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सिक्के के सफर की कहानी
सुनो सुनता हूँ मैं अपने
सफर की एक कहानी।
पिघल-पिघल कर मैंने पायी
गोल मटोल - सी सुंदर काया।
टकसाल मेरा है जन्मस्थान,
चमक से जग सारा भरमाया।
मैं आते ही पड़ा एक दूल्हे के
वैवाहिक रस्म की थाल में ।
बुद्धि गणेश पर मुझे चढ़ाया,
प्रभु चरणों की संभाल में।
अब मैं सुगंध में लिपटा हूँ,
दुल्हन के आँचल की।
ऐसे ही रुन - झुन सुनूँ
दुल्हन के पायल की।
ऐसे कहाँ भाग्य है मेरे
यहाँ से करुणा भरी कहानी।
सुनो सुनाता हूँ मैं अपने
सफर की एक कहानी।
मैं चला गया सेठ की
नई बनी अलमारी में।
उसने जैसे बंद किया हो,
जेल की चार दिवारी में।
मेरा दम घुटता रहा
हवा नहीं, नहीं पानी।
सुनो सुनता हूँ मैं अपने
सफर की एक कहानी।
वहाँ से किसी तरह निकल
पनवाड़ी की गद्दी के नीचे।
मेरा चेहरा बिगड़ चला,
अब हूँ कबाड़ी के रद्दी के नीचे।
रद्दी के साथ रोज रोज
मैं तौला जाता हूँ।
हर रोज मैं रोता हूँ,
हर रोज धकेला जाता हूँ।
हर सिक्के की अलग-अलग
ढंग से बीती जवानी ।
सुनों सुनाता हूँ मैं अपने
सफर की एक कहानी।
मेरी भी है आश किसी दिन
जा पड़ूँ नन्ही सी मुठ्ठी में।
जैसे कोई रंग - बिरंगी
तितली बंद हो नन्ही मुट्ठी में।
मेरा भी रिश्ता हो जाये
किसी से थोड़ी सी रूहानी।
सुनों सुनाता हूँ मैं अपने
सफर की एक कहानी।
©ब्रजेन्द्रनाथ
12 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (27-09-2020) को "स्वच्छ भारत! समृद्ध भारत!!" (चर्चा अंक-3837) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सुन्दर
बहुत सुन्दर।
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पुत्री दिवस की बधाई हो।
आदरणीय सुशील कुमार जोशी जी, आपकी सराहना के शब्द सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे। सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ
सुन्दर प्रस्तुति
टका टक सफ़र टके का!
आदरणीय डॉ रूपचंद शास्त्री "मयंक" सर, आपने चर्चा मंच के लिए मेरी इस कविता का चयन किया है, इसके लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ
आदरणीय ओंकार जी, आपके सराहना के शब्द मेरे सृजन को ऊर्जा प्रदान करते हैं। सादर आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ
आदरणीय हर्षवर्धन जी, नमस्ते! आपके उत्साहवर्धन के हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ
ज़नाब ने रूपये की किस्मत किसतरह बदलती आई है उसका कच्चा चिठ्ठा ही प्रस्तुत कर दिया था अब ही कल की ही बात है एक रूपये एक अमरीकी डॉलर के बराबर था ,एक डॉलर डेढ़ रूपये की हैसियत लेते हुए मैंने अपने अध्यापन काल में देखा (१९६७ -२००५ ).
बेहतरीन रचना एक रूपये की आत्मकथा
kabirakhadabazarmein.blogspot.com
आदरणीय वीरेंद्र शर्मा जी, नमस्ते 👏! आपकी सुंदर और तथ्यपरक टिप्पणी के लिए हृदय तल से आभार! सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ
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