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Thursday, September 17, 2020

ब्रह्मांड शिल्पी और भारत शिल्पी (नरेंद्र मोदी) दोनों को नमन (कविता)

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विश्वकर्मा भगवान का वंदन

सृष्टि के प्रथम शिल्पी का करते हैं अभिनन्दन।
हाथ जोड़ विश्वकर्मा भगवान का करते हैं वंदन।

आपने शिल्प कर्म को कौशल की आभा दी है,
श्रमवीरों को स्वाभिमान से जीने की श्लाघा दी है।

इस जगत में सर्वत्र व्याप्त, आपकी सुंदर संरचना,
निर्माण हुआ या हो रहा, सब आपकी ही प्रेरणा।

ब्रह्मांड सारा आपसे गतिमान है पथ पर अपना,
आपसे ही जीवों का पूरा हो रहा घर का सपना।

धर्म पथ पर बढ़ चलें हम, शुद्ध हो मेरे आचरण,
गमन पथ प्रशस्त करना, बढ़ते चले मेरे चरण।

ब्रह्माण्ड में तेरा ही राज, भक्तों की रखना तू लाज,
भाव मैं अर्पित करूँ, झुके नहीं कभी सच का ताज।

हम अभिमानी, मूर्ख, पूजा विधि से अनजान हैं।
अपनी शरण में ले लो प्रभु, हम तेरी ही संतान हैं।

©ब्रजेन्द्रनाथ








प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर मेरे उदगार:

आज ब्रह्मांड के शिल्पी विश्वकर्मा जी
का करते हैं वंदन,
साथ साथ भारत शिल्पी नरेंद्र जी को
जन्मदिन का अभिनन्दन!

मौन उसे देखकर
भूल मत कोई कर ।
दहाड़ेगा सिंह बन
नियति को तोलकर ।
शक्ति संचयन में लगा हुआ साधक,
टूटेगा मृगराज - सा, अभी
वन - वन डोलता है ।
शान्त पड़ी ज्वाला में भी
अनल - कण होता है ।

स्यारों की हुआ - हुआ
कुकुरों का कुकुरहाव ।
कौओं का  
काँव - काँव,
चापलूसों का हावभाव ।
इन सबसे निरपेक्ष
अपनी  धुन में मग्न ।
एक पथ, एक लक्ष्य
देश - सेवा का एक प्रण।
दुश्मनों की छाती तोड़ेगा, भीम बन
अभी बाजुओं का बल
मन - ही - मन तोलता है ।
शांत पड़ी ज्वाला में भी
अनल - कण होता है ।

©ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र

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