#BnmRachnaWorld
#motivational poem
#बढ़चलो #प्रगति #पथपर
(इमेज गूगल से साभार)
बढ़ चलो प्रगति पथ पर
बड़ चलो प्रगति पथ पर ,
हो तेरा संकल्प न्यारा।
उदधि की उत्ताल तरंगें,
भर रही हैं नव उमंगें।
लहरें देती हैं निमंत्रण,
बढ़ो नाविक ले नया प्रण।
पवन हो प्रतिकूल,
पर नाविक कब है हारा।
गगन में घहराते बादल,
हवाएं , उन्मत्त पागल।
डरा रही हो आंधियां,
कड़कती हो बिजलियाँ।
उन्मुक्त पक्षी कब रुका,
पंख है उसका सहारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर,
हो तेरा संकल्प न्यारा।
तम अगर गहरा रहा हो,
गगन अंधियारा भरा हो।
सितारे सब छिप गए हों,
चिराग सारे बुझ गए हों।
देखो, सूरज की किरणों,
ने रश्मिरथ को है उतारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर
हो तेरा संकल्प न्यारा।
झूठ ने सच को है घेरा,
पाखंड, प्रपंच का है डेरा।
अभिमन्यु - सा लड़ते रहो
चक्रव्यूह का भेदन करो।
हार सकता है नहीं वह
विजय ही हो जिसका नारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर,
है तेरा संकल्प न्यारा।
भगवतगीता का ज्ञान सकल
अविद्या - तम - प्रहार प्रबल।
विज्ञान - पथ - प्रसार प्रतिपल,
सत्य ही हो सतत संबल।
जीना उसी का है सार्थक,
जिसने इन्हें जीवन में उतारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर
हो तेरा संकल्प न्यारा।
©ब्रजेंद्रनाथ
मेरी यह कविता मेरे यूट्यूब चैनल marmagya net के नीचे दिए गए लिंक पर भी मेरी आवाज में सुनें, अगर अभी तक चैनल को सब्सक्राइब नहीं किये हों, तो सब्सक्राइब कर लें, यह बिल्कुल फ्री है, और आगे भी फ्री ही रहेगा।
Link: https://youtu.be/BK1lXN-9iM4
इस रचना को लयबद्ध किया है, वरिष्ट कवि और गीतकार परम श्रद्धेय परम आदरणीय माधव पाण्डेय 'निर्मल' जी ने
https://drive.google.com/file/d/1aZO54yUzQxn0yAmjQEtonMcwJgs50vp5/view?usp=drivesdk
8 comments:
भगवतगीता का ज्ञान सकल
अविद्या - तम - प्रहार प्रबल।
विज्ञान - पथ - प्रसार प्रतिपल,
सत्य ही हो सतत संबल।
जीना उसी का है सार्थक,
जिसने इन्हें जीवन में उतारा।
बहुत ही सुन्दर सृजन आदरणीय सर, 🙏
आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, नमस्ते👏! आपके सराहना के शब्द मुझे सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (१३-०२ -२०२२ ) को
'देखो! प्रेम मरा नहीं है'(चर्चा अंक-४३४०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीया अनिता सैनी जी, नमस्ते👏!मेरी इस रचना को कल रविवार, 13 फरवरी के चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
सराहनीय सृजन।
हरिवंशराय बच्चन जी की आज लहरों का निमंत्रण याद आ गई।
सुंदर।
आदरणीया कुसुम कोठारी जी, सराहना एवं उत्साहवर्धन के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
आशा और उम्मीद भी भावनाओं से सरोबर सुन्दर रचना ...
आदरणीय, आपकी सराहना से अभिभूत हूँ। साडार आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
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