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पिता आकांक्षाओं की उड़ान होता है
वह चिलचिलाती धूप सहता है,
वह मौसम की मार सहता है।
तूफानों का बिगड़ा रूप सहता है
वह बताश, बयार सहता है।
मजबूत अंगद का पाँव होता है।
पिता बरगद की छाँव होता है।
पिता नीली छतरी का वितान होता है।
पिता आकांक्षाओं की उड़ान होता है.
वह परिवार के लिए ही जीता है।
परिवार के लिए हर गम पीता है।
पिता सब फरमाइशें पूरी करता है.
सब कुछ करता, जो जरूरी होता है।
पिता न जाने कहाँ कहाँ होता है,
पिता हमारा सारा जहाँ होता है।
पिता परिवार का आसमान होता है।
पिता आकांक्षाओं की उड़ान होता है.
पिता को मैंने हंसते ही देखा है,
पिता कभी अधीर नहीं होता है।
पिता को मैने हुलसते ही देखा है।
पिता कभी गंभीर नहीं होता है।
वह आंसुओं को पलकों में रोक लेता है.
वह आँखें चुराकर कोने में सुबक लेता है.
वह खुशियों का मुकम्मल जहान होता है.
पिता आकांक्षाओं की उड़ान होता है.
जब पिता है, तो हमारा अस्तिव है,
जब पिता हैं, तो हमारा व्यक्तित्व है।
जब पिता है, तो हम विस्तार होते हैं।
जब पिता हैं, तो हम साकार होते हैं.
जब पिता है, तो हम सनाथ होते हैं.
जब पिता है, तो हम विश्वनाथ होते है.
वह हमारी उपलब्धियों का प्रतिमान होता है,
वह हमारी आकांक्षाओं की उड़ान होता हैं।
©ब्रजेंद्रनाथ
इस कविता को मेरे यूट्यूब चैनल marmagya net के इस लिंक पर सुनें :
(सारे चित्र कॉपीराइट फ्री गूगल से )
20 comments:
माँ की महिमा का बखान बहुत किया गया है पर पिता के निस्वार्थ प्रेम को कम ही रचनाओं में स्थान मिला है। बहुत सुंदर और सरल शब्दों में आपने पिता के योगदान को सराहा है
आदरणीया अनिता जी, नमस्ते🙏! मेरी इस रचना पर आपके सराहना के शब्दों को पढ़कर अभिभूत हूँ. आपका हृदय की गहराईयों से आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलरविवार (16-10-22} को "नभ है मेघाछन्न" (चर्चा अंक-4583) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
हृदय स्पर्शी रचना
वाह!सराहनीय सृजन।
एहसास हृदय में उतरते।
सादर
आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, नमस्ते 🙏❗️ मेरी इस रचना को कल के चर्चा अंक में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीया अभिलाषा जी, नमस्ते 🙏❗️आपके उत्साहवर्धन के शब्द सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे. सादर आभार!--ब्रजेन्द्र
आदरणीया अनीता सैनी जी, नमस्ते 🙏❗️आपके सराहना के शब्द मुझे सृजन के पथ पर आगे बढ़ने के लिए ऊर्जस्वित करते रहेंगे. ह्रदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्र
बहुत सुंदर कविता।
आदरणीय Nitish Tiwari जी, नमस्ते 🙏❗️आपके उत्साहजनक उदगार सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे. सादर आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
दिल को छूती बहुत सुंदर रचना।
सुन्दर प्रस्तुति
वाह बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
पिता पर बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
जब पिता है, तो हमारा अस्तिव है,
जब पिता हैं, तो हमारा व्यक्तित्व है।
जब पिता है, तो हम विस्तार होते हैं।
जब पिता हैं, तो हम साकार होते हैं.
जब पिता है, तो हम सनाथ होते हैं.
जब पिता है, तो हम विश्वनाथ होते है....आपने इतनी खूबसूरती से कह डाला सब...अद्भुत रहा आपके ब्लॉग पर आना मर्मज्ञ जी
आदरणीया भारती दास जी, नमस्ते ��❗️आपके उदगार मुझे प्रेरित करते रहेंगे. ह्रदय तल से आभार.--ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीया जिज्ञासा सिंह जी,नमस्ते 🙏❗️
आपके उत्साहवर्धक उदगारों से मुझे सृजन के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहेगी, ह्रदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्र
पिता जैसे विराट संबंध का
सुंदर मनोहारी कवितामयी वर्णन।
आदरणीय हरिहर जी, नमस्ते 🙏❗️
आपके सराहना के शब्द मुझे प्रेरित करते रहेंगे. सादर आभार!-- ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीया अलक नंदा सिंह जी, नमस्ते 🙏❗️
आपने मेरी कविता पर जिसतरह हमारा उत्साहवर्धन किया है, उससे मैं अभिभूत हूँ. आप मेरे ब्लॉग पर आती रहें और मेरा उत्साह बढ़ाती रहें, मुझे सृजन पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहेगी. आपका ह्रदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
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