भोजपुरी में पावस लोकगीत
बरखा क़े रिमझिम फुहार हो
बरखा क़े रिमझिम फुहार हो,
नाचे लागल गुजारिया.
नील आकाशवा पर तनल बा चदरिया
काली काली कजरारी घिरेला बदरिया
गोरी अपन चुनरी संभार हो,
भींग जाई अंचरवा.
बरखा क़े रिमझिम फुहार हो,
नाचे लागल गुजरिया.
पेड़वा क़े पतवा पर गिरेला बुंदिया
जलवा भरल औ उफ़नल बा नदिया.
मनवा में भरल बा हुलास हो,
चली अब हरवा कुदरवा.
बरखा क़े रिमझिम फुहार हो,
नाचे लागल गुजरिया.
पूरवैया चलत बाटे सननन सननन,
जियरा क़े मोर नाचे छननन छननन.
प्रकृति नटी क़े सुन्नर सिंगार हो,
नैना भइल बा बावरिया.
बरखा क़े रिमझिम फुहार हो,
नाचे लागल गुजरिया
तडाग क़े मिलन होखेला तलैया से,
सागर क़े संगे संगम होखेला नदिया से.
संसार में पसरल बा प्यार हो,
अब अइहे सावरिया.
बरखा क़े रिमझिम फुहार हो,
नाचे लागल गुजरिया.
©ब्रजेन्द्र नाथ
परम स्नेही मित्रों,
आप यूट्यूब के "marmagya net" चैनल पर दृश्यों का अवलोकन करते हुए सुने भोजपुरी पावस लोकगीत. यह गीत मैंने अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन की झारखण्ड की प्रांतीय इकाई द्वारा आयोजित पावस संध्या पर 28 अगस्त को तुलसी भवन क़े प्रयाग कक्ष में प्रस्तुत किया था. गीत की पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :
यूट्यूब लिंक :
https://youtu.be/_MswP_4rcCs
12 comments:
वाह! मन हरिहरा गइल पावस के ई भोजपुरी फुहार से।
लोक रंग की सुगंध छिपाये नहीं छिपती।अत्यंत सुंदर रचना भावपूर्ण रचना आंचलिकता की पहचान लिये।हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ आदरनीय सर 🙏
आदरणीय विश्वमोहन जी, नमस्ते 🙏❗️ आपके सराहना क़े शब्दों से अभिभूत हूँ. आपका ह्रदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीया रेणु जी, नमस्ते 🙏❗️
आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ. ह्रदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
सुंदर पावस गीत, लोकगीतों की महक ही कुछ और होती है
आदरणीया अनिता जी, नमस्ते 🙏❗️
आपके उत्साहवर्धन से सृजन की प्रेरणा मिलती है. ह्रदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-9-22} को "श्रद्धा में मत कीजिए, कोई वाद-विवाद"(चर्चा अंक 4549) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आदरणीया कामिनी सिन्हा जी, नमस्ते 🙏❗️ अपने मेरी इस रचना को कल रविवार 11 सितम्बर क़े चर्चा अंक में साम्मिलित किया है, इसके लिए मैं ह्रदय से आभार प्रकट करता हूँ. सादर!--ब्रजेन्द्र नाथ
बहुत सुंदर भाव प्रवण सृजन आँचलिक सुगंध के साथ।
वाह मर्मज्ञ जी, बहुत ही सुन्दर गीत !
आदरणीया कुसुम कोठारी (मन की वीणा) जी, नमस्ते 🙏❗️ आपकी सराहना से अभिभूत हूँ. आप सृजन क़े लिए प्रेरित करती रही हैं. हार्दिक आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीय गोपेश मोहन जी, नमस्ते 🙏❗️आपके उत्साहवर्धन से अभिभूत हूँ. ह्रदय तल से आभार ❗️--ब्रजेन्द्र नाथ
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