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#हर घर तिरंगा फहरायेंगे
परमस्नेही मित्रों,
आजादी की अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा फहराने के अभियान का आरम्भ हो रहा है. इस अवसर पर, स्वतंत्रता को कैसे हासिल किया गया, किन अनाम और गुमनाम वीरों ने उस यज्ञ में आहुति दी और अब स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे कंधों पर कर्त्तव्यो की क्या जिम्मेवारी है, उन्हें रेखांकित करते हुए मेरी कविता सुनें "हर घर तिरंगा लहरायेंगे"
हर घर तिरंगा लहरायेंगे
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आओ मनायें आजादी का अमृत महोत्सव
स्वतंत्रता की शौर्य गाथा का विजयोत्सव |
सन सैतालिस में तिरंगा जो लाल किले पे लहराया था.
उसमे शहीदों का लाल लहू पाँचवाँ रंग कहलाया था.
आजादी के संघर्षों का इतिहास याद कर लो प्यारो,
गोली खाकर खेत हुए, कुछ शूली पर चढ़ गए यारों.
सन सैतालिस में तिरंगा जो लाल किले पे लहराया था.
उसमे शहीदों का लाल लहू पाँचवाँ रंग कहलाया था.
आजादी के संघर्षों का इतिहास याद कर लो प्यारो,
गोली खाकर खेत हुए, कुछ शूली पर चढ़ गए यारों.
याद करो आजाद, भगत, सुखदेव, राजगुरु, बिस्मिल को,
याद करो आजाद हिन्द वालों की क्रांति की बिगुल को.
याद करो जो जालियांवला बाग़ में खून बहाए थे.
याद उन्हें भी कर लेना जो अनाम शहीद कहाए थे.
भूल उन्हें भी मत जाना संथाल क्रांति के वीरों को,
सिद्धू - कान्हू, बिरसा मुंडा, फूलो - झामो के तीरों को.
मंगल पांडे, तात्या टोपे, वीर कुंवर, लक्ष्मीबाई को,
पीर अली, नाना साहेब, जैसे बांकुरों की अथक लड़ाई को.
बर्फ़ानी, बारिश में, आंधी में, रेतीले तूफ़ानों में,
घहराते युद्धक विमानों में, तोपों के विकट दहानों में.
जो डटे रहे, बढ़ते रहे किंचित भी विचलित नहीं हुए.
जो चढ़ गए चोटियों पर, तनिक थकित भी नहीं हुए.
जो चढ़ गए चोटियों पर, तनिक थकित भी नहीं हुए.
जो तिरंगे में लिपट गए, राष्ट्र - शक्ति - शौर्य - सम्मान किया,
उन्हें याद करते हैं हम, तिरंगे के पांचवे रंग को मान दिया.
उन्हीं की शान में तिरंगा हर घर में फहराएँगे,
देशाभिमान निज स्वार्थ से ऊपर, राष्ट्र भक्त कहलाएंगे.
उन्हें याद करते हैं हम, तिरंगे के पांचवे रंग को मान दिया.
उन्हीं की शान में तिरंगा हर घर में फहराएँगे,
देशाभिमान निज स्वार्थ से ऊपर, राष्ट्र भक्त कहलाएंगे.
आजादी का अमृत पर्व है राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने का,
सत्य सनातन से सशक्त कर विश्व वंन्धुत्व भाव जगाने का.
स्वतंत्रता प्राप्ति का विजयोत्सव हर गली मोड़ पर मनाएंगे,
आजादी के अमृत पर्व का संदेश घर घर में फैलाएंगे.
राष्ट्रप्रेम की अलख जगाएं
हर घर तिरंगा लहारायें.
हर घर तिरंगा लहरायें.
©ब्रजेन्द्र नाथ
इस कविता को मेरे यूट्यूब चैनल "marmagya net" के इस लिंक पर सुने
6 comments:
आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, नमस्ते 🙏❗️मेरी रचना को 14 अगस्त क़े चर्चा अंक में सम्मिलित करने क़े लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
देश भक्ति से परिपूर्ण हृदय स्पर्शी सृजन।
बहुत सुंदर ।
वंदेमातरम्।
आदरणीया, आपकी सराहना से अभिभूत हूँ. ह्रदय की गहराइयों से आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ l
आदरनीय सर,देशभक्ति और सद्भावनाओं से परिपूर्ण सृजन बहुत भावुक कर गया।सच में सामूहिक ध्वजारोहण,अपनी जान को हँसते-हँसते बलिदान करने वाली हुतात्माओं को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि है साथ में ये जातीयता और धार्मिकता की कुटिल विसंगतियों को भूल कर राष्ट्रीय एकता का संदेश देता है।हार्दिक बधाई आपको इस अभिनव सृजन के लिए 🙏🌺🌺
तिरंगे में पांचवें रंग की कहाँ आवश्यकता आ गयी। केसरिया रंग रक्त का प्रतीक ही है।
क्रांतिकारी कविता के लिए हार्दिक धन्यवाद।
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