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Monday, September 16, 2019

जिंदगी जीने का सलीका (कविता)

#BnmRachnaWorld
#Inspirationalpoem




आजकल यह देखा जा रहा है कि नकारात्मकता बहुत तेजी से फैल रही है। उसके फैलाने के कारकों की कमी नहीं है। ऐसे में विधेयायात्मक या पॉजिटिव सोच को कायम रखते हुए कैसे बढ़ाया जाए, यह एक बड़ा प्रश्न है। यह खुश रहने से संभव हो सकता है। पर जिन्दगी में खुश रहने के तरीके को कैसे अपनाया जाए ताकि विधेयात्मक चिंतन धारा प्रवाहित रह सके। आज की मेरी कविता का यही विषय है। सुनें:

जिंदगी जीने का सलीका

जिसे खुश रहने का तरीका आ जाता है।
उसे जिंदगी जीने का सलीका आ जाता है।

तूफान में थपेड़ों से नाव डगमगायेगी जरुर,
मौत भी करीब आकर छू जाएगी जरूर।

ऐसे में किश्ती को जो किनारे लगा पाता है।
उसे जिंदगी जीने का सलीका आ जाता है।

कैसे कैसे तूफान आयेंगें तेरे हिस्से में।
तू बदल देना उन्हें जांबाजी के किस्से में।

देखें गुर्वत कब तक तेरे साथ टिक पाता है।
उसे जिंदगी जीने का सलीका आ जाता है।

किसी के सीने में अगर अंकुआते है सपन कई,
कोई जीता है अगर इसी जनम में जनम कई।

उसे ही उड़ान भरने का मौका आ जाता है।
जिसे खुश रहने का तरीका आ जाता है।
उसे जिंदगी जीने का सलीका आ जाता है।

पूरी कविता मेरे यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर सुनें, चैनल को सब्सक्राइब करें, लाइक और शेयर करें। आपका विचार मेरे लिए बहुमूल्य है, इसलिए कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य दें। सादर!
Link: https://youtu.be/UHmKYM_d9K4
ब्रजेंद्रनाथ

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