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जम्मु कश्मीर यात्रा वृतांत, 27-05-2018, रविवार, 6 ठवाँ दिन (Day 6),
आज सुबह नाश्ते के बाद करीब 9 बजे हमलोग श्रीनगर के लिये निकल गये। रास्ते में बैट फैक्टरी देखने को मिला। यहाँ हल्का बैट बनाने वाली लकड़ी पायी जाती है। उसी से बैट बनता है। यहां कई लोगों ने सस्ते बैट लिये, जो अपने रिश्तेदारों को भेंट स्वरूप भी दे सकते हैं।
रास्ते में अनन्तनाग शहर भी मिला। यहाँ से गुजरते हुये 1990 में हिन्दुओं के पलायन का मंजर सामने आ गया। आजाद भारत में हिन्दुओं को पलायन का सन्त्रास झेलना पड़े, इससे शर्मनाक और क्या बात हो सकती है।
इस ब्यथा को मन में समेटे हमलोग आगे बढें। बस को श्रीनगर से बाहर ही छोड़ देना पड़ा। क्योंकि दिन में बड़ी गाड़ियों का नगर में प्रवेश वर्जित था। मिनी बस से हमलोग होटल Four seasons पहुन्चे।
दिन का भोजन 2 बजे हुआ। थोडा विश्राम कर हमलोग 5 बजे चाय लिये। चाय के बाद डल झील में नौका विहार, जिसे यहाँ शिकारा कहा जाता है, के लिये हमलोग चल पड़े।
वहाँ पहुँचकर पेरिस ब्यूटी नामक नौका पर हमलोग सवार हो गये। वहीं पर आदरणीया शीला श्रीवास्तव, सेवा निवृत्त शिक्षिका, चिन्मया विद्यालय, जमशेदपुर से हुआ। डल झील करीब 22वर्ग किलो मीटर में फैली हुयी एक प्राकृतिक झील है। इसकी सतह पर नौकायन एक नये अनुभव से गुजरना था। शाम के पहले का उजाला और उसमें हमारी नौका जल के सतह पर धीरे-धीरे बढती रही। हमलोगों ने वीडियो लिये। तस्वीरें भी लीं।
मैने अपनी एक ताजी कविता सुनाई, जिसका विडियो श्रीमती श्रीवास्तव ने लिया। बीच में नौका रोकी गयी और हमलोग नेहरु पार्क में प्रवेश किये। यह पार्क झील के बीच में बना हुआ है। शाम के धुन्धलके के उतरने के ठीक पहले झील के बीच इस छोटे से पार्क का सौन्दर्य कुछ निखर गया है। यहां भी फूलों के बीच तस्वीरें ली गयीं। इसके बाद झील पर शाम धीरे-धीरे उतरने लगी।
आखिरी तस्वीर नेहरु पार्क के पास की छोटी सी पुलिया के नीचे फैलते शैवाल शरीखे घास की गन्दगी का है जो झील को घेरने पर उतारू है। झील के अस्तित्व को बचाने के लिये इन शैवालों को उखाड़ना होगा।
हमलोग नौका पर पुन: सवार हुये। शाम में रोशनी के बीच झील में दोनो ओर सजे हुये मीना बाज़ार से होकर नौका पर गुजरना अच्छा लगा। हालांकि हमलोगों ने कोई खरीददारी नहीं की। सीधे निर्धारित मिनी बस से वापस होटल आ गये।
क्रमश:
1 comment:
इसमें श्रीनगर के डल झील का मनोहारी चित्रण हुआ है। अवश्य पठनीय!
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