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Saturday, May 25, 2019

सर्वत्र तुम्हारी जय हो (कविता बच्चों के जन्मदिन के लिए)

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सर्वत्र तुम्हारी जय हो

तेरी मुस्कराहटें फैलाती रहे रोशनी,
तेरी चपलताएँ चटपटी चाशनी।

तुम अपने पांवों से
मुझको भी चलना सिखला दे,
उठकर गिरना, गिरकर उठना,
और सम्भलना  फिर चल देना,
सारी दुनिया को, जीने का
यही तो है फंडा बतला दे।

तुम पकड़कर मेरी उंगली,
कदम बढ़ाओ ऐसे पथ पर,
नए बदलाव लाओ जग में,
चढ़े चलो रश्मिरथ पर।

सबों के चेहरे पर मुस्कान हो
ऐसे काज जहाँ में करना।
तेरे कर्मों के प्रकाश से,
फैले उजाले सबके अँगना।

तुम सच करना अपने सपने,
दुआएं दे रहे तुम्हारे अपने ।

मैं जब बूढ़ा हो जाऊँगा,
मेरा पाँव शिथिल हो जायेंगा।
सहारा देना तुम मुझको
मेरा जन्म सफल हो जाएगा।

इस जहाँ में निर्भीक बनो तुम
सर्वत्र  तुम्हारी  जय हो,
हर दिन तुम्हारा मंगलमय हो !
हर दिन तुम्हारा मंगलमय हो।

©ब्रजेंद्रनाथ

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