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Saturday, October 27, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 41 वाँ और 42 वाँ दिन (Day 41, 42)

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#americatourdiary




13-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 41 वाँ दिन (Day 41):
आज के दिन हमलोग Orange County Great (baloon) Park गए। वहाँ संतरों के बागीचे को नजदीक से देखने की इच्छा की तृप्ति हो गयी। मैने OC Great Park की चर्चा पहले भी की थी। यह पार्क काफी दूर तक फैला हुआ है। इसके दूसरे किनारे पर एक फ़ार्म है, जो सरकार द्वारा संचालित शोध संस्थान के लिये प्रयुक्त होता है। वहाँ गिरे हुए, बिखरे, फैले हुए संतरों को देखना नया अनुभव जैसा था।
आज सुबह हैदराबाद से अपने बेटे के पास आये N Bikhupati से मिलने का मौका मिला। पिछले सप्ताह उनके लड़के की कार को एक मोड़ पर किसी दूसरी कार ने पीछे से टक्कर मार दी थी। उनका कार तो क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन कोई खास चोट नहीं आयी थी। यहाँ के इन्स्योरेंस के नियमों के अनुसार क्षतिग्रस्त कार, इन्स्योरेंस वाले ले गए। उसके बदले तबतक के लिये उन्हें दूसरी कार दे दी गई थी, जबतक उनकी अपनी कार रेपेयर कर मिल नहीं जाती है। इन्स्योरेंस कम्पनी ही सारा खर्च वहन करती है। जिस कार ने उन्हें ठोका था, उसे कोई गोरी लड़की चला रही थी। वह मोबाइल पर कुछ मैसेज पढ़ रही थी, इतने में शायद अचानक सिग्नल पर गाड़ियाँ खड़ी दिखी थी और उसने पीछे से ठोक दिया। वह लड़की दुर्घटना के समय में काफी घबरायी हुयी थी। यह सब उनके लड़के से उनके घर पर जाकर मिलने से और बात करने से पता चला।
श्री भिखुपति जी काफी मिलनसार हैं। उन्होने यहाँ के सारे भारतीय मूल के वरिष्ट नागरिकों को, जो अपने बच्चों के पास आये हुए हैं, उन्हें एक साथ जोड़ने और मिलाने का कार्य किया है। उनके लड़के एक अच्छे फोटोग्राफर भी हैं। आज उनके घर पर हमलोग 1:00 बजे तक थे। उनके लड़के ने हमारी तस्वीरें भी उतारी। इसतरह आज के दिन को भी खास बनाने में हम सफल रहे। क्रमशः !

14-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 42 वाँ दिन (Day 42):
आज के दिन को खास बनाने के लिये मैने कुछ खास नहीं किया। कैसे खास बनाया जाय, इसपर सोच विचार कर ही रहा था कि दोपहर बीत गयी।
सोचते -सोचते मेरा ध्यान अमेरिका के इमिग्रेशन नियमों को कड़ा करने पर और उसके इम्पैक्ट पर गया। भारत की आई टी सर्विस देने वाली जो कंपनियाँ यहाँ पर काम कर रही हैं, उनपर अमेरिकन को बहाल करने का दबाव है। अगर वे अमेरिकन नागरिक को बहाल करते हैं, तो उन्हें उन पदों और जिम्मेवारियों के लिये एक भारतीय टेकनिशियन की अपेक्षा दूगना देना पड़ता है। साथ ही वे यहाँ के नियमों के अनुसार एक सप्ताह की अग्रिम सूचना पर दूसरी कम्पनी में जा सकते हैं। इसतरह उनका कम्पनी में स्थायित्व पर प्रश्न चिन्ह हमेशा लगा रहता है। अगर वे किसी भारतीय टेकनोलोजिस्ट को बहाल करते हैं, तो उन्हें वेतन कम देना पड़ता है। लेकिन उनके वर्किंग वीसा के समय को बढ़ाये जाने पर हमेशा संशय बना होता है। इसतरह भारतीय आई टी कम्पनियों को यहाँ उन्मुक्त होकर, कुशलतापूर्वक काम करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।
यही सब विचार करते हुए दोपहर का समय बीत गया। शाम को पार्क की ओर घूमने निकले। पार्क में एक इण्डियन जैसे ब्यक्ति दिखे। उनको नमस्ते कहा। उनसे मैने ही पूछा, "आप कहाँ से आये हैं?" उन्होने कहा, "कोलकता से।" मैने तपाक से पूछा, "मैं भी जमशेदपुर से आया हूँ।" फिर उनसे बातों का सिलसिला चल पड़ा। वे अपनी बेटी के यहाँ आये हुए हैं। उनके दामाद एक शोधार्थी हैं। पिछले काई वर्षों से वे यहाँ रह रहे हैं। मेरी पत्नी भी उनकी पत्नी से काफी देर बातें करती रहीं। इसतरह आज का दिन भी कुछ विशेष बन ही गया।
क्रमशः 

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