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#poemmotivational
वक्त के साथ कुछ वक्त बिताता हूँ
आ तुम्हें घड़ी की टिक-टिक सुनाता हूँ,
चलो वक्त के साथ कुछ वक्त बिताता हूँ।
समय जो निकल गया लौट आएगा फिर,
इसी गलत फहमी में खुशियाँ मनाता हूँ।
दस्तक देता है समय, अवसरों के साथ
उनसे अनजान अपनी पहचान बनाता हूँ।
घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।
समय के पार कोई न निकला है कभी,
उसी दायरे में खुशी के पल चुराता हूँ।
©ब्रजेंद्रनाथ √
26 comments:
बहुत सुंदर।
उत्साहवर्धन के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, मेरी इस रचना को कल के चर्चा अंक में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक अभात!--ब्रजेंद्रनाथ
दस्तक देता है समय, अवसरों के साथ
उनसे अनजान अपनी पहचान बनाता हूँ।
घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।
–बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
सार्थक भावों का सुंदर समन्वय।
सुंदर सृजन।
आदरणीया कुसुम कोठारी जी, आपने मेरी रचना का अनुमोदन देकर मुझे सृजन के लिए प्रेरित किया है। आपका हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीया विभा रानी जी, आपके उतसाहवर्धन से ऊर्जस्वित हूँ। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
समय की हकीकत बयान करती सुंदर रचना
आदरणीया अनिता जी, आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ। आपके अनुमोदन से सृजन की प्रेरणा मिलती ही। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।
समय के पार कोई न निकला है कभी,
उसी दायरे में खुशी के पल चुराता हूँ।
सकारात्मक भावों की अति उत्तम अभिव्यक्ति ।
दस्तक देता है समय, अवसरों के साथ
उनसे अनजान अपनी पहचान बनाता हूँ।
सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय ।
घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।..कितनी सार्थक बात, बहुत सुंदर सराहनीय गजल ।
आदरणीया जिज्ञासा जी, सकारात्मक टिप्पणी के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीय दीपक कुमार भामरे जी, आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीया मीना भारद्वाज जी,आपका उत्साहवर्धन मुझे ऊर्जस्वित करता है। हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
समय के पार कोई न निकला है कभी,
उसी दायरे में खुशी के पल चुराता हूँ।
बहुत सुंदर सृजन
आदरणीया भारती दास जी, मेरी रचना पर आपकी सकारात्मक टिप्पणी देखकर आह्लादित हूँ। आपका हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
वाह!बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन आदरणीय सर।
सादर नमस्कार
आदरणीया अनिता सैनी जी, नमस्ते👏! आपके सराहना के शब्द मुझे सृजन के लिए ऊर्जस्वित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
घड़ी का क्या वो तो निकलता जाएगा।
रेत भरी मुट्ठियों में जुगनूयें सजाता हूँ।
आपकी खूबसूरत रचना के लिए मेरे कुछ शब्द
चलो छोटे-छोटे लम्हों को खूबसूरत बनाते हैं,
जिंदगी को लंबी नहीं बल्कि बड़ी वा खूबसूरत बना कर जीते हैं!
बहुत ही सुंदर रचना!
आदरणीया मनीषा गोस्वामी जी, नमस्ते👏! आपने मेरी रचना पढ़कर उसकी सराहना की, उसमें अपने कुछ प्रेरक शब्दों को भी जोड़ा, मुझे मेरे सृजन का पुरस्कार मिल गया। हृदय से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
बहुत ही सुन्दर भाव एवं कथ्य । सीनाजोरी से चोरी ... होनी चाहिए ।
आदरणीया अमृता तन्मय जी, नमस्ते👏! आपने मेरी रचना के भाव पक्ष और कथ्य दोनों की सराहना की है, मुझे अपने सृजन का पारितोषिक मिल गया। आपका हृदय की गहराइयों से आभार!-- ब्रजेंद्रनाथ
बहुत ही सुंदर रचना
आदरणीय Sawai Singh Rajpurohit जी, नमस्ते👏! आपकी सराहना के शब्द मुझे नवीन सृजन के लिये प्रेरित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
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