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Sunday, August 2, 2020

मेरी और कलम की दोस्ती (लेख) #reminiscences

#BnmRachnaWorld
#reminiscences#आत्मसंस्मरण
























मेरी और कलम की दोस्ती: सृजन यात्रा
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आज मन की बात में मैं अपनी कलम के साथ तय की गयी हमारी सृजन यात्रा के बारे में बात करूंगा। हमारा साथ विद्यालय के दिनों से ही हो गया था। मेरे बड़े भाई विद्यालय के प्रधानाध्यापक थे और वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में एम ए थे, इसलिए साहित्यिक वातावरण घर में था। मैं विद्यालय में वर्तमान हिंदी की सारी पुस्तकें पढ़ गया था। विद्यालय में वाद विवाद और निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में प्रथम होने के साथ-साथ प्रखंड स्तर पर निबंध लेखन में प्रथम हुआ था जब मैं नौवीं कक्षा में गया ही था। मुझे विज्ञान लेकर पढ़ना पड़ा, शायद उस समय की मांग थी। कॉलेज में भी मेरा लेखन कार्य जारी था। मेरी कविता कॉलेज की पत्रिका में छपती रही। मैं कविताएँ लिखकर दूसरे दोस्तों को भी देता था, ताकि उनका नाम भी कविता के साथ कॉलेज की पत्रिका में छप जाय।
कॉलेज के बाद विश्वविद्यालय में गया तो उसी समय जे पी आंदोलन शुरू हो गया। आंदोलन के समय वाराणसी से प्रकाशित आंदोलन की पत्रिका "तरुण मन" में भी लिखता रहा। उसके बाद टाटा स्टील में नौकरी के दरम्यान लेखन कार्य की निरंतरता बाधित हुई।
2014 में सेवा निवृत्ति के बाद पुनः साहित्य लेखन में सक्रियता बढ़ी। लिखना तो आरंभ हुआ पर छपना मुश्किल था। मैं स्थापित लेखक था नहीं कि बड़े - बड़े प्रकाशन संस्थान उसको छाप देते। ब्लॉग लेखन शुरू किया। भोपाल से युवा लोगों के लिए अंकिता जैन द्वारा प्रकाशित पत्रिका "रूबरू दुनिया " में मेरा लेख छपा। आत्मविश्वास बढ़ा। इसके उपरांत मैने एक नौजवान इंजीनियर शैलेश भारतवासी द्वारा संचालित प्रकाशन संस्थान "हिन्द युग्म प्रकाशन, दिल्ली" से संपर्क किया। 2015 के फरवरी में दी गई मेरी पांडुलिपि को अक्टूबर में उन्होंने स्वीकृत किया। नवंबर में मेरा पहला कहानी संग्रह हिन्द युग्म प्रकाशन, दिल्ली से "छाँव का सुख" प्रकाशित हुआ। पहली पुस्तक के पन्नों को छूना अपने नवजात शिशु के कोमल हाथों के स्पर्श जैसा लगता है, इसे मैने पहली बार जाना। इसके बाद मेरी सृजन यात्रा निरंतर जारी है। मेरी दूसरी पुस्तक "डिवाइडर पर कॉलेज जंक्शन" (उपन्यास) 2018 जनवरी में दिल्ली के पुस्तक मेले में प्रकाशित हुई। उसके बाद कविता संग्रह "कौंध", लघु उपन्यास "आई लव योर लाइज" और वृहत उपन्यास "छूटता छोर अंतिम मोड़" अमेज़ॉन किंडल पर ई बुक के रूप में प्रकाशित हुए है। आगे एक यात्रा संस्मरण और बच्चों के लिए साहित्य लेखन की योजना है। मेरी तिब्बत और वुहान शहर (चीन) पर आधारित धारावाहिक कहानी "कोरोना कनेक्शन" और वेब सीरीज के लिए लिखी कहानी " तीखा मोड़" प्रतिलिपि हिंदी पर प्रकशित हुयी है।
कलम का साथ है और शब्दों के मेघ कल्पना के बादल बनकर छाते रहे हैं। मेघों के वर्षण से सृजन की धारा सरिता के रूप में निरंतर प्रवाहित हो रही है। उम्मीद है यह प्रवाह निरंतर जारी रहेगा।
©ब्रजेंद्रनाथ
पुस्तकों के लिंक:



5 comments:

विश्वमोहन said...

वाह! अपनी साहित्य यात्रा जारी रखें और कृतियों की कीर्ति से सुशोभित होते रहें! शुभकामना!!!

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीय विश्वमोहन जी, आपने मेरे संस्मरण को पढ़ा और सकारात्मक उदगार व्यक्त कर मेरा उत्साहवर्धन किया,इसके लिए हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ

Madhulika Patel said...
This comment has been removed by the author.
Madhulika Patel said...

आदरणीय ,बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट ।शुभकामनाएँ ।

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया मधुलिका जी, नमस्ते! आपके उत्साहवर्धक उदगार से अभिभूत हूँ। आप मेरे ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com पर मेरी अन्य रचनाएँ भी पढ़ें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएँ। हृदय तल से आभार!--ब्रजेन्द्रनाथ

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