रहने से छोटे बच्चे स्कूल से आते ही टीवी के सामने बैठकर कार्टून चैनेल देखना शुरु कर देते हैं। अब वहीं पर उन्हें लंच, डिनर सबकुछ चाहिये।
बन्द हो जाती है पढ़ाई,
मम्मी अगर टीवी बंद कर पढ़ने को कहती है,
तो शुरु हो जाती है लड़ाई।
शाम को बाहर खेलने भी नहीं जाते। आउटडोर खेल नहीं खेलने से मोटापा बढ़ता है। बढ़ा हुआ मोटापा अपने साथ कई बीमारियों का मूल कारण बनता है।
इन सबों से उबरने का सिर्फ एक उपाय, बस बिजली का प्रवाह निरन्तर नहीं हो।आती जाती रहे।
'आती जाती रहना' या 'आते जाते रहने' का एक और मतलब देखिये या समझिये:
बहुत गहरे अर्थ में यह कथन प्रयुक्त होता है।
जैसे आप किसी दोस्त के यहां जाते हैं। वह आपको अपने घर या फ्लैट की ओर जाने वाले रास्ते के उदगम स्थल यानी कि सीढ़ी या लिफ्ट के पास ही रोक ले, और कहे, "बहुत दिनों बाद मिले। मैं अभी फलाना काम निपटा कर आ रहा हूं। तुम आते-जाते रहना।"
इसका सीधा अर्थ यही हुआ कि अभी तुम आ गये सो आ गये, आगे कभी मत आना।
और अगर आप उसके दरवाजे के पास पहुंच गये और इत्तेफाक से उसीने दरवाजा खोला, आप तो बहुत खुश हो जायेंगे, चलो, आज तो घर पर ही मिल गया। वह आत्मीयता दिखलाते तुरत बोलेगा, "मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था। अचानक एक अर्जेन्ट काम आ गया है। अच्छा मुझे अभी निकलना होगा। तुम आते जाते रहना।"
कहकर वह दरवाजा बन्द करने लगेगा या कर देगा। साफ जाहिर है कि वह आपको 'आते जाते रहना' कहकर इसपर जोर देना चाह रहा है कि इधर कभी नहीं आना या आने का रुख भी नहीं करना।
अब यह आप जैसे घड़ा मानुष के चिकनेपन पर निर्भर करता है कि आप उसके इसतरह दुत्कारने की शरहद तक पहुंचे शब्द सुनाने के बावजूद भी कितना ठहरता है। यानी आप वहां उसका इन्तजार करते हुये थेथरपन के किस हद तक जाते हैं।
बिजली आती जाती रहने से बिजली विभाग उपभोक्ताओं को यह सीधा सन्देश दे रहा होता है कि हम तो ऐसे ही आपूर्ति करेंगें। है आपके पास कोई उपाय तो करके देख लीजिये।
आजादी के बाद पिछले सत्तर सालों से उपभोक्ता इसका आनन्द उठा रहे हैं और आपको तकलीफ हो रही है।
उसका सन्देश साफ है, "बिजली रहेगी, टीवी खोलकर उलुल जलूल षडयंत्र से भरा सीरियल देखियेगा या न्यूज़ चैनलों में पैनल विचार विमर्श के नाम पर कुकुरहाव देखियेगा।
उससे अच्छा है कि स्वयं कुछ लिखिए पढिए, क्रिएटिव बनिये।"
मेरी समझ में इस दृष्टि से बिजली विभाग विद्युत के बाधित वितरण प्रणाली को कायम रखकर उपभोक्ताओं को रचनात्मक बनने का सन्देश दे रही है। इसतरह वह राष्ट्र हित में सबसे युगान्तकारी और क्रान्तिकारी कार्य कर रही है। हम भले उसे कोसें, लानत मलामत भेजें, परन्तु आने वाली नस्लें उसके रचनात्मक योगदान के लिये हमेशा याद करेगी।
आप याद करें महान विद्वान और समाज के दिशा निर्देशक इश्वर चन्द विद्यासागर को। वे बाहर के सडक पर स्थित लैम्प पोस्ट की रोशनी में पढ़ाई किये और विद्वता हासिल के। अगर उनके घर में बिजली होती तो क्या वे कभी इतना संघर्ष कर पाते? क्या उनकी रचनात्मकता इतनी विकसित हो पाती? वे घर में बिजली के पंखे में हवा खाते और आलस्य में अपना समय गुजार देते।
उनके संघर्ष के जज्बे को धार किसने दिया? उन्हें रचनात्मकता का पहला पाठ किसने पढाया? बिजली विभाग ने। उनके घर में बिजली की सप्लाई नहीं देकर।
उससमय अंग्रेजी सरकार थी। सबों को बिजली का कनेक्शन नहीं दिया जाता था। अगर अभी की कोई सरकार होती, जिसे वेलफेयर सरकार भी कहा जाता है, बिजली का मुफ्त कनेक्शन दे देती तो देश और समाज एक विद्यासागर से बंचित रह जाता। यह एक उदहारण है। मुझे समझ में आ गया है कि जहां बिजली की निरन्तर आपूर्ति की जा रही है, वहां कितनी प्रतिभायें विद्यासागर बनने से बंचित रह गयी हैं।
सरकार को फिर से सोचना चाहिये कि बिजली की लगातार सप्लाई राष्ट्र निर्माण के लिये कितना घातक है।
हमें जहाँ बिजली की निरन्तर आपूर्ति नहीं है और जहां बिजली की निरन्तर आपूर्ति की जा रही है, दोनों स्थानों में उभरते प्रतिभाओं की तुलना करनी चाहिये।
तुलना में अवश्य यह बात साफ हो जायेगी कि जहां बिजली की बाधित आपूर्ति है, उस क्षेत्र के रहवासियों में जुगाड़ पर अधारित प्रतिभा के धनी लोग, बालक और बालिकाएं अधिक है।
इसीलिये उर्जा मंत्रालय द्वारा यह आदेश तुरंत निर्गत किया जाना चाहिये की विद्युत की रुक रुक कर आपूर्ति करें। इससे उर्जा की बचत होगी। प्रतिभाओं के विकास में उर्जा विभाग का योगदान राष्ट्र के लिये गौरव की बात होगी।
इसके साइड इफेक्ट यानि अगल बगल या बामपृष्ठ प्रभाव भी दूर गामी और लाभ कारक हैं।
जैसे अगर बिजली आती जाती रहेगी तो उसकी निरन्तर उपलब्धता बनी रहे इसके लिये लोग इन्वर्टर खरीद लेंगें। इन्वर्टर वह यन्त्र है जो बिजली रहने पर बिजली से बैटरी को चार्ज करता है और बिजली चले जाने पर उसी बैटरी से बिजली की आपूर्ति होनी शुरु हो जाती है। इसतरह बिजली की आपूर्ति की निरंतरता बनी रहती है।
इनवर्टर के बनाने से लेकर लगाने और उसके रखरखाव के लिये लोगों की नियुक्तियां होगी। इस तरह बेरोजगारी की समस्या को हल करने में बिजली विभाग का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।
शर्त इतनी-सी है कि किसी भी स्थिति में बिजली आती जाती रहे, झलक दिखलती रहे, तो एक नई नवेली चन्द्रमुखी दुल्हन की तरह हमेशा ही दर्शनीय रहेगी वर्ना हमेशा बिजली के प्रकाश में अगर दिखती रहेगी तो चन्द्रमुखी से ज्वालामुखी दिखने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
इसीलिये मेरा उन उपभोक्ताओं को, जिन्हे लगातार बिजली मिलती रहती है, मेरा फ़्री या मुफ्त में सुझाव है कि वे उस क्षेत्र में अपना निवास बदल लें, जिधर बिजली आती जाती रह्ती है। उन्हें वे सारे फायदे अनायास ही प्राप्त हो जायेंगें, जिन्हें मैं ऊपर गिना चुका हूं।

-कापीरायट ब्रजेन्द्रनाथ मिश्र



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