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Saturday, July 24, 2021

पाठकों से मन की बात भाग 5 (लेख)

 #BnmRacbnaWorld

#पाठकों से मन की बात

#pathakon se man ki baat







पाठकों से मन की बात भाग 5:

परमप्रिय स्नेही प्रबुद्ध पाठक और कलमकार मित्रों,
पिछले "पाठकों से मन की बात" में मैंने पाठकों से नीर क्षीर विवेकी होकर सत्साहित्य के चयन का उत्तरदायित्व निभाने की बात कही थी। इसपर आ उषा वर्मा जी, आ दामिनी जी, आ गरिमा मिश्रा जी , आ प्रीतिमा भदौरिया जी, और आ संतोष साहू "संतो" जी की जीवंत और सारगार्भित प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। आ उषा वर्मा जी ने सही लिखा है कि  लेखकों से यही अपेक्षा है कि वे उत्तरोत्तर लेखन के कथ्य और शिल्प की सूक्ष्मता को परखें और स्तरीय सामग्री देने का प्रयास करें।
कथा शिल्प सिर्फ घटनाओं का विवरण और उसका रिपोर्ट जैसा नहीं होता है। कथा शिल्प में हर सम्वाद के पीछे उस पात्र की और सामने जिससे वह संवाद रत है, उसकी मनोभावनाओं की भी अभिव्यक्ति की अपेक्षा होती है। इसमें लेखक की अपनी परोक्ष टिप्पणी भी साथ - साथ चलती है। लेखक संवेदना को प्रभावी बनाने के लिए वातावरण का भी सहारा लेता है। उदाहरण के लिए अगर पात्र या पात्रों के मन में उल्लास होगा, तो उसे का उन्हें सुबह का सूर्य विहंसता हुआ अपने चेहरे पर फैली लालिमा को क्षितिज पर बिखेर कर उसे लाल करता दिखाई देगा।
अगर पात्रों के मन में उदासी होगी तो लगेगा कि सूरज रात भर जागा है, उसकी आंखें लाल है, वही लालिमा क्षितिज पर फैल रही है। इस तरह की उपमाएं कहानी को नई ऊँचाई प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए लेखकों को साहित्य जगत के प्रसिद्ध कथाकारों, जैसे अज्ञेय, निर्मल वर्मा, हिमांशु जोशी, नरेंद्र कोहली को पढ़ना चाहिए।
पाठकों को भी अपनी रुचि को वैसी कहानियों और कथाकारों की रचनाओं से  जोड़ना चाहिए।
एक और संवाद के साथ जुड़ते है, अगले शुक्रवार को:
©ब्रजेन्द्रनाथ

15 comments:

Kamini Sinha said...

कृपया २६ की जगह २७ पढ़े
कल थोड़ी व्यस्तता है इसलिए आमंत्रण एक दिन पहले ही भेज रही हूँ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया, चर्चा मंच के लिए मेरी रचना को चयनित करने के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल said...

उभरते हुए साहित्यकारों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देता हुआ आलेख, अपनी अलग छाप छोड़ जाता है, प्रभावशाली लेखन व सठिक विश्लेषण - - साधुवाद सह।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

जानकारीयुक्त, मार्गदर्शन करती रचना

कविता रावत said...

अगर पात्र या पात्रों के मन में उल्लास होगा, तो उसे का उन्हें सुबह का सूर्य विहंसता हुआ अपने चेहरे पर फैली लालिमा को क्षितिज पर बिखेर कर उसे लाल करता दिखाई देगा।
अगर पात्रों के मन में उदासी होगी तो लगेगा कि सूरज रात भर जागा है, उसकी आंखें लाल है, वही लालिमा क्षितिज पर फैल रही है।

.. एकदम सही बात

Vocal Baba said...

मार्गदर्शन करती प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत आभार। सादर।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय शान्तनु सान्याल जी, आपके सराहना के शब्द मुझे सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय गगन शर्मा जी, मेरे लेख पर सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार!सादर!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया कविता रावत जी, मेरी इस रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय वीरेंद्र सिंह जी, मेरी रचना की सराहना के लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

Amrita Tanmay said...

स्पष्ट एवं सार्थक संवाद ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय अमृत तन्मय जी, आपके सराहना के शब्द हमें सृजन के लिए प्रेरित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

दिगम्बर नासवा said...

सहमत आपकी बात से .. लेखक कल्पनाओं से पात्रों को जीता है ... उपमाएं उसमें रँग भारती हैं ...

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय दिगंबर नासवा जी, नमस्ते! आपके सकारात्मक उद्गार मुझे प्रेरित करते रहेंगे। सादर आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

आलोक सिन्हा said...

बहुत सुन्दर सार्थक

माता हमको वर दे (कविता)

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