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परम स्नेही मित्रों,
पिच्छले २९ सितम्बर को डॉ राधानंदन सिंह जी के आमंत्रण पर मैं मारुती सत्संग मंडल पुणे के वेबिनार से जुड़ा। डॉ राधा बाबू के कर्मफल सिद्धांत पर दिए गए प्रेरक वक्तव्य के बाद मैंने अपनी दो भक्तिपूर्ण रचनाएँ प्रस्तुत की। एक योगेश्वर श्री कृष्ण पर और दूसरी भगवान राम के वन गमन पर। इसी का यूट्यूब वीडियो लिंक मैं दे रहा हूँ। आपके बहुमूल्य विचारों का स्वागत है। सादर:
--ब्रजेंद्र नाथ
यूट्यूब लिंक: https://youtu.be/fJES-jIN7cw
मन में तेरा ही नाम रहे
श्याम मेरे, घनश्याम मेरे,
मन में तेरा ही नाम रहे।
प्रेम की बाती जलती रहे,
नेह की बूंदे गिरती रहें।
तन मेरा तू सींचित कर दो,
मोहपाश को सीमित कर दो।
मनमोहक तेरी ही छवि,
नयनों में आठो याम रहे।
मन में तेरा ही नाम रहे।
मन में झूठे अहंकार का
पौधा एक पनप रहा है।
काम, क्रोध, लोभ, मत्सर का
विषय - व्याल लिपट रहा है।
मानस में तेरा ही चिंतन
सुबह, दोपहर शाम रहे।
मन में तेरा ही नाम रहे।
भक्ति तेरी मैं पाऊँ कैसे?
चरणों से जुड़ जाऊँ कैसे?
भँवर समर के घेर रहे हैं,
इनको जीत मैं आऊँ कैसे?
संकल्पों में शक्ति भर दो,
ओठों पर गोकुलधाम रहे।
मन में तेरा ही नाम रहे।
©ब्रजेन्द्रनाथ
12 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (23-09-2020) को "निर्दोष से प्रसून भी, डरे हुए हैं आज" (चर्चा अंक-3833) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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भक्तिभाव से परिपूर्ण सुंदर रचना
आ डॉ रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" सर, आपने चर्चा अंक ३८३३ के लिए मेरी इस रचना का चयन किया है, इसके लिए ह्रदय तल से आभार !--ब्रजेंद्रनाथ
आदरणीया अनीता जी, नमस्ते ! आपके उत्साहजनक उदगार सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगें ! सादर आभार !--ब्रजेन्द्र नाथ
भक्तिरस में डूबा बहुत ही सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको
आदरणीया कामिनी जी, नमस्ते! आपने मेरी इस रचना पर बहुत सुंदर उदगार व्यक्त किये हैं। आपके जैसा सुधी साहित्यान्वेषी ही ऐसी टिप्पणी दे सकता है। आपका हृदय तल से बाहर!
हृदयस्पर्शी सुंदर भक्तिपूर्ण गीत हेतु साधुवाद 💐🙏💐
आदरणीया डॉ वर्षा सिंह जी, नमस्ते👏! आपके उत्साहवर्धक उदगार मेरे लिए सृजन की दिशा दिखलाते रहेंगें। सादर आभार!
--ब्रजेन्द्रनाथ
भक्तिभाव से ओतप्रोत ईश्वर की आराधना में समर्पित एक संग्रहणीय भक्तिगीत.सादर नमन आदरणीय 🙏
बहुत सुन्दर रचना।
आदरणीया डॉ जेन्नी शबनम जी, आपकी सराहना के शब्द मेरे लिए सृजन की प्रेरणा बन जाते हैं। हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ
आदरणीया मीना भारद्वाज जी, मेरी रचना पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ
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