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#poempatriotic
ऐसे तत्वों का संकट काल आएगा
तिरंगे को लज्जित करने वाले,
तुझमें कोई भी संस्कार नहीं।
तुम अपने जो कुछ भी कह लो,
पर भारत से तुझको प्यार नहीं।
इस ध्वज की खातिर देश के
कितने वीरों ने दी थी कुर्बानी।
कितने माँओं की गोद हुई सूनी,
बहनों की सूनी सुहाग - निशानी।
तुझपे लज्जित होगी माता तेरी,
क्यों ऐसा पुत्र मैंने बड़ा किया?
तुझपे लज्जित होगी कायनात,
क्यों ऐसे शैतान को खड़ा किया?
तूने विदेशी पैसों की लालच में,
माँ का आँचल तार - तार किया।
तू अफीम, हेरोइन के नशे में चूर,
देशहित का सरेआम व्यापार किया।
जो देश का मान मिटाएगा,
जो देश की शान गँवायेगा।
देश के गौरव को गिरायेगा,
वह मिट्टी में मिल जाएगा।
आंदोलन की आड़ लेकर
देशद्रोह को पालने वाला है।
यह किसान नहीं हो सकता है,
उनको लांछित करनेवाला है।
जिसने पत्थर सहकर भी
अपना धैर्य नहीं खोया।
है नमन उन सशस्त्र बलों को
उनका शौर्य नहीं था सोया।
सिरफिरों पर वार नहीं करके,
वर्दी को नहीं किया कलंकित।
कायरों की गीदड़ भभकियों पर,
खामोश रहे, नहीं हुए विचलित।
उन वीरों की धैर्य परीक्षा को
शब्द - सुमन अर्पित करता हूँ।
उन धीर - वीर गंभीरों को अपनी
स्याही का शौर्य समर्पित करता हूँ।
यह देश अब ऐसे कृत्यों को
कभी माफ नहीं कर पायेगा।
ऐसे तत्वों का संकट - काल,
अब आएगा, अवश्य आएगा।
©ब्रजेंद्रनाथ
11 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-02-2021) को "ज़िन्दगी भर का कष्ट दे गया वर्ष 2021" (चर्चा अंक-3966)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आदरणीय रूपचंद्र शास्त्री मयंक सर, मेरी इस रचना को कल बुधवार ता 03 फरवरी के चर्चा अंक में स्थान देने के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
सार्थक, सामयिक और धारदार!!!
आदरणीय विश्वमोहन जी, नमस्ते👏! आपकी सटीक और सकारात्मक टिप्पणी उर्जित करने वाली है। हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
बहुत सुन्दर
सुन्दर सृजन।
आदरणीय आलोक सिन्हा जी, सराहना के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीय शांतनु सान्याल जी, आपके सराहना।के शब्द सृजन के लिए ऊर्जस्वित कर देते हैं। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
तंज के साथ ओजमय अभिव्यक्ति बहुत सुंदर सृजन।
सामायिक परिस्थितियों पर वार करती पोस्ट।
वाह!!
आदरणीया कुसुम कोठारी जी (मन की वीणा), नमस्ते! 👏 आपके सकारात्मक और उत्साहवर्धक उदगारों से अभिभूत हूँ। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
सम सामयिक और प्रखर भावों से युक्त सार्थक सृजन आदरणीय सर | प्रणाम और शुभकामनाएं|
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