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Wednesday, October 3, 2018

अमेरिका डायरी, इरवाइन, यू एस ए में 33वाँ दिन (Day 33):

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04-08-2018, इरवाइन, यू एस ए में 32वाँ दिन (Day 32)
Irvine Regional Park Visit:
आज सुबह के नास्ते के बाद Irvine Regional Park जाना हुआ। दिन का भोजन पार्क में ही करने का कार्यक्रम बना। इसलिए सुबह ही वेज बिरियानी बना ली गयी। इसे कार में रखने के साथ पानी की बोतलें और आम का रस भी रख लिया गया। सुबह का नाश्ता लेकर ये सारी तैयारियाँ करते हुए विलम्ब तो हो ही गया था। हमलोग घर से निकलकर, Jaffery से होते हुए, Irvine Central Dr वाली सडक से आगे बढकर, Bee Canyon में, Eastwood विलेज की ओर मुड़ गए। वहाँ से Orchard Hill Village, सेंटिआगो Cyn रोड को पार करते हुए, इरवाइन रीजनल पार्क के प्रवेश द्वार पर $3 प्रवेश शुल्क जमा कर पार्क में प्रवेश कर गए।
आज मौसम खुशगवार है, धूप भी खिली हुई, और सप्ताहांत भी है, इसलिए पार्टी के लिये उत्तम समय है। पार्क में अच्छी खासी भीड़ है। कहीं-कहीं लोग बड़े-बड़े समूहों में पार्टियाँ कर रहे हैं। अतएव जू साइड और छोटे तालाब की ओर के पार्किग क्षेत्र भरे हुए थे। ऋषभ (मेरा ग्रैंड सन), मेरी पत्नी और बहू तथा खाने के सारे सामान के साथ पूल साइड में छोड़कर, मैं और चिन्मय पार्किंग स्थान खोजने के लिए निकले। कई चक्कर लगाने के बाद पूल से दूर कार पार्क करने की जगह मिली। वहाँ कार खड़ी कर हमलोग पूल साइड की ओर पैदल ही आये, जहाँ उनलोगों को छोड़ आये थे। वे लोग लंच ले चुके थे। दिन के तीन बज चुके थे। हमलोगों के पेट में चूहे कूद रहे थे। उन्हें शान्त करना जरूरी था। भूख लगने पर चूहे ही क्यों कूदते हैं? शायद पेट का स्थान चूहों के लिए ही उत्तम है, जिसे आसान है, शान्त करना।
इरवाइन रीजनल पार्क करीब 471 एकड़ में विस्तार लिए हुए, Santa Ana Mountain के ढलान क्षेत्र के तलहटी में स्थित है। यह पार्क या उद्यान James Irvine 2 के द्वारा भेंट स्वरूप दी गयी 477 एकड़ जमीन पर 1897 ई में बना, कैलिफ़ोर्निया का सबसे पुराना क्षेत्रीय पार्क है। ओक के वृक्षों की छाँव में खुला मैदान रचनात्मक प्रवृत्ति वाले सुधी जनों को कला क्षेत्र के आकाश में विचरण के लिए अच्छी और उर्वर पृष्टभूमि प्रदान करते हैं।
Santiago Creek (छोटी नदी), पार्क को बीच से विभाजित करती है। एक प्राकृतिक झील जिसमें चट्टानों से होती हुई झरनों के बहाव पथ और छोटे प्रपात है, पार्क के वातावरण को और भी सुरम्य बना देते हैं। इस झील में बत्तखों को पंक्तियों में तैरते हुए देखा जा सकता है। इस पार्क में पुरातत्व द्वारा Spanish American War Memorial को दर्शाता एक धातु का पट्ट, जो USA marine द्वारा प्राप्त हुआ था, लगाया हुआ है।
मछली मारने, पिकनिक का क्षेत्र, पार्क में ट्रेन राइड, जू, बाईसाइकिल राइड के लिये साईकिल की उपलब्धता और पोनी राइड के लिये पोनी, इन सभी संसाधनों के साथ इस पार्क में हर एक के लिए कुछ-न-कुछ है, जिसका हर कोइ लुत्फ उठा सकता है।
कहा जाता है कि पेट में चूहों के कूदने से भोजन का आनन्द दुगना हो जाता है। शायद देर होने के कारण कुछ तो भोजन का स्वाद खुद ही अच्छा लगने लगता है, और कुछ पेट के चूहों को खिलाकर संतुष्ट करने से उनका स्वाद भी खुद महसूस करते हैं, इसलिए स्वाद में बेतहाशा इजाफा हौ जाता है। हा,,,हा,,हा,,,।
बिरियानी और साथ में आम-रस का रसास्वादन करने के बाद पार्क के प्राकृतिक सौंदर्य का अवलोकन शुरु हुआ। पास के झील में झांकने का कोई फीस तो लगता नहीं है। यहाँ के जल में बत्तखों का जल-विहार बहुत ही मनोहारी लग रहा है। ऋषभ ने भी खूब आनन्द लिया। बच्चे प्रकृति के अधिक नजदीक होते हैं। इसलिए उनका महसूस होना हम सिर्फ देख ही सकते हैं। अपने आनन्द को तो वे लिपिबद्ध कर नहीं सकते, उनके हाव-भाव की अभिब्यक्ति ही देखी जा सकती है। तस्वीरें भी खींची गयीं।
इसके बाद हमलोग ट्रेन राइड के लिये टिकट लिये। छोटी-सी टॉय ट्रेन जैसी है। इसमें पारम्परिक ट्रेन की सारी फीच्बर्स को समाहित करने का प्रयास किया गया है। हमलोग ट्रेन में सवार हौ गए। ट्रेन में ऊपर छत थी, और दोनों ओर खुला था, जिससे परिदृश्यों को आंखों में बन्द किया जा सके। ट्रेन ने सीटी दी, वैसे ही जैसे पहले के स्टीम इंजिन वाली ट्रेन सीटी दिया करते थे। (साठ-सत्तर के दशक में मैनें देखा था)। लो चल पड़ी ट्रेन। झील के किनारे से गुजरती, ठक-ठक, ठक-ठक पहाड़ की तलहटी में जा पहुँची। पीछे की सीट पर बैठा एक बुजुर्गनुमा अंग्रेजी में इस उद्यान और उससे सम्बंधित सारे इतिहास को माइक पर घोषित करता हुआ साथ चल रहा था। ट्रेन जब रोड क्रॉस कर रही थी, टो सीटी बजी। रोड के साइड में अवरोध गिरा दिये गए, ताकि कोई अन्य वाहन रोड पार नहीं करे। इसके बाद ट्रेन एक सुरंग से होकर गुजरी। हमने एक वीडियो भी बनाया। दस मिनट के राइड के बाद हमलोग ट्रेन से उतरे।
पास ही पोनी राइड स्टेशन था, जहाँ घोड़े बन्धे थे। ऋषभ उस ओर भागा। वहाँ की टिकट खिड़की पर जैसे ही ऋषभ के लिये घोड़े की सवारी के लिये टिकट लेने गए, तो देखे कि खिड़की बन्द हौ चुकी थी। चार बजे पोनी राइड के लिये काऊन्टर बन्द कर दिया जाता है। इसका हमें पता ही नहीं था, वरना ऋषभ को ट्रेन राइड नहीं करवाकर पोनी राइड ही करवा देते। निराश होकर उसने जो रोना शुरु किया, उसे चुप कराना मुश्किल हो गया।
किसी तरह वहाँ से उसे लेकर हमलोग कार पार्क की ओर आ गए। वहाँ हरी घास पर दौड़ लगाकर ऋषभ खेलता रहा। हमलोग कभी बेंच पर बैठे हुए, कभी पेड़ों की छाँव में घूमते हुए पार्क का आनन्द लेते रहे। पास की रेस्ट रुम सुविधा का भी लाभ उठाया गया। इस सारे मंजर का आनन्द उठाते हुए, करीब सैट बजे तक हमलोग वापस आ गए। क्रमश:

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