#BnmRachnaWorld
#romanticpoem
19 जनवरी 2020 को अखिल भारतीय साहित्य परिषद की जमशेदपुर इकाई के द्वारा हुडको लेक पार्क, गोविंदपुर, जमशेदपुर के पास घोड़ाबांधा थीम पार्क में आयोजित कवि - सम्मेलन - सह - पारिवारिक- मिलन समारोह में भाग लेने का अवसर मिला। सारे कवियों और कवियित्रियों का काव्य पाठ करते हुए छवि मैं इस पिक्चर गैलरी में दे रहा हूँ। इसके बाद लीक से थोड़ा हटकर अपने द्वारा एक रोमांटिक कवितानुमा गजल सुनाने का वीडियो भी मैंने अपलोड किया है। आप मेरे इस चैनल marmagyanet को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें। अपने विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य डालें। आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं।
अपने अहसास सुनना चाहता हूँ
अपने अहसास, धीमें धीमें सुनाना चाहता हूं।
तुम अगर कह दो, तो कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ।
सुर मेरे टूटे हुए हैं, लय भी रूठे हुए हैं।
फिर भी जिद है कि तराना बनाना चाहता हूँ।
नींद भी आई न थी कि सुबह दस्तक देने लगी,
तेरी जुल्फों के बादलों में भींग जाना चाहता हूं।
तेरी आँखों में एक समन्दर का फैलाव है
उसी में डूबकर अपनी थाह पाना चाहता हूँ।
वैसे तो जिंदगी में गमों की गिनती नहीं है,
उन्हीं में से हंसी के कुछ पल चुराना चाहता हूं।
तेरे हँसने से छा जाती है जर्रे जर्रे में खुशी
उन्हीं में से थोड़ी हर ओर लुटाना चाहता हूं।
तेरे वज़ूद में कशिश की किश्ती सी तैरती है
उसी में इस पार से उस पार जाना चाहता हूं।
मैने चाहा है, तुम भी चाहो ये जरूरी तो नहीं,
इस तरफ से उस तरफ तक पुल बनाना चाहता हूं।
YouTube link:
https://youtu.be/pPTjc9bSOA0
©ब्रजेंद्रनाथ
#romanticpoem
19 जनवरी 2020 को अखिल भारतीय साहित्य परिषद की जमशेदपुर इकाई के द्वारा हुडको लेक पार्क, गोविंदपुर, जमशेदपुर के पास घोड़ाबांधा थीम पार्क में आयोजित कवि - सम्मेलन - सह - पारिवारिक- मिलन समारोह में भाग लेने का अवसर मिला। सारे कवियों और कवियित्रियों का काव्य पाठ करते हुए छवि मैं इस पिक्चर गैलरी में दे रहा हूँ। इसके बाद लीक से थोड़ा हटकर अपने द्वारा एक रोमांटिक कवितानुमा गजल सुनाने का वीडियो भी मैंने अपलोड किया है। आप मेरे इस चैनल marmagyanet को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें। अपने विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य डालें। आपके विचार मेरे लिए बहुमूल्य हैं।
अपने अहसास सुनना चाहता हूँ
अपने अहसास, धीमें धीमें सुनाना चाहता हूं।
तुम अगर कह दो, तो कुछ गुनगुनाना चाहता हूँ।
सुर मेरे टूटे हुए हैं, लय भी रूठे हुए हैं।
फिर भी जिद है कि तराना बनाना चाहता हूँ।
नींद भी आई न थी कि सुबह दस्तक देने लगी,
तेरी जुल्फों के बादलों में भींग जाना चाहता हूं।
तेरी आँखों में एक समन्दर का फैलाव है
उसी में डूबकर अपनी थाह पाना चाहता हूँ।
वैसे तो जिंदगी में गमों की गिनती नहीं है,
उन्हीं में से हंसी के कुछ पल चुराना चाहता हूं।
तेरे हँसने से छा जाती है जर्रे जर्रे में खुशी
उन्हीं में से थोड़ी हर ओर लुटाना चाहता हूं।
तेरे वज़ूद में कशिश की किश्ती सी तैरती है
उसी में इस पार से उस पार जाना चाहता हूं।
मैने चाहा है, तुम भी चाहो ये जरूरी तो नहीं,
इस तरफ से उस तरफ तक पुल बनाना चाहता हूं।
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©ब्रजेंद्रनाथ
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