अमृतमयी माँ, हमें प्यार देना.
स्वारथ में हम रत हैं हमेशा,
अपने ही बारे में सोचे हैं निशदिन.
बुद्धि पर छाई घनी विकृति को,
प्रक्षालित करना माता प्रतिदिन.
बालक हैं तेरे हमें दुलार देना
करुणामयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
हमें शक्ति देना लडूँ राक्षसों से,
दशानन दुश्चकरों में फाँसता है,
पाकर अकेली माता सीता को
मर्यादा की लक्ष्मण रेखा लाँघता है.
हमें शौर्य की तू तलवार देना.
शक्तिमयी माँ हमें तार देना.
अमृत....
महिषासुर फिर रणमत्त होकर
सत्य सनातन पर घात करता.
रक्तबीजों से छाया घनमंडल,
धर्माचरण की ध्वजा ध्वस्त करता.
हमें फरसे की तू धार देना.
शौर्यमयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
निकल पड़े हम करने को रक्षा
केसरिया बाना फहराते हुए.
कोई भी पापी मिल जाये मग में,
उसको ठिकाने लगाते हुए.
सत्य - समर्थित संसार देना.
श्रद्धामयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
प्रकृति के दोहन से दूषित हुए
चराचर जगत को बचाएंगे हम.
शपथ में हमारी साक्षी बनो माँ
धरा को हरा फिर बनायेंगे हम.
शुद्धता शुचिता का विचार देना
विद्यामयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
सीमा पर दुश्मन रहता घात में,
करता अतिक्रमण भूखंडों पर.
काल भैरव हमें बना देना माँ
नर्तन करूँ उनके नरमुण्डों पर.
शिराओं में रक्त का संचार देना.
कल्याणमयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
साधना क़े पथ पर सघन शक्ति देना,
भावना क़े पथ पर भ्रमर - भक्ति देना
तपस्या में लक्षित हो तप की तितीक्षा
प्रखरता की हो प्रबलतम परीक्षा.
बालक हूँ तेरा अंक में प्यार देना
ममतामयी माँ हमें तार देना.
अमृतमयी...
स्वारथ में हम रत हैं हमेशा,
अपने ही बारे में सोचे हैं निशदिन.
बुद्धि पर छाई घनी विकृति को,
प्रक्षालित करना माता प्रतिदिन.
बालक हैं तेरे हमें दुलार देना
करुणामयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
हमें शक्ति देना लडूँ राक्षसों से,
दशानन दुश्चकरों में फाँसता है,
पाकर अकेली माता सीता को
मर्यादा की लक्ष्मण रेखा लाँघता है.
हमें शौर्य की तू तलवार देना.
शक्तिमयी माँ हमें तार देना.
अमृत....
महिषासुर फिर रणमत्त होकर
सत्य सनातन पर घात करता.
रक्तबीजों से छाया घनमंडल,
धर्माचरण की ध्वजा ध्वस्त करता.
हमें फरसे की तू धार देना.
शौर्यमयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
निकल पड़े हम करने को रक्षा
केसरिया बाना फहराते हुए.
कोई भी पापी मिल जाये मग में,
उसको ठिकाने लगाते हुए.
सत्य - समर्थित संसार देना.
श्रद्धामयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
प्रकृति के दोहन से दूषित हुए
चराचर जगत को बचाएंगे हम.
शपथ में हमारी साक्षी बनो माँ
धरा को हरा फिर बनायेंगे हम.
शुद्धता शुचिता का विचार देना
विद्यामयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
सीमा पर दुश्मन रहता घात में,
करता अतिक्रमण भूखंडों पर.
काल भैरव हमें बना देना माँ
नर्तन करूँ उनके नरमुण्डों पर.
शिराओं में रक्त का संचार देना.
कल्याणमयी माँ हमें तार देना.
अमृत...
साधना क़े पथ पर सघन शक्ति देना,
भावना क़े पथ पर भ्रमर - भक्ति देना
तपस्या में लक्षित हो तप की तितीक्षा
प्रखरता की हो प्रबलतम परीक्षा.
बालक हूँ तेरा अंक में प्यार देना
ममतामयी माँ हमें तार देना.
अमृतमयी...
©ब्रजेन्द्र नाथ
यही कविता मेरे यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर मेरी आवाज में सुनें :
2 comments:
देवी माँ से अनुकरणीय प्रार्थना, नवरात्रि की शुभकामनाएँ!
आदरणीया अनिता जी,नमस्ते 🙏❗️ आपकी सराहना से अभिभूत हूँ. शारदीय नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनायें ❗️ सादर आभार!--ब्रजेन्द्र नाथ
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