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Friday, January 21, 2022

वही वीर कहलायेगा (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#motivational poem









वही वीर कहलायेगा


शतरंज के रण में राजा खड़ा,

खोज रहा है साथ,

घोड़े, हाथी, सैनिक दौड़ो,

होगी सह और मात।


आक्रमण की हो रणनीति

कि वह निकल न पाए,

दुश्मन पर करो प्रहार

कि वो फिर सम्हल न पाए।


चाल उसकी भाँपो और

अपनी चल तो ऐसी चाल,

दुश्मन के घोड़े - हाथी मारो,

मचा दो रण में बवाल।


बजाओ नगाड़े, घंटों को,

गूंजे दिशाएं ललकारों  से,

रुंड, मुंड, मेदिनी, अंतड़ियाँ

बेधो तीर- तलवारों से।


ऐसा रण हो, ऐसा रण

फिर कभी नहीं वैसा रण हो,

गिरती रहे बिजलियाँ,

विकट आयुधों का वर्षण हो।


एक युद्ध चल रहा अंतर में,

लड़ें उससे ऐसे रथ पर,

सत्य, शील की ध्वजा,

बल विवेक के घोड़े हो पथ पर।


क्षमा, कृपा , समता की रस्सी,

ईश भजन हो सारथी,

विराग, संतोष का कृपाण हो,

युद्ध में बने रहे परमार्थी।


यह संसार है महारिपु,

उससे युद्ध जो जीत जाएगा,

जिसका ऐसा दृढ़ संकल्प हो,

वही वीर कहलायेगा।

©ब्रजेंद्रनाथ

18 comments:

विश्वमोहन said...

एक युद्ध चल रहा अंतर में,

लड़ें उससे ऐसे रथ पर,

सत्य, शील की ध्वजा,

बल विवेक के घोड़े हो पथ पर।...
वाह! बहुत सुंदर!!

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय विश्वमोहन जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-1-22) को "पथ के अनुगामी"(चर्चा अंक 4319)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, नमस्ते👏!
कल रविवार 23 जनवरी के चर्चा अंक में मेरी इस रचना को सम्मिलित करने के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

मन की वीणा said...

बहुत सुंदर कविता! अंतर द्वंद्व को जीत लें तो सब युद्ध जीत लिए जाते हैं।
सुंदर आध्यात्मिक भाव ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कुसुम कोठारी जी, नमस्ते 👏!आपके उत्साहवर्धक शब्द मेरे लिए पारितोषिक हैं। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Manisha Goswami said...


एक युद्ध चल रहा अंतर में,
लड़ें उससे ऐसे रथ पर,
सत्य, शील की ध्वजा,
बल विवेक के घोड़े हो पथ पर।
एकदम सटीक और शानदार!
शब्दों का चयन तो अद्भुत है आदरणीय सर

अनीता सैनी said...

एक युद्ध चल रहा अंतर में,

लड़ें उससे ऐसे रथ पर,

सत्य, शील की ध्वजा,

बल विवेक के घोड़े हो पथ पर... बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन सर।
सादर

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया अनिता सैनी जी, आपकी सराहना के सुंदर शब्द सृजन के लिए ऊर्जस्वित करते राहेंहगें। हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया मनीषा गोस्वामी जी, मेरी इस रचना के लिए आपके अभिव्यक्त भाव मुझे नवीन सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

जिज्ञासा सिंह said...

वाह ! जीवन युद्ध का सुंदर मनन और चिंतन ।
सच जीवन तो शतरंज का खेल जैसा ही है, जीत और हार हर संदर्भ में हो सकती है, राजनीतिक हो,पारिवारिक या सामाजिक । सुंदर मननशील रचना के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय👏💐

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया जिज्ञासा सिंह जी, मेरी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी से अभिभूत हूँ। मेरे लिए यह पारितोषिक से कम नहीं है। आपका हृदय तल से स्नेहिल आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Anita said...

युद्ध चाहे बाहर का हो या अंतर का बल और विवेक के बिना जीता नहीं जा सकता, सुंदर सृजन!

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय अनिता जी, नमस्ते👏!आपने मेरी रचना के केंद्रीय भाव के बारे में उल्लेख कर मेरी रचना पर जैसी टिप्पणी दी है उससे मैं अभिभूत हूँ। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

रेणु said...

एक युद्ध चल रहा अंतर में,
लड़ें उससे ऐसे रथ पर,
सत्य, शील की ध्वजा,
बल विवेक के घोड़े हो पथ पर।
बहुत ओजस्वी सृजन आदरणीय सर। कर्मशीलता की महिमा बढ़ाती हुई हार्दिक शुभकामनाएं आपको 🙏🙏

दिव्या अग्रवाल said...

आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 21 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर
आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया दिव्या जी, नमस्ते👏! मेरी इस रचना को "पांच लिंको का आनंद" के 21 फरवरी के चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। सादर!--ब्रजेंद्रनाथ

रेणु said...

अच्छा लगा आज फिर से पढ़कर। हार्दिक आभार और अभिनंदन आदरणीय सर 🙏🙏💐💐

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