#BnmRachnaWorld
#patriotic#Hindipoem
पुलवामा आतंकी हमले पर मेरे आक्रोश की अभिब्याक्ति स्वरुप कुछ पन्क्तियाँ:
धरा पुकारती, गगन पुकारता
जलाओ आग सीने में, वतन पुकारता।
जो रच रहे षड्यंत्र देश के विखंडन का,
उनके मान- मर्दन को प्रण पुकारता।
जो छद्म युद्ध कर रहे, उन्हें दिखा दो।
छिप के वार कर रहे, उन्हें सिखा दो।
क्रुद्ध हिन्द कितना कराल होता है।
त्रिशूल पर सवार कैसे महाकाल होता है।
क्षत विक्षत लाशों की ढेर से
एक लिंग प्रकट होंगे ले मशाल लाल
लेलिह्य जिह्वा से रक्तपान के लिए
रणचंडी सजायेगी एक नया थाल।
देश के सब्र का टूट गया बाँध अब
बलिदानी जत्थो का समर्पण पुकारता।
जो रच रहे षडयंत्र देश के विखंडन का
उनके मान मर्दन को प्रण पुकारता।
ब्रजेन्द्रनाथ
#patriotic#Hindipoem
पुलवामा आतंकी हमले पर मेरे आक्रोश की अभिब्याक्ति स्वरुप कुछ पन्क्तियाँ:
धरा पुकारती, गगन पुकारता
जलाओ आग सीने में, वतन पुकारता।
जो रच रहे षड्यंत्र देश के विखंडन का,
उनके मान- मर्दन को प्रण पुकारता।
जो छद्म युद्ध कर रहे, उन्हें दिखा दो।
छिप के वार कर रहे, उन्हें सिखा दो।
क्रुद्ध हिन्द कितना कराल होता है।
त्रिशूल पर सवार कैसे महाकाल होता है।
क्षत विक्षत लाशों की ढेर से
एक लिंग प्रकट होंगे ले मशाल लाल
लेलिह्य जिह्वा से रक्तपान के लिए
रणचंडी सजायेगी एक नया थाल।
देश के सब्र का टूट गया बाँध अब
बलिदानी जत्थो का समर्पण पुकारता।
जो रच रहे षडयंत्र देश के विखंडन का
उनके मान मर्दन को प्रण पुकारता।
ब्रजेन्द्रनाथ
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