#BnmRachnaWorld
#motivational #childrenpoem
कुछ दिनों पहले जन्माष्टमी थी। जन्म महोत्सव मनाते हुए यह सवाल बार बार मन में उठता था, क्या हम आने वाली पीढी जो सुरक्षित भविष्य दे पाए हैं? इन्हीं सवालों का पड़ताल करती मेरी यह कविता "होठों पर मुस्कान है, मुट्ठी में जहान है" मेरे यूट्यूब चैनल marmagya net के इस लिंक पर सुनें।
कविता की पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में जहान है।
आओ साथी बैग उठाओ, स्कूल चलो,
विज्ञान और ज्ञान बढ़ाओ, स्कूल चलो।
मन में हो विश्वास, कौशल की आभा हो,
पग बढ़ते रहें आगे, शिल्प की श्लाघा हो।
ध्यान रहे, हम भारत माँ की संतान हैं।
होठों पर मुस्कान है, मुट्ठी में जहान है।
बातावरण से दूर हो हर तरह का प्रदूषण,
प्लास्टिक से मुक्त, स्वच्छ हो जन जीवन।
लक्ष्य अपूर्ण, गर कचरे का कण विद्यमान है।
होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में जहान है।
मंगलयान से मंगल तक हुई यात्रा हमारी है,
चंद्रयान से चाँद तक जाने की पूरी तैयारी है।
आकाश गंगा के तारों तक अपनी उड़ान है।
होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में सारा जहान है।
हम बनते नहीं किसी के विकास में बाधक,
हमारे विकास में कोई भी बने नही विनाशक।
हमें ठिकाने लगाने आता है, जो भी शैतान है।
होठों पर मुस्कान है, मुट्ठी में सारा जहान है।
इतिहास से सीखें हम, कैसे हुए थे पराजित,
जयचंदों ने धोखे देकर, हमें किया अभिशापित।
अब उनकी जरूरी, चिन्हित करें पहचान है।
तभी होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में सारा जहान है।
देश की सीमाओं पर, बर्फीली हवाओं पर,
सीने में आग से लिखते इतिहास शिलाओं पर।
सभी यहां महफूज, जब उनकी हाथों में कमान है।
होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में सारा जहान है।
©ब्रजेंद्रनाथ
#motivational #childrenpoem
कुछ दिनों पहले जन्माष्टमी थी। जन्म महोत्सव मनाते हुए यह सवाल बार बार मन में उठता था, क्या हम आने वाली पीढी जो सुरक्षित भविष्य दे पाए हैं? इन्हीं सवालों का पड़ताल करती मेरी यह कविता "होठों पर मुस्कान है, मुट्ठी में जहान है" मेरे यूट्यूब चैनल marmagya net के इस लिंक पर सुनें।
कविता की पंक्तियाँ इस प्रकार हैं:
होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में जहान है।
आओ साथी बैग उठाओ, स्कूल चलो,
विज्ञान और ज्ञान बढ़ाओ, स्कूल चलो।
मन में हो विश्वास, कौशल की आभा हो,
पग बढ़ते रहें आगे, शिल्प की श्लाघा हो।
ध्यान रहे, हम भारत माँ की संतान हैं।
होठों पर मुस्कान है, मुट्ठी में जहान है।
बातावरण से दूर हो हर तरह का प्रदूषण,
प्लास्टिक से मुक्त, स्वच्छ हो जन जीवन।
लक्ष्य अपूर्ण, गर कचरे का कण विद्यमान है।
होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में जहान है।
मंगलयान से मंगल तक हुई यात्रा हमारी है,
चंद्रयान से चाँद तक जाने की पूरी तैयारी है।
आकाश गंगा के तारों तक अपनी उड़ान है।
होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में सारा जहान है।
हम बनते नहीं किसी के विकास में बाधक,
हमारे विकास में कोई भी बने नही विनाशक।
हमें ठिकाने लगाने आता है, जो भी शैतान है।
होठों पर मुस्कान है, मुट्ठी में सारा जहान है।
इतिहास से सीखें हम, कैसे हुए थे पराजित,
जयचंदों ने धोखे देकर, हमें किया अभिशापित।
अब उनकी जरूरी, चिन्हित करें पहचान है।
तभी होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में सारा जहान है।
देश की सीमाओं पर, बर्फीली हवाओं पर,
सीने में आग से लिखते इतिहास शिलाओं पर।
सभी यहां महफूज, जब उनकी हाथों में कमान है।
होठों पर मुस्कान है, मुठ्ठी में सारा जहान है।
©ब्रजेंद्रनाथ
यूट्यूब लिंक: https://youtu.be/I7AVOHcp2oQ
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