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Friday, January 14, 2022

घड़ी की टिक टिक सुनाता हूँ (कविता)

 #BnmRachnaWorld

#poemmotivational












वक्त के साथ कुछ वक्त बिताता हूँ

आ तुम्हें घड़ी की टिक-टिक सुनाता हूँ,
चलो वक्त के साथ कुछ वक्त बिताता हूँ।

समय जो निकल गया लौट आएगा फिर,
इसी गलत फहमी में खुशियाँ मनाता हूँ।

दस्तक देता है समय, अवसरों के साथ
उनसे अनजान अपनी पहचान बनाता हूँ।

घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।

समय के पार कोई न निकला है कभी,
उसी दायरे में खुशी के पल चुराता हूँ।

©ब्रजेंद्रनाथ √

26 comments:

Anuradha chauhan said...

बहुत सुंदर।

Marmagya - know the inner self said...

उत्साहवर्धन के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, मेरी इस रचना को कल के चर्चा अंक में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक अभात!--ब्रजेंद्रनाथ

विभा रानी श्रीवास्तव said...

दस्तक देता है समय, अवसरों के साथ
उनसे अनजान अपनी पहचान बनाता हूँ।

घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।

–बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

मन की वीणा said...

सार्थक भावों का सुंदर समन्वय।
सुंदर सृजन।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कुसुम कोठारी जी, आपने मेरी रचना का अनुमोदन देकर मुझे सृजन के लिए प्रेरित किया है। आपका हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया विभा रानी जी, आपके उतसाहवर्धन से ऊर्जस्वित हूँ। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Anita said...

समय की हकीकत बयान करती सुंदर रचना

Marmagya - know the inner self said...
This comment has been removed by the author.
Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया अनिता जी, आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ। आपके अनुमोदन से सृजन की प्रेरणा मिलती ही। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Meena Bhardwaj said...

घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।

समय के पार कोई न निकला है कभी,
उसी दायरे में खुशी के पल चुराता हूँ।

सकारात्मक भावों की अति उत्तम अभिव्यक्ति ।

दीपक कुमार भानरे said...

दस्तक देता है समय, अवसरों के साथ
उनसे अनजान अपनी पहचान बनाता हूँ।
सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय ।

जिज्ञासा सिंह said...

घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।..कितनी सार्थक बात, बहुत सुंदर सराहनीय गजल ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया जिज्ञासा जी, सकारात्मक टिप्पणी के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय दीपक कुमार भामरे जी, आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया मीना भारद्वाज जी,आपका उत्साहवर्धन मुझे ऊर्जस्वित करता है। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Bharti Das said...

समय के पार कोई न निकला है कभी,
उसी दायरे में खुशी के पल चुराता हूँ।
बहुत सुंदर सृजन

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया भारती दास जी, मेरी रचना पर आपकी सकारात्मक टिप्पणी देखकर आह्लादित हूँ। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

अनीता सैनी said...

वाह!बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन आदरणीय सर।
सादर नमस्कार

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया अनिता सैनी जी, नमस्ते👏! आपके सराहना के शब्द मुझे सृजन के लिए ऊर्जस्वित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Manisha Goswami said...

घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।

आपकी खूबसूरत रचना के लिए मेरे कुछ शब्द
चलो छोटे-छोटे लम्हों को खूबसूरत बनाते हैं,
जिंदगी को लंबी नहीं बल्कि बड़ी वा खूबसूरत बना कर जीते हैं!
बहुत ही सुंदर रचना!

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया मनीषा गोस्वामी जी, नमस्ते👏! आपने मेरी रचना पढ़कर उसकी सराहना की, उसमें अपने कुछ प्रेरक शब्दों को भी जोड़ा, मुझे मेरे सृजन का पुरस्कार मिल गया। हृदय से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Amrita Tanmay said...

बहुत ही सुन्दर भाव एवं कथ्य । सीनाजोरी से चोरी ... होनी चाहिए ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया अमृता तन्मय जी, नमस्ते👏! आपने मेरी रचना के भाव पक्ष और कथ्य दोनों की सराहना की है, मुझे अपने सृजन का पारितोषिक मिल गया। आपका हृदय की गहराइयों से आभार!-- ब्रजेंद्रनाथ

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत ही सुंदर रचना

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय Sawai Singh Rajpurohit जी, नमस्ते👏! आपकी सराहना के शब्द मुझे नवीन सृजन के लिये प्रेरित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

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