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नव वर्षागमन पर विशेष कविता
नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन!
प्रकृति भी कर रही नव श्रृंगार है,
दिशायें भी खोल रही नव पट-द्वार हैं।
मधु बरस रहा, हेमंत भी तरस रहा,
लताओं, पुष्पों से सजा बंदनवार है।
धुंध में घुल रहा सुगन्धित सा - मन ।
नव वर्ष का करते हैं अभिनंदन!
साँसों को आशों में बंद करने दो,
अहसासों को विश्वासों के छन्द रचने दो।
बारुदें बहुत बो चुके हो तुम सालों से,
हमें नेह- तुलसी के बीजों को भरने दो।
एक नया सन्देशा ला रहा पवन।
नव वर्ष का करते हैं अभिनंदन!
दिल पर दस्तक, यादों ने दिया,
तन की देहरी पर सांसो का दिया।
झुक गया सूरज लिये धूप सांझ की
पांती भी ना आई जलता रहा जिया।
नेह की बाती जलती रही प्रति क्षण
नव वर्ष का कैसे करे अभिनंदन?
जो नित्य असि धार पर चल रहे हैं,
जो प्रतिदिन तूफानों में भी पल रहे हैं।
चीर कर रख देते अरि की छाती जो,
जो नरसिंहावतार बन उबल रहे हैं।
उन राष्ट्र के मतवालों का करते नमन।
नव वर्ष का करते है अभिनंदन।
मनाओं उत्सव, तो कर लो याद उनको भी
जो खंदकों में जीते, बन्दूक का खिलौना है।
जिनकी सर्द रातें हैं, हवाएँ करती साँय-साँय,
जो ओढ़ते हैं राष्ट्र प्रेम, बर्फ का बिछौना है।
राष्ट्र के उन वीरों से गुलजार है चमन।
उनके लिये भी नव वर्ष का करते हैं अभिनंदन।
बीते साल में जो रह गया अधूरा
जो सपने ना हो सके साकार।
आएं इस वर्ष में फिर से जगायें
आगे बढ़कर दे उन्हें भी आकार।
योजनाओं को सतह पर उतारें
रुके नहीं कभी हमारे बढ़ते चरण!
नव वर्ष का करते हैं अभिनंदन!
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बीते वर्ष कोरोना के साथ जिये हम,
विषाणुओं का तिक्त विष पिये हम।
हम नीलकंठ बन गए, हमें डर नहीं,
इस वर्ष समूल नष्ट का लिए प्रण।
आएं विचारें, अपनाएँ स्व अनुशासन।
नव वर्ष का करते हैं अभिनन्दन।
भारत को विश्व का सिरमौर बनाएं,
देश हित के लिए जियें, देश जगाएं।
कर्तव्य -पथ पर नित कदम बढ़ाएं,
युवा- शक्ति में राष्ट्र प्रेम जगाएं।
जयचंदों का होगा मान - मर्दन।
नव वर्ष करते हैं अभिनंदन।
©ब्रजेंद्रनाथ
11 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (03-01-2021) को "हो सबका कल्याण" (चर्चा अंक-3935) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नववर्ष-2021 की मंगल कामनाओं के साथ-
हार्दिक शुभकामनाएँ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत ही सुन्दर रचना
आदरणीय डॉ रूपचंद्र शास्त्री मयंक सर, आपने मेरी रचना को चर्चा मंच के लिए चयनित कर मेरा उत्साहवर्धन किया है, इसके लिए हृदय से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीया अभिलाषा जी, नमस्ते! इस कविता पर आपने मेरा उत्साहवर्धन कर मुझे नव ऊर्जा से भर दिया है। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
सुगंधित-सा मन हुआ नव वर्ष का इस अति सुंदर स्वागत गान को आत्मसात करके। हार्दिक शुभकामनाएँ ।
आदरणीया अमृता तन्मय जी, आपके सराहना के शब्द मुझे उत्साहित भी कर रहे हैं और ऊर्जस्वित भी कर रहे हैं। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
नववर्ष के स्वागत में सुंदर भाव सृजन प्रकृति के रंगों से सराबोर।
अप्रतिम।
नववर्ष मंगलमय हो।
मंत्रमुग्ध करती प्रभावशाली लेखन व अभिव्यक्ति।
मनमोहक सृजन । शुभकामनाएं।
जयचंदो का होगा मर्दन ...
बहुत सुन्दर काव्य रचना ... आनंद आ गया ... नव वर्ष मंगलमय हो ...
बहुत बहुत सुन्दर मन मोहक रचना |
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