#BnmRachnaWorld
#nature #poemonnature
पात - पात बिहँस रहा प्रात
व्योम की नीलिमा में खोजता पथ,
कौन आ रहा, चढ़ा वह रश्मिरथ।
लालिमा में लुप्त हो रही रात,
पात -पात बिहँस रहा प्रात।
तरु-शैशवों से फूट रहीं कोंपलें,
क्यारियाँ में केसर के सिलसिले।
कामिनी जाग रही, सो रही रात।
पात -पात बिहँस रहा प्रात।
अरुणोदय में खुले कमल-दल-पट,
कैद भ्रमर सांस लेने निकला झट।
हरीतिमा में स्वर्णिमा आत्मसात।
पात -पात बिहँस रहा प्रात।
पर्वतों से सरक रही धवल-धार,
प्रकृति नटी कर रही नित श्रृंगार।
शिखरों से झाँकता अरुण स्यात,
पात -पात बिहँस रहा प्रात।
वृक्षो से लिपट रही लतायें,
संवाद में रत तरु शाखाएं।
अरुनचूड़ बोल उठा बीत गयी रात।
पात - पात बिहँस रहा प्रात।
©ब्रजेंद्रनाथ
मेरी इस कविता का मेरे यूटुब चैनल maramagya net का लिंक नीचे दे रहा हूँ:
https://youtu.be/wW6I93dHJik
मेरी इस कविता पर, संस्कृत और हिंदी भाषा के उदभट विद्वान आदरणीय उमाकांत चौबे जी के व्हाट्सएप्प वाल से प्राप्त प्रतिक्रिया मैं यहाँ दे रहा हूँ:
मिश्र जी, यह प्रकृति से सम्बन्धित अद्भुत रचना है |जिस तरह सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के सुकुमार कवि कहे जाते है, उसी तरह आपने भी इस रचना में प्रकृति की विवेचना की है | सचमुच आप काव्य प्रतिभा के धनी है |पात पात बिहॅऺस रहा प्रात, इस पंक्ति के माध्यम से आपने प्रकृति की प्रातःकालीन सुन्दरता का वर्णन किया है |मिश्र जी आप साहित्य जगत् के गौरव है | इस सतत साहित्य साधना के लिए मैं शुभकामना देता हूँ |
उमाकांत चौबे
5 comments:
वाह ! भोर का मनभावन वर्णन
आदरणीया अनिता जी, नमस्ते👏!मेरी इस कविता की सराहना के लिए हॄदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
वाह आदरणीय सर , छायावादी कवियों सी सुदक्ष शैली और सुकोमल भाव संसार | मनमोहक रचना के लिए बधाई स्वीकार करें |सादर
शिखरों से झाँकता अरुण स्यात,
पात -पात बिहँस रहा प्रात।
वृक्षो से लिपट रही लतायें,
संवाद में रत तरु शाखाएं।
वाह !!!!!!!!
आदरणीया रेणु, मेरी रचना की सराहना के लिए हृदय तल से आभार! आप मेरे ब्लॉग की अन्य रचनाएँ भी पढ़ें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं। मैं भी आपका ब्लॉग पढ़ता हूँ और अपने विचार भी रखता रहूंगा। सादर!-- ब्रजेंद्रनाथ
Post a Comment