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परमस्नेही साहित्यान्वेषी परिजन सदृश पुस्तक प्रेमी मित्रों,
बहुत हर्ष के साथ आपको सूचित करना चाह रहा हूँ कि मेरा पहला कविता संग्रह "कौंध' नाम से अमेज़न के किंडल एडिशन पर प्रकाशित हो चुका है।
पुस्तक का अत्यंत संक्षिप्त विवरण:
This collection of poems in Hindi is created from the flash of imagination in the cloud of thoughts... so the name stands "Kaundh" (Flash). जब हमारे भाव - समुद्र में चिंतन की तपिश से भाप बनकर शब्दों के जलकण - समूह बादल बन जाते हैं, तो उनके संघर्षण से "कौंध" उत्पन्न होती है।
उसी "कौंध" के बाद शब्दों के घनीभूत बादल बरसते हैं और कविता की सरिता बह निकलती है। इस सरिता की वेगवान धार में किनारों से गतिरोध उत्पन्न करने वाले शैवालों को उखाड़ फेंकने का दम है, तो पत्थरों और चट्टानों पर लकीरें खींचने का ख़म भी है। इसमें अगर ऊपर-ऊपर धार की नीरव सतह है, तो उसके अंदर दाह भी छिपा है, उष्मा भी छिपी है।
इन कविताओं की सरिता प्रकृति और पर्यावरण के सन्दर्भ - बूंदों की यात्रा से लेकर मैदानी इलाकों में नदी के प्रवाह के रूप में जल संचय और जल सिंचन करती हुयी बही जा रही है। यहाँ वीर रस है, जहाँ सैनिकों की शौर्य गाथा और युवाओं को जगाने की कवितायें है, तो स्त्री विमर्श पर भी कवितायें हैं। महिलाओं को पहली बार भारतीय वायुसेना में पाइलट बनाये जाने पर भी कविता है। अंत में बहुआयामी सन्दर्भ में श्रृंगार रस की भी कवितायें हैं।
इसमें से कई कवितायें कविता समारोहों में सुनायी गयी हैं, जिसका वीडियो मैंने अपने यूट्यूब चैनल
maramagya net पर अपलोड किया है। मैंने अन्य कई कविताएं भी अपनी आवाज में अपने इस चैनल पर अपलोड किया है। आप इस चैनल को सब्सक्राइब करें, लाइक करें और शेयर भी करें।
तो आइये कविता की सरिता में अवगाहन करते हैं...
चंद्र रश्मियाँ सतह पर सरिता के,
बिखरती हैं, छलछल करते हुए|
शब्दों के जुगनू जाग जाते हैं,
राग सुनाते हैं, कलकल करते हुए|
आइये उसी राग को सुनते हैं, और गुनते हैं...
ब्रजेन्द्रनाथ
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अगर आप को दिक्कत हो तो मेरे मेल आई डी brajendra.nath.mishra@gmail.com मुझे मेल करेें।
सादर आभार!
ब्रजेंद्रनाथ
कौंध: हिंदी कविता संग्रह (Hindi Edition) https://www.amazon.in/dp/B07Q4HTTPF/ref=cm_sw_r_cp_apa_i_A94NCbHC5GHGR
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